बाल कहानी : घमंडी रमेश का पश्चाताप

बाल कहानी : रमेश के पिता पिछले वर्ष ही इस शहर में आये थे। वे काफी बड़ी सरकारी पद पर थे इस लिए घर में हर सुख सुविधा का होना स्वाभाविक ही था। ऊपर से रमेश घर में इकलौता बच्चा था। इससे उसके और भी मजे थे। वह मुँह से जो कुछ भी निकाल देता। उसी समय पूरा हो जाता।

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Children's Story Repentance of arrogant Ramesh (1)

बाल कहानी : रमेशकेपितापिछलेवर्षहीइसशहरमेंआयेथे।वेकाफीबड़ीसरकारीपदपरथेइसलिएघरमेंहरसुखसुविधाकाहोनास्वाभाविकहीथा।ऊपरसेरमेशघरमेंइकलौताबच्चाथा।इससेउसकेऔरभीमजेथे।वहमुँहसेजोकुछभीनिकालदेता।उसीसमयपूराहोजाता।

बचपनसेहीरमेशकोघरमेंआवश्यकतासेअधिकलाड़प्यारमिलाथाइसलिएउसकेस्वभावमेंजिद्दीपनगयाथा, इससेभीबुरीबातयहथीकिकिसीऔरलड़केकोअपनेबराबरनहींसमझताथा।हरबातमेंअपनेकोबड़ाऔरदूसरोंकोछोटासिद्धकरनेमेंउसेएकप्रकारकाआनन्दमिलनेलगा।

हूँ.... मुझेक्यापड़ीहैजोमैंकिसीकीपरवाहकरूँ? मेरेपासकिसचीजकीकमीहै।जिनकेपासकुछनहींहोताउन्हेंहीदूसरोंसेदोस्तीकरनेकीजरूरतपड़तीहैजिससेउनसेमांगतांगकरसकें।

यहीबातरमेशप्रायःअपनेमनमेंसोचताऔरयहीवहअनेकलड़कोंसेकहताफिरता।

शुरूशुरूमेंतोकक्षाकेअनेकलड़कोंनेरमेशसेमित्रताकरनीचाही।बादमेंउसकीघमण्डीआदतकोदेखतेहुएसभीउसेकतरानेलगे।प्रायःकोईभीउससेबातकरनापसन्दनहींकरताथा।यहबातरमेशभीअच्छीतरहसमझताथा, फिरभीउसनेेबुरीआदतनहींछोड़ी।

नरेननामकाएकऔरलड़कारमेशकीहीकक्षामेंपढ़ताथा।वहजबकभीभीरमेशकेबारेमेंसोचतातोउसकामनदुखसेभरजाता।कभीनरेनकीभीयहीहालतथी।परअचानकउसकेघरकीहालतबिगड़गईऔरउसेअपनीआदतकाफलभुगतनापड़ाथायहीकारणथाकिवहरमेशकेसाथसहानुभूतिरखताथा।

उसनेकईबाररमेशकोसमझानेकीकोशिशकीपरन्तुनिराशाहीहाथलगी।

वार्षिकपरीक्षाआरम्भहोगईथी।उसीरोजगणितकीपरीक्षाथी।सभीलड़कोंनेअपनीअपनीउत्तरपुस्तिकामेंप्रश्नहलकरनेआरम्भकरदियेथे।कुछदेरबादरमेशकीहीकक्षाकेसुशीलनामकलड़केकीनिगाहरमेशपरपड़ी।उसेयहदेखकरआश्चर्यहुआकिरमेशकुछभीनहींकररहाथा, तभीउसने- देखारमेशबारबारअपनेहाथकमीजऔरपैंटकीजेबोंमेंडालरहाथा।कुछसोचकरसुशीलखड़ाहुआअध्यापकमहोदयकोपुकारा।

Children's Story Repentance of arrogant Ramesh

श्रीमानजी! मुझेलगताहै, रमेशअपनापेनभूलआयाहैइसलिएयहप्रश्नोंकेउत्तरनहींलिखपारहाहै।मेरेपासदोपेनहै।अपकीआज्ञाहोतोमैंएकपेनरमेशकोदेदूँ?

सुशीलकीबातसुनकररमेशदंगरहगया, पिछलीछुट्टियोंमेंउसनेसुशीलकोहीखेलनेकेलिएअपनाबैटदेनेसेमनाकरदियाथा।वहीआजआगेबढ़करउसकीसहायताकररहाथा।तबतकअध्यापकमहोदयसुशीलसेपैनलेकररमेशकेपासचुकेथे, जैसेहीउन्होंनेपैनरमेशकीओरबढ़ायाउसकीआंखोंमेंआंसूछलकनेलगे।अध्यापकमहोदयभीरमेशकोअच्छीतरहजानतेथे।उसकीयहदशादेखकरउन्हेंबहुतप्रसन्नताहुई।

भूलहरकिसीसेहोतीहैबेटा।मैंजानताहूँकितुमइससमयक्यासोचरहेहो, आखिरमनुष्यहीमनुष्यकेकामआताहै।इसलिएहमेंसबकोबराबरमानकरसबसेप्रेमभावरखनाचाहिये।

सुशीलनेपेनदियाहोतातोरमेशपासनहींहोसकताथा।परीक्षाकासमयसमाप्तहोनेपरनरेननेभीरमेशकीपीठथपथपातेहुएकहा।चलोंतुम्हारीसमझमेंतोआयाकिघमण्डकरनाबुरीबातहै।हरकिसीकोकिसीकिसीसमयमित्रोंकीसहायतालेनीपड़सकतीहै।

कक्षाकेसभीलड़कोंकोयहदेखकरआश्चर्यकेसाथसाथखुशीभीहुईकिरमेशकोउसदिनपश्चातापहुआ, घरजातेसमयवहसभीसेहंसबोलरहाथा।सुशीलकेप्रतितोवहविशेषरूपसेकृतज्ञथा।

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