मासूम शुभम और उसके प्यारे खरगोश: एक प्यारी कहानी

"मासूम शुभम और उसके प्यारे खरगोश" कहानी में शुभम अपने तीन खरगोशों—चिंटू, मिंटू और पिंटू—से बहुत प्यार करता है। एक दिन जल्दबाजी में वह उन्हें खाना देना भूल जाता है, जिसके कारण खरगोश पार्क में चले जाते हैं।

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Innocent Shubham and his beloved rabbit a cute story
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"मासूम शुभम और उसके प्यारे खरगोश" कहानी में शुभम अपने तीन खरगोशों—चिंटू, मिंटू और पिंटू—से बहुत प्यार करता है। एक दिन जल्दबाजी में वह उन्हें खाना देना भूल जाता है, जिसके कारण खरगोश पार्क में चले जाते हैं। शुभम उन्हें ढूँढकर अपनी गलती समझता है और उनकी देखभाल का संकल्प लेता है। यह कहानी बच्चों को जिम्मेदारी सिखाती है। (Shubham Aur Khargosh Story Summary, Hindi Moral Tale)

कहानी: भूखे खरगोशों की खोज (The Story: The Search for Hungry Rabbits)

एक छोटे से गाँव में शुभम नाम का एक प्यारा सा बच्चा रहता था। शुभम के पास तीन छोटे-छोटे खरगोश थे—चिंटू, मिंटू और पिंटू। शुभम अपने खरगोशों से बहुत प्यार करता था। हर सुबह वह गाँव के पास वाले पार्क में जाता, वहाँ से ताज़ी हरी घास तोड़ता और अपने खरगोशों को खिलाता। फिर स्कूल के लिए तैयार होकर निकल जाता। स्कूल से लौटने के बाद भी वह अपने प्यारे दोस्तों के लिए घास लाना नहीं भूलता।

शुभम अक्सर अपने खरगोशों से बातें करता था। वह कहता, "चिंटू, मिंटू, पिंटू, तुम लोग मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो। मैं तुम्हें कभी भूखा नहीं रहने दूँगा।" खरगोश भी उसकी बातें सुनकर कूद-कूदकर खुशी जताते।

एक दिन की भूल (A Day of Forgetfulness)

एक दिन शुभम को स्कूल के लिए बहुत देर हो रही थी। उसकी माँ ने कहा, "शुभम, जल्दी करो, स्कूल की बस छूट जाएगी।" शुभम जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और पार्क जाकर घास लाना भूल गया। उसने सोचा, "कोई बात नहीं, स्कूल से आकर अपने दोस्तों के लिए ढेर सारी घास लाऊँगा।" और वह स्कूल चला गया।

जब शुभम स्कूल से लौटा, तो उसने देखा कि खरगोशों का छोटा सा घर खाली था। चिंटू, मिंटू और पिंटू कहीं नहीं थे। शुभम घबरा गया। उसने इधर-उधर ढूँढना शुरू किया। उसने अपनी माँ से पूछा, "माँ, मेरे खरगोश कहाँ गए? क्या तुमने देखा?" माँ ने कहा, "नहीं बेटा, मैंने तो नहीं देखा। शायद कहीं चले गए हों।"

शुभम ने गाँव के अपने दोस्तों से भी पूछा। उसने अपने पड़ोसी रमेश भैया से कहा, "रमेश भैया, क्या आपने मेरे खरगोश देखे? वे कहीं दिखे आपको?" रमेश भैया ने सिर हिलाकर कहा, "नहीं शुभम, मुझे तो नहीं दिखे।" शुभम की आँखें भर आईं।

उदासी और फिर खुशी (Sadness Turns to Joy)

शुभम उदास होकर पार्क में जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। वह रोने लगा। उसकी आँखें लाल हो गईं। वह सोचने लगा, "मेरे दोस्त कहाँ चले गए? क्या वे मुझसे नाराज़ हो गए?" तभी उसने दूर पार्क के एक कोने में कुछ देखा। उसके तीनों खरगोश—चिंटू, मिंटू और पिंटू—वहाँ घास खा रहे थे और आपस में कूद-कूदकर खेल रहे थे।

शुभम की खुशी का ठिकाना न रहा। वह दौड़कर उनके पास गया और बोला, "चिंटू, मिंटू, पिंटू! तुम यहाँ हो! मैं कितना डर गया था।" उसने उन्हें गले लगाया। तभी उसे एहसास हुआ, "अरे, आज सुबह मैंने इन्हें खाना नहीं दिया। इन्हें भूख लगी होगी, इसलिए ये पार्क में घास खाने आ गए।"

शुभम को अपनी गलती का पछतावा हुआ। उसने सोचा, "जब मुझे भूख लगती है, तो मैं माँ से खाना माँग लेता हूँ। लेकिन मेरे खरगोश तो बोल भी नहीं सकते। उनकी माँ भी तो नहीं है जो उन्हें खाना दे।" उसने अपने खरगोशों से कहा, "मुझे माफ कर दो, मेरे दोस्तों। अब से मैं कभी तुम्हें भूखा नहीं छोडूंगा।"

शुभम का संकल्प (Shubham’s Promise)

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उस दिन के बाद शुभम ने एक संकल्प लिया। उसने अपनी माँ से कहा, "माँ, मैं अब हर दिन समय पर उठूँगा और अपने खरगोशों के लिए घास लाऊँगा। मैं कभी उनकी देखभाल में लापरवाही नहीं करूँगा।" माँ ने शुभम को गले लगाया और कहा, "शुभम, तुम बहुत अच्छे बच्चे हो। जो दूसरों का दुख समझते हैं, वे ही सच्चे इंसान बनते हैं।"

शुभम ने अपने खरगोशों के लिए एक छोटा सा बगीचा भी बनाया, जहाँ वे हर दिन ताज़ी घास खा सकें। गाँव के बच्चे भी शुभम की देखभाल देखकर प्रेरित हुए और अपने पालतू जानवरों का ध्यान रखने लगे। (Khargosh Ki Kahani, Hindi Moral Story for Kids)

 सीख (Moral of the Story)

बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने पालतू जानवरों की देखभाल में कभी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। शुभम ने अपनी गलती से सीखा कि जो दूसरों का दुख समझते हैं, वे सच्चे और अच्छे इंसान बनते हैं। हमें हमेशा अपने दोस्तों और जानवरों का ध्यान रखना चाहिए। (Lesson on Responsibility, Motivational Story for Kids)

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