प्रेरक कथा- राजा की चतुराई और ब्राह्मण की जीत

"राजा की चतुराई और ब्राह्मण की जीत" कहानी में श्यामदास नाम का एक ब्राह्मण व्यापारी हरिलाल के पास 600 रुपये जमा करता है, लेकिन हरिलाल पैसे लौटाने से मना कर देता है। श्यामदास राजा विश्वनाथ से मदद माँगता है।

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Motivational story- King's cleverness and Brahmin's victory
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"राजा की चतुराई और ब्राह्मण की जीत" कहानी में श्यामदास नाम का एक ब्राह्मण व्यापारी हरिलाल के पास 600 रुपये जमा करता है, लेकिन हरिलाल पैसे लौटाने से मना कर देता है। श्यामदास राजा विश्वनाथ से मदद माँगता है। राजा अपनी सवारी के दौरान श्यामदास को अपना गुरु कहकर सम्मान देते हैं। यह देखकर हरिलाल डर जाता है और श्यामदास को पैसे ब्याज समेत लौटा देता है। इस तरह श्यामदास अपनी बेटी राधा की शादी कर पाता है। (Raja Ne Pandit Ka Paisa Dilaya Summary, Hindi Moral Tale)

कहानी: ब्राह्मण की परेशानी और राजा की मदद (The Story: A Brahmin’s Trouble and the King’s Help)

कई साल पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक ब्राह्मण रहता था, जिसका नाम था श्यामदास। श्यामदास बहुत नेक और सीधा-सादा था। उसने अपनी बेटी की शादी के लिए एक स्थानीय व्यापारी, हरिलाल, के पास 600 रुपये जमा किए थे। उसने सोचा, "जब बेटी की शादी होगी, तब ये पैसे काम आएँगे।" समय बीतता गया, और जब उसकी बेटी राधा की शादी का समय आया, तो श्यामदास हरिलाल के पास गया। उसने कहा, "हरिलाल भाई, मेरे 600 रुपये लौटा दो। अब मेरी बेटी की शादी का समय आ गया है।"

लेकिन हरिलाल ने मुँह फेर लिया और बोला, "कौन से 600 रुपये? तुमने मुझे कब पैसे दिए? कोई सबूत है तुम्हारे पास? लिखित में कुछ दिया था मैंने?" श्यामदास यह सुनकर परेशान हो गया। उसके पास कोई सबूत नहीं था, क्योंकि उसने हरिलाल पर भरोसा किया था। वह उदास होकर घर लौट आया और सोचने लगा, "अब मैं राधा की शादी कैसे करूँगा?"

राजा की चतुराई (The King’s Clever Plan)

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कुछ दिनों बाद श्यामदास को एक तरकीब सूझी। उसने सोचा, "क्यों न मैं राजा से मदद माँगूँ? वे बहुत बुद्धिमान और न्यायप्रिय हैं।" वह गाँव से निकलकर राजा विश्वनाथ के दरबार में पहुँचा। उसने अपनी सारी बात राजा को बताई और कहा, "महाराज, हरिलाल ने मेरे 600 रुपये रख लिए थे, लेकिन अब वह मना कर रहा है। मेरी बेटी की शादी का समय आ गया है। कृपया मेरी मदद करें।"

राजा ने श्यामदास की बात ध्यान से सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, "चिंता मत करो, ब्राह्मण। कल हमारी सवारी निकलेगी। तुम बस हरिलाल की दुकान के पास खड़े रहना। बाकी हम देख लेंगे।" श्यामदास को राजा की बात समझ नहीं आई, लेकिन उसने सिर झुकाकर कहा, "जो आज्ञा, महाराज।"

अगले दिन राजा विश्वनाथ की सवारी पूरे गाँव में निकली। लोग सड़कों पर खड़े होकर राजा का स्वागत कर रहे थे। कोई फूल बरसा रहा था, तो कोई आरती उतार रहा था। श्यामदास हरिलाल की दुकान के पास खड़ा था। जैसे ही राजा की नज़र श्यामदास पर पड़ी, उन्होंने अपनी बग्घी रोक दी और ज़ोर से कहा, "अरे, श्यामदास जी! आप यहाँ कैसे? आप तो हमारे गुरु हैं। आइए, हमारी बग्घी में बैठिए।"

श्यामदास हैरान हो गया, लेकिन वह चुपचाप बग्घी में बैठ गया। हरिलाल यह सब देख रहा था। उसने भी जल्दी से राजा की आरती उतारी और मन ही मन सोचने लगा, "अरे, यह श्यामदास तो राजा का खास आदमी है! कहीं उसने मेरे खिलाफ राजा से कुछ कहा तो मेरा क्या होगा?" राजा की सवारी आगे बढ़ गई।

हरिलाल की गलती और श्यामदास की खुशी (Harilal’s Mistake and Shyandas’s Happiness)

थोड़ी दूर जाने के बाद राजा ने श्यामदास को बग्घी से उतारा और कहा, "ब्राह्मण, हमने तुम्हारा काम कर दिया। अब जाओ, तुम्हें तुम्हारा हक़ ज़रूर मिलेगा।" श्यामदास ने राजा को प्रणाम किया और एक पेड़ के नीचे बैठकर सोचने लगा कि अब क्या होगा।

उधर, हरिलाल घबरा गया। उसने अपने नौकर को बुलाया और कहा, "जल्दी जाओ, श्यामदास को ढूँढो और मेरी दुकान पर लाओ।" नौकर ने श्यामदास को पेड़ के नीचे बैठा देखा और बड़े आदर से बोला, "पंडित जी, मालिक ने आपको बुलाया है। प्लीज़ चलिए।"

श्यामदास दुकान पर पहुँचा तो हरिलाल ने उसे देखते ही प्रणाम किया और कहा, "पंडित जी, मुझसे गलती हो गई। मैंने अपने पुराने खातों को देखा तो पता चला कि आपके 600 रुपये मेरे पास जमा हैं। पिछले 12 सालों में इसका ब्याज भी बन गया है—करीब 15,000 रुपये। और आपकी बेटी तो मेरी बेटी जैसी है। मैं 2,000 रुपये और देता हूँ। आप यह 17,600 रुपये ले लीजिए और अपनी बेटी की शादी धूमधाम से कीजिए।"

श्यामदास की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उसने हरिलाल को धन्यवाद दिया और पैसे लेकर घर लौट आया। उसने राधा की शादी बड़े धूमधाम से की। (Raja Aur Pandit Story, Justice and Wisdom Tale)

सीख (Moral of the Story)

बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चाई और अच्छाई हमेशा जीतती है। श्यामदास ने हिम्मत नहीं हारी और राजा से मदद माँगी। राजा ने अपनी बुद्धि से हरिलाल को डराकर श्यामदास का हक़ दिलवाया। हमें भी मुश्किल समय में सच्चाई का साथ देना चाहिए। साथ ही, यह भी सीख मिलती है कि अगर हम परमात्मा से अपना रिश्ता मज़बूत रखें, तो कोई भी परेशानी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। सच्चाई और विश्वास के साथ आगे बढ़ो। (Lesson on Truth, Motivational Story for Kids)

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