हिंदी बाल कहानी : सुधार की राह
Web Stories: सुधार की राह- अंकित बहुत ही शरारती और झगड़ालू लड़का था। पढ़ाई-लिखाई में उसका जरा भी मन नहीं लगता था। जब देखो, तब वह सबके साथ लड़ता-झगड़ता रहता।
Web Stories: सुधार की राह- अंकित बहुत ही शरारती और झगड़ालू लड़का था। पढ़ाई-लिखाई में उसका जरा भी मन नहीं लगता था। जब देखो, तब वह सबके साथ लड़ता-झगड़ता रहता।
Web Stories - आश्रम के एक गुरु अपने कुछ शिष्यों को लेकर नदी किनारे पहुंचे। नदी में पानी सूखा हुआ था, जिससे चट्टानें दिखाई दे रही थीं। शिष्यों ने पहली बार इतनी बड़ी
धीरज का पूरा समय उसके गैजेट्स में ही बीतता था। वह चाहे घर पर हो, स्कूल में हो या दोस्तों के साथ हो, उसका ध्यान हमेशा उसके फोन, टैबलेट या लैपटॉप पर ही रहता था।
एक वक्त की बात है, एक बहुत ही दुखी लड़की थी। उसकी मां बचपन में ही मर गई थी और उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी, जो बेवा थी और जिनके दो बेटियां भी थी। उसकी जो सौतेली मां थी वो उसे बिल्कुल प्यार नहीं करती थी।
पुराना साल बीत चुका था। नए वर्ष का प्रथम दिन था। विद्यालय में पहली घंटी अभी-अभी बज कर खामोश हुई थी। कक्षा में हर विद्यार्थी अपने-अपने सहपाठी से अपनी अनोखी बातें सुनाने को उत्सुक था।
महाराजाधिराज विक्रमध्वज वृद्ध हो चले थे। अतः वे चाहते थे कि उनके तीन युवा पुत्रों वीरध्वज, शूरध्वज तथा धीरध्वज में से कोई एक यथाशीघ्र राज्य की सत्ता संभाल ले।
सुधार की राह- अंकित बहुत ही शरारती और झगड़ालू लड़का था। पढ़ाई-लिखाई में उसका जरा भी मन नहीं लगता था। जब देखो, तब वह सबके साथ लड़ता-झगड़ता रहता।