शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल:- एक धोबी अपने गधे से बहुत प्यार करता था। वह हमेशा उसे फूलों की माला से सजाता था। एक दिन जब धोबी कपड़ों का गट्ठर धो कर वापस घर लौट रहा था तो रास्ते में उसे एक बड़ा सा चमकता पत्थर पड़ा हुआ दिखा। उसने उसे उठा लिया। पत्थर बहुत ही चमकीला और सुंदर था। धोबी ने उसे एक रस्सी से बांधकर गधे के गले में पहना दिया। गधा और ज्यादा सजीला दिखने लगा। By Lotpot 28 Apr 2021 | Updated On 28 Apr 2021 12:40 IST in Stories Moral Stories New Update शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल:- एक धोबी अपने गधे से बहुत प्यार करता था। वह हमेशा उसे फूलों की माला से सजाता था। एक दिन जब धोबी कपड़ों का गट्ठर धो कर वापस घर लौट रहा था तो रास्ते में उसे एक बड़ा सा चमकता पत्थर पड़ा हुआ दिखा। उसने उसे उठा लिया। पत्थर बहुत ही चमकीला और सुंदर था। धोबी ने उसे एक रस्सी से बांधकर गधे के गले में पहना दिया। गधा और ज्यादा सजीला दिखने लगा। तभी एक हीरा जौहरी की नजर गधे के गले में लटकते चमकीले पत्थर पर पड़ गई। उसे समझ में आ गया कि धोबी को हीरे की समझ नहीं है। उसने बड़े प्यार से धोबी को रोककर कहा, "भैया जी, यह पत्थर तो बड़ा सुंदर है, मुझे दे दोगे तो मैं तुझे पचास रुपये दूंगा।" धोबी ने ये कहते हुए मना कर दिया कि उस पत्थर के कारण उसका गधा बहुत सुंदर दिख रहा है, वो इसे नहीं बेचेगा। कुछ सोचकर जौहरी ने फिर कहा, "भाई, मुझे यह पत्थर दे दे। मेरे बच्चे खेलेंगे। मैं तुझे सौ रुपये दूंगा।" ये सुनकर भी धोबी नहीं माना। जौहरी ने कहा, "चलो अच्छा, डेढ़ सौ, रुपए लेकर मुझे यह पत्थर दे दे। अब तो खुश हो जा।" धोबी फिर भी नहीं माना। तब जौहरी ने कहा, "चल, दो सौ दे देता हूं, तू भी क्या याद रखेगा।" इसपर धोबी गुस्से में बोला, "अरे कहा न, मैं नहीं दूंगा। अब आप अपने रस्ते जाइये।" जौहरी रुक गया और धोबी आगे चल पड़ा। अब जौहरी सोच में पड़ गया कि हीरा कम से कम दस लाख का है। अगर वह धोबी को पाँच हजार दे दे, तो वह जरूर हीरा उसे दे देगा। वह फिर से धोबी के पीछे दौड़ा जो काफी दूर निकल गया था। जैसे तैसे दौड़ते दौड़ते उसने धोबी को फिर से पकड़ लिया और बोला, "अच्छा चल मैं तुझे इस पत्थर का पाँच हजार देता हूं, अब तो मान जा।" इतना सुनते ही धोबी ने हंसते हुए कहा, "अरे बाबू जी, आपने देर कर दी। अभी-अभी एक शौकीन आदमी मुझे दो लाख रुपए देकर वो पत्थर ले गया।" यह सुनते ही जौहरी अफसोस से चिल्ला पड़ा, "अरे मूर्ख, वह दस लाख का हीरा तूने सिर्फ दो लाख में दे दिया? तुझसे बड़ा मूर्ख कोई हो ही नहीं सकता।" इस पर धोबी ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरे लिए तो यह दो लाख भी बहुत है बाबू जी। मैं जौहरी नहीं हूं इसलिए मुझे हीरे की परख नहीं थी। पर आपको तो परख थी। आप सिर्फ मूर्ख ही नहीं बल्कि धोखेबाज़ और लालची भी हैं इसलिए दस लाख का हीरा गवां बैठे।" जौहरी सर पीटता रह गया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच में आकर किसी को धोखा देने से अपना ही नुकसान होता है। सुलेना मजुमदार अरोरा और पढ़ें : बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article