एक प्ररेक बाल कहानी : उन्नति का लक्ष्य एक प्ररेक बाल कहानी : उन्नति का लक्ष्य :- ‘‘हां करण, मैने तो इन बातों पर ध्यान ही नहीं दिया था। मैं ही कहीं और काम खोजूंगा।’’ विक्की ने कहा। काम खोजता-खोजता विक्की एक न्यूज पेपर एजेंट के पास पहुंचा। एजेंट ने उसे अखबार बाँटने की नौकरी दे दी। अब वह सुबह-सुबह घर-घर अखबार और पत्र-पत्रिकाएं पहुंचाने लगा। फिर वहीं हुआ। एक दिन रास्ते में ही करण मिल गया। By Lotpot 11 Jan 2022 in Stories New Update एक प्ररेक बाल कहानी : उन्नति का लक्ष्य :- ‘‘हां करण, मैने तो इन बातों पर ध्यान ही नहीं दिया था। मैं ही कहीं और काम खोजूंगा।’’ विक्की ने कहा। काम खोजता-खोजता विक्की एक न्यूज पेपर एजेंट के पास पहुंचा। एजेंट ने उसे अखबार बाँटने की नौकरी दे दी। अब वह सुबह-सुबह घर-घर अखबार और पत्र-पत्रिकाएं पहुंचाने लगा। फिर वहीं हुआ। एक दिन रास्ते में ही करण मिल गया। उसने विक्की को समझाया कि गर्मियों के दिन हैं इसीलिए सुबह-सुबह अखबार बांटने में कोई दिक्कत नहीं होती। पर जाड़ों के दिनों में रजाई से बाहर निकलने का मन नही करता। उस समय वह पेपर बांटने कैसे निकलेगा?! विक्की को करण की बात जंच गई। बस फिर क्या था? अगले ही दिन से वह फिर दूसरे काम की तलाश में निकल गया। काफी भागदौड के बाद आखिर उसे एक फैमिली के यहां ‘हाउस कीपर’ की नौकरी मिल गई। उसे वहां एक बच्चे की देखभाल करनी पड़ती थी। बस। सारा दिन बच्चे को संभालना ही उसका काम था। चूंकि बच्चे के मम्मी-पापा दोनों नौकरी करते थे। सो वे दिनभर बाहर ही रहते। लौटने में दस-ग्यारह बज ही जाते। विक्की का यहां भी मन लग रहा था। सवेरे दस बजे वह बच्चे को तैयार कर स्कूल पहुंचा आता। फिर शाम में स्कूल से लाकर उसे खाना खिलाकर पार्क में थोड़ी देर खेलने ले जाता। रात में उसका होमवर्क करवाने के बाद उसे खाना खिलाकर सुला देता और वापस अपने घर लौट जाता। इस तरह विक्की का सारा दिन बड़े आराम से कट जाता। एक दिन वह बच्चे को स्कूल से लेकर लौट रहा था। अचानक उसकी मुलाकात करण से हो गई। करण ने फिर वही पुराना राग अलापना शुरू किया। यह सब काम तो लड़कियों का है। तुम्हें शोभा नहीं देता। सारा दिन एक बच्चे के पीछे घूमता रहता है। सब तेरी हंसी उड़ाएंगे। तू कुछ दूसरा काम कर। बेचारा विक्की अब बड़ा परेशान हो गया। कौन सा काम करे। करण भी अजीब मुसीबत है। वह जो भी करता है। करण उसमें कुछ न कुछ मीन मेख जरूर निकालता है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। रात को घर लौटा तो अम्मा को महसूस हुआ कि वह कुछ परेशान सा है। उन्होंने उससे पूछना भी चाहा। मगर जब तक वह उसकी चारपाई तक पहुंचती, वह गहरीः नींद में सो चुका था। अम्मा ने सोचा, होगा। ‘चलो अभी जगाना ठीक नहीं, बेचारा थका-मांदा होगा। सवेरे बात करूंगी। अगले दिन रविवार था। सो आज काम से छुट्टी थी। वह देर तक सोया रहा। तभी बहन उसे जगाने आयी, ‘‘भईया, उठो न देखो न कल स्कूल में हमें मास्टर जी ने यह बात लिखकर लाने को कहा है। मुझे इसका मतलब समझ में नहीं आ रहा है। तुम बता दो न भईया। विक्की ने प्रीति से उसकी काॅपी ले ली। काॅपी की पहली लाइन में लिखा था ‘‘कर्म ही पूजा है।’’ इसे सुंदर अक्षरों में पूरे पेज पर लिखना था। इस वाक्य पर नजर पड़ते ही विक्की मानो गहरी सोच में डूब गया। प्रीति को उस वाक्य का अर्थ बताने से पहले वह खुद ही उसका अर्थ समझने लगा। ‘‘सच कर्म ही तो हमारी पूजा है। हमें पूरी निष्ठा से अपनी पूजा करनी चाहिए। कोई भी पूजा खराब नहीं होती है। उसी तरह है कोई भी काम खराब नहीं होता। अगर हम परिश्रम और निष्ठापूर्वक कोई भी काम करेंगे तो वह खराब नहीं लगेगा। हमें परिश्रम से घबराकर काम नहीं छोड देना चाहिए। परिश्रम की सीढ़ियां चढ़कर ही प्राप्त हो सकता है। संतोष से हम थोड़े में भी खुश रह सकते हैं। इन बातों ने ऐसा असर किया मानो विक्की के सामने से कोई पर्दा हट गया हो। उसे अब सबकुछ समझ आ गया था। अब वह करण के दिव्य स्वप्नों में उलझने वाला न था। उसे अपनी दुनियां ही अच्छी लगने लगी। बेकार ही वह एक अमीरजादे के दिखाए ख्वाबों में डूबता जा रहा था। अब वह कोई काम नहीं छोड़ेगा। उसके सिर से एक बड़ा बोझ हट गया। प्रीति को अर्थ समझाते वक्त उसके चेहरे पर मुस्कान थी। उधर अम्मा ने जब बेटे के चेहरे पर वापस आयी मुस्कान देख ली तो उसने सब कुछ पूछने की जरूरत ही न समझी। उन्हें तो बस, बेटे की खुशी ही चाहिए थी। बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Best Hindi Kahani #Hindi Kahani #Lotpot #Best Lotpot Comics You May Also like Read the Next Article