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अकबर–बीरबल की मजेदार कहानी – “सबसे सस्ता खाना कौन सा?”

Akbar Birbal Funny Story बच्चों के लिए एक मजेदार और सीख देने वाली कहानी। पढ़िए कैसे बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी से महल की समस्या हल की। आसान भाषा, हास्य और सीख से भरपूर।

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मुगल सम्राट अकबर अपनी बुद्धिमत्ता और विशाल साम्राज्य के लिए जाने जाते थे, जबकि बीरबल उनकी सभा के सबसे चतुर, हास्यप्रिय और समाधान खोजने में माहिर मंत्री थे।

जब भी अकबर किसी पेचीदा समस्या में फँसते, वह बीरबल की ओर देखते और बीरबल अपनी तेज बुद्धि, सरल सोच और मजाकिया अंदाज़ से हर मुश्किल को आसान बना देते। इस कहानी में भी बीरबल हास्य के साथ एक ऐसी समस्या का हल निकालते हैं, जिसे देखकर पूरा दरबार हँस पड़ता है। बच्चे इस कहानी को पढ़कर न केवल मनोरंजन पाएँगे, बल्कि यह भी सीखेंगे कि बुद्धिमानी और शांत दिमाग से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। अकबर–बीरबल की कहानियाँ बच्चों में तर्क क्षमता, रचनात्मकता और सकारात्मक सोच विकसित करती हैं।

इनकी कहानियाँ सैकड़ों सालों से सुनाई जा रही हैं और आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं। यह कहानी उसी परंपरा का एक मजेदार हिस्सा है।


अकबर–बीरबल की मजेदार कहानी – “सबसे सस्ता खाना कौन सा?

दरबार में एक दिन की अनोखी चर्चा

एक दिन दोपहर के भोजन के बाद, मुगल सम्राट अकबर का मूड बहुत हल्का और मजाकिया था। वह अपने मंत्रियों और दरबारियों के साथ बैठे थे। इसी माहौल में अकबर ने दरबार में अपना पसंदीदा विषय छेड़ दिया—खाना!

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उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा, “दुनिया का सबसे सस्ता खाना कौन सा है?”

सभासद आपस में फुसफुसाने लगे। हर कोई सोच रहा था कि महाराज क्या सुनना चाहते हैं।

  • किसी ने कहा—दाल।

  • किसी ने कहा—चावल।

  • एक दरबारी बोला—गरीबों के लिए तो सूखी रोटी सबसे सस्ती है।

लेकिन अकबर को कोई भी जवाब पसंद नहीं आया। उन्हें लगा कि हर खाने की एक कीमत तो चुकानी ही पड़ती है।

तभी अकबर ने बीरबल की ओर देखा—“बोलो बीरबल, तुम्हारा क्या कहना है?”

बीरबल शांत मुस्कुराए और बोले, “जहाँपनाह, सबसे सस्ता खाना धुआँ है!”

पूरा दरबार हक्काबक्का रह गया! सभी दरबारी हँसने लगे और सोचने लगे कि बीरबल आज कैसी मूर्खतापूर्ण बात कर रहे हैं।

अकबर ने हैरान होकर पूछा, “धुआँ? बीरबल, तुम कैसा मज़ाक कर रहे हो?”


बीरबल का मजेदार जवाब

बीरबल ने तुरंत तर्क दिया, "जहाँपनाह, मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ। बाकी सब खाने के लिए हमें कुछ न कुछ खरीदना पड़ता है—चावल, दाल, आटा... इन सबकी एक कीमत होती है। लेकिन धुआँ सबसे सस्ता इसलिए है क्योंकि यह हर रसोई में मुफ्त में मिलता है।"

  • "इसे न खरीदना पड़ता है।"

  • "इसे न बनाना पड़ता है।"

  • "बस चूल्हा जलाओ और धुआँ तुरंत तैयार! यह तो एक तरह से खाना पकाने के साथ ही मुफ्त में मिल जाता है।"

बीरबल ने आगे कहा, "और देखिए, इसे खाने के लिए किसी प्लेट या बर्तन की भी ज़रूरत नहीं है। जब कोई भूखा होता है और वह सिर्फ़ चूल्हे के पास खड़ा होकर धुआँ सूंघ ले, तो वह भी एक तरह से 'खा' ही लेता है, और इसके लिए उसे एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता।"

दरबार में ठहाके गूंज उठे। सभी दरबारी बीरबल की हाजिरजवाबी और मजाकिया तर्क से बहुत खुश हुए।

अकबर भी हँसे बिना न रह सके। हँसते हुए उन्होंने कहा, “बीरबल! तुम्हारी बुद्धि और हास्य का जवाब नहीं! तुमने साबित कर दिया कि वास्तव में दुनिया का सबसे सस्ता खाना धुआँ ही है।”

और उस दिन से, जब भी किसी बात पर बहस होती थी, तो दरबारी हँसते हुए कहते थे, “सबसे सस्ता खाना—धुआँ”


सीख (Moral of the Story)

यह मजेदार कहानी हमें दो महत्वपूर्ण बातें सिखाती है:

  • बुद्धिमानी सिर्फ़ ज्ञान से नहीं, हास्य और तर्क से भी आती है। बीरबल ने अपनी रचनात्मक सोच से एक मुश्किल सवाल को हास्यास्पद बना दिया।

  • हर समस्या का हल आसान हो सकता है, बस हमें सोच का तरीका बदलना चाहिए।

  • हँसी तनाव को दूर करती है और माहौल हल्का बनाती है।

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