बाल कहानी : कोशिश करने वालों की हार नहीं होती बाल कहानी : कोशिश करने वालों की हार नहीं होती :- एक बादाम के पेड़ पर दो गिलहरियाँ रहती थी। दोनों की पक्की दोस्ती थी। उनमें से एक गिलहरी बड़ी चुस्त और दूसरी आलसी थी। एक दिन दोनों गांव की सैर करने सुबह सवेरे निकल पड़े। By Lotpot 27 Dec 2021 | Updated On 27 Dec 2021 12:55 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी : कोशिश करने वालों की हार नहीं होती :- एक बादाम के पेड़ पर दो गिलहरियाँ रहती थी। दोनों की पक्की दोस्ती थी। उनमें से एक गिलहरी बड़ी चुस्त और दूसरी आलसी थी। एक दिन दोनों गांव की सैर करने सुबह सवेरे निकल पड़े। अचानक कहीं से उन्हें मिठाईयों की खुशबू आने लगी। दोनों ने देखा कि एक हलवाई अपनी दुकान पर तरह तरह की मिठाइयां बना रहा है। गिलहरियाँ दुकान में घुस गई और एक मेज के नीचे छिपकर रात होने का इंतजार करने लगीं रात को हलवाई दुकान बंद करके चला गया। अब दोनों गिलहरियाँ मिठाइयां ढूँढने लगीं लेकिन मिठाइयाँ तो सारी बिक चुकी थी। दोनों वहाँ के सारे बर्तन टटोलने लगीं । दोनों में एक से गिलहरी ने वहां रखें एक बर्तन से उसका ढक्कन गिराया देखा तो उसमे दूध था, अंदर मलाईदार दूध देखकर दोनों के मुँह में पानी आ गया। जैसे ही दोनों ने अंदर झाँकने की कोशिश की तो वे पतीले के अंदर गिर पड़ीं । दूध में गिरते ही दोनों के होश उड़ गए। अब यहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। दोनों अपनी जान बचाने के लिए दूध में तैरने लगीं। तब एक गिलहरी ने दूसरी से पूछा, "अब क्या होगा?" दूसरी ने हिम्मत बंधाते हुए कहा, "डरने की ज़रूरत नहीं है। कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा। तुम बस तैरती रहो।" दोनों तैरने लगीं । काफी देर तक तैरने के बाद भी जब उन्हें बचाने के लिए कोई नहीं आया तो दोनों और भी घबराने लगे। धीरे धीरे थकान के मारे उनका हाल बुरा होने लगा। तब आलसी गिलहरी ने हताश होकर हिम्मत हारते हुए कहा, "अब हमें बचाने कोई नहीं आएगा। मैं तो थक गई हूँ। मेरे पाँव में बहुत दर्द हो रहा है।" यह सुनकर दूसरी गिलहरी ने कहा, "अगर हम हिम्मत हार कर तैरना छोड़ देंगे तो अभी और इसी वक्त हम डूब कर मर जाएंगे। इसलिए बहन जितनी देर तक भी हो सके तैरती रहो। शायद कोई सहारा मिल जाये।" दोनों कुछ देर तक और तैरते रहे। लेकिन उन्हें कोई रास्ता फिर भी नहीं मिला। आखिर निराशा और थकान से आलसी गिलहरी ने हिम्मत छोड़ दी और बोली, "बस बहन मुझसे और नहीं होगा, मैं मरने के लिए तैयार हूं।" यह कहते हुए उसने तैरना छोड़ दिया और दूध में डूबने लगी, यह देखकर मेहनती गिलहरी ने उसे अपनी पीठ पर बैठा लिया और हिम्मत करके तैरती ही रही। थकान से चूर होने के बावजूद वो तैरती रही। उसके लगातार पाँव चलाते रहने से धीरे धीरे दूध मथकर मक्खन बनने लगा और कुछ ही घण्टों में मक्खन की मोटी मजबूत परत जम गई और तब मेहनती गिलहरी अपनी सहेली को लेकर सकुशल बाहर निकल गई। अगर इस मेहनती गिलहरी ने हिम्मत और मेहनत ना दिखाई होती तो ना वो बच पाती ना उसकी आलसी सहेली। बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हिम्मत और मेहनत से कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती। और पढ़ें : बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Best Hindi Kahani #Lotpot Story #Bal kahani You May Also like Read the Next Article