बाल कहानी : राजा को मिला कुत्तों से सबक बाल कहानी : एक बार की बात है, एक राजा था। वो बड़ा ही क्रोधी स्वभाव का था। जरा जरा सी भूल पर वो हर किसी को कड़ी से कड़ी सजा सुनाता था। उसकी सजा का ढंग भी बड़ा अनोखा था। उसने एक दर्जन खूंखार कुत्ते पाल रखे थे। जब भी राजा किसी को दंड देने का निर्देश देता तो उसे कुत्तों के आगे धकेल दिया जाता था। By Lotpot 24 May 2023 | Updated On 24 May 2023 05:39 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी : एक बार की बात है, एक राजा था। वो बड़ा ही क्रोधी स्वभाव का था। जरा जरा सी भूल पर वो हर किसी को कड़ी से कड़ी सजा सुनाता था। उसकी सजा का ढंग भी बड़ा अनोखा था। उसने एक दर्जन खूंखार कुत्ते पाल रखे थे। जब भी राजा किसी को दंड देने का निर्देश देता तो उसे कुत्तों के आगे धकेल दिया जाता था। ये कुत्ते कोई साधारण घरेलू कुत्ते नहीं थे, बल्कि खूंखार लड़ाकू नस्ल के कुत्ते थे जो पल भर में अपने शिकार पर टूट पड़ते थे। एक दिन, राजा के मंत्री से एक छोटी सी गलती हो गई। राजा ने भरी सभा में उसे कुत्तों के द्वारा दंडित करने का आदेश दे दिया। द्वारपाल जब मंत्री को बंदी बनाने आगे बढ़े तो मंत्री ने हाथ जोड़कर राजा से विनती की, "राजन, मैं वर्षों से आपका वफादार मंत्री रहा हूँ मेरी एक अंतिम इच्छा है जिसे पूरा करने के लिए मुझे दस दिन चाहिए। दस दिनों के पश्चात आप मुझे दंड दे दीजिएगा।" राजा मान गए। ठीक दस दिनों के बाद राजा के आदेश पर मंत्री को फिर से राजा के सामने लाया गया। राजा ने जैसे ही संकेत दिया खूँखार कुत्तों को मंत्री पर छोड़ दिया गया, लेकिन तभी एक ऐसा चमत्कार हुआ जिसे देखकर राजा और वहां उपस्थित सभी दंग रह गए। कुत्तों ने मंत्री पर हमला नहीं किया, बल्कि वो तो पूँछ हिला हिला कर मंत्री के हाथ पैर चाटने लगा। राजा चकित रह गए और उसने मंत्री से पूछा, "आपने क्या जादू कर दिया? ये कुत्ते आप पर हमला करने के बजाय आपके साथ क्यों खेल रहे हैं?" मंत्री की आंखे भर आई। उसने प्यार से कुत्तों को सहलाते हुए कहा, "महाराज, मैंने आपसे दस दिनों की मोहलत मांगी थी। इन दस दिनों में मैंने इन कुत्तों से दोस्ती कर ली और उनकी खूब सेवा की। इन्हे अच्छा-अच्छा खाना खिलाया, नहलाया, घुमाने ले गया और उनकी खूब देखभाल की है। यह कुत्ते जंगली हो सकते हैं, लेकिन वे मेरी सेवा और मेरा प्यार नहीं भूले लेकिन मुझे इस बात का दुख है कि एक शासक के रूप में आपने मेरी बरसों की वफादार सेवा और आपके प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम को भुला दिया और मुझे एक छोटी सी गलती के लिए दंडित किया।' यह सुनते ही राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने तुरंत मंत्री को रिहा कर दिया। उसी क्षण से उसने अपनी प्रजा के अच्छे कर्मों को कभी नहीं भूलने और उनकी छोटी मोटी गलतियों को हमेशा माफ करने का वादा किया। उस दिन के बाद राजा एक कुशल और दयालु शासक के रूप में जाना जाने लगा, जो अपने लोगों और उनके योगदानों को महत्व देता था। यह कहानी हमें दूसरों की गलतियों को याद रखने के बजाय उनके अच्छे कार्यों को याद रखने और उन्हे क्षमा करने का महत्व सिखाती है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रेम और दया से क्रूरतम जीवों को भी वश में किया जा सकता है, और यह कि थोड़ी सी करुणा, हर रिश्ते को मजबूत और स्थायी बनाता है। ★सुलेना मजुमदार अरोरा ★ बाल कहानी : तलवार की धार भलाई की सीख देती बाल कहानी : सच्ची दोस्ती You May Also like Read the Next Article