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एक यूनियन का किस्सा
Fun Story एक यूनियन का किस्सा:- टिंकू की मम्मी अपनी बहन से मिलने करोल बाग गई हुई थीं इस लिये घर पांच घण्टे के लिये पूरी तरह टिंकू के कब्जे में था। बड़े मियां घर नहीं हमे किसी का डर नहीं। टिंकू के घर में बच्चों की एक गुप्त मीटिंग हो रही थी। एक-एक करके गली के बच्चे तशरीफ़ ला रहे थे। घर के दरवाज़े पर बबली और टिंकू उनके स्वागत में हाथ जोड़े, खींसे निपोरते खड़े थे। तीन चार बजे दरवाजा बंद कर लिया गया और मीटिंग शुरू हुई। विषय थाः मम्मियों के बढ़ते हुये अत्याचारों का सामना कैसे किया जाये? (Fun Stories | Stories)
बबली ने मीटिंग की कार्यवाही आरम्भ करते हुये कहाः ‘‘उपस्थित देवियों और देवताओं! किसी से छुपा नहीं है कि अब मम्मियों के अत्याचार सीमा से बढ़ गये हैं। इस लिये जरूरी हो गया है कि उन अत्याचारों के विरूद्ध कोई ठोस कदम उठाया जाये।’’
टिंकू ने बबली का समर्थन करते हुये कहा, ‘‘मैंने पिछले महीने पूरा पूरा हिसाब रखा था। मम्मी ने मुझे 103 बार बाज़ार भेजा। मेरी 34 बार पिटाई हुई यानी औसत डेली एक से भी अधिक। इन पिटाइयों के दौरान मुझ पर 76 मुक्के 45 चांटे और 14 छड़ियां बरसाई गईं। एक बार तो मेरी पिटाई केवल इस लिये हो गई कि मम्मी ने मुझे पिछली पिटाई में खाये हुये मुक्कों की संख्या डायरी में नोट करते हुये देख लिया।’’ (Fun Stories | Stories)
टिंकू की करूण कहानी सुन कर सब की आंखों मे आंसू भर आये। बबली ने भरे कंठ से कहाः ‘‘बस कीजिये टिंकू जी! हद हो गई। अब मम्मियां छड़ियां भी चलाने लगीं चांटे और मुक्के हम सदा से खाते आये हैं और भविष्य में भी यथा संभव खाते रहेंगे किन्तु हम छड़ी की मार किसी तरह बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’
मुन्नू बोलाः ‘‘बेंत और छड़ी आदि खतरनाक हथियार चलाने का अधिकार केवल स्कूल के अध्यापकों को प्राप्त है, मम्मियों को नहीं। आगे से मम्मियां यदि छड़ी का प्रयोग करें तो हम हड़ताल कर देंगे। (Fun Stories | Stories)
बबली उछलाः ‘‘हड़ताल करने से पहले हम बच्चों की यूनियन बनना ज़रूरी है। वैसे भी जब बड़े होकर हम क्लर्क बनेंगे तो दफ्तरों में हमें यूनियन मिल ही जाएगी इस लिये क्यों न हम अभी से यूनियन में रहने का अभ्यास कर लें।’’
मनीषाः ‘‘अवश्य हर एक काम का अभ्यास पहले कर लेना ठीक रहता है। मैंने कॉलेज में पहुंचने से पहले ही बड़ी दीदी जैसा बैल-बॉटम सिलवा लिया है। दीदी भी परीक्षा देने से पहले अपने कमरे में बैठ कर नकल मारने का अभ्यास करती हैं। (Fun Stories | Stories)
सबने एक मत से निश्चय किया कि अब तक तो उन्होंने किसी तरह बिना यूनियन के सब्र कर लिया किन्तु अब वे...
सबने एक मत से निश्चय किया कि अब तक तो उन्होंने किसी तरह बिना यूनियन के सब्र कर लिया किन्तु अब वे एक सेकेन्ड़ भी यूनियन के बिना नहीं रह सकते। यूनियन उनके स्वास्थ्य के लिये उतनी ही जरूरी है जितना हवा और पानी! राजू ने चिन्ताभाव से कहा: ‘‘किन्तु यूनियन बनेगी कैसे? हम में से किसी को यूनियन बनानी आती है क्या?’’
राकेश नें यह गुत्थी खोली: ‘‘पहले हम यूनियन का नाम और झण्डा चुन लें, यूनियन बाद में अपने आप बनती रहेगी। यूनियन का नाम तो बना बनाया है: एण्टी मम्मी यूनियन! नाम-करण-संस्कार के बाद आता है यूनियन का झंडा!’’ (Fun Stories | Stories)
मनीषा ने कहाः ‘‘यूनियन के झण्डे का रंग सफेद होगा। सफेद रंग का अर्थ है कि यूनियन के सदस्य अपनी-अपनी मम्मी के साथ एक घर में, एक छत के नीचे शान्ति के साथ रहना चाहते हैं।’’
पप्पू भड़क कर बोलाः ‘‘खाली सफेद रंग से काम नहीं चलेगा। इस सफेद रंग के चारों ओर की जगह सूचक होगी कि यदि मम्मियों ने बेंत का प्रयोग किया तो यूनियन के सदस्य भी जवाब में भयानक कदम उठा सकते हैं।’’
सारे बच्चे इस सुझाव पर उछल पड़े। सब ने पप्पू की पीठ ठोंकी। आशा ने अपनी फ्राक की जेब में से निकाल कर उसे एक टाफी दी। राकेश ने टाफी की ओर लार टपकाती नजरों से देखते हुए कहाः ‘‘झण्डे के बीचों बीच एक मुक्के और एक चांटे का चित्र होगा जिसका अर्थ है कि यूनियन के सदस्य केवल मुक्के और चांटे ही खा सकते हैं। (Fun Stories | Stories)
यही नहीं, एक मम्मी को एक सप्ताह में केवल दस मुक्के अथवा दस चांटे प्रति बच्चा मारने का अधिकार होगा।’’ इससे अधिक कोटा प्राप्त करने के लिये किसी मम्मी को यूनियन से आज्ञा लेनी पड़ेगी।’’
आशा बोलीः ‘‘यूनियन को ऐसा प्रबंध करना चाहिये कि मम्मियां केवल अपनी आंख के तारों को ही पीटें दूसरों को नहीं परसों मनीषा की मम्मी ने साथ-साथ मेरी पिटाई कर दी क्योंकि हम दोनों उनकी रसोई में चुपके-चुपके चाय बना रहे थे।’’
बबली ने दनादन यह सारे सुझाव कापी में नोट कर लिये। कूकी ने कुछ कहने के लिये मुंह खोला ही था कि उसका मुहं फटा का फटा रह गया। इस से पहले ही गज़ब हो गया। जाने कहां से भयानक नुकीले मुहं वाला चूहा आया और बबली के निकट में होता हुआ बच्चों के घेरे में प्रवेश कर गया। चूहे के चार पैर, एक बल खाती हुई पूंछ, हवा मे लहराते दो नन्हें कान, एक जोड़ा छोटी किन्तु डरावनी आंखे थी। उसे देखते ही लड़कियाँ चीख मार कर उछल पड़ीं। मनीषा और आशा तो बेहोश होते-होते बचीं। चूहा बेचारा इस झमेले को समझने के प्रयत्न में आंखे टिमटिमाता वहीं खड़ा रहा। (Fun Stories | Stories)
लड़के अभी लड़कियों की कायरता पर हंस रहे थे कि उनकी हंसी में ब्रेक लग गया। हुआ यह कि चूहे की भीनी सुगंध पाकर लोहे की अलमारी के ऊपर सोई बिल्ली की नींद टूट गई। हाई जम्प और लांग जम्प का एक साथ प्रदर्शन करते हुये बिल्ली ने चूहे पर छलांग लगाई किन्तु उस के पंजे में खाली सूखा फर्श आया क्योंकि चूहे महोदय तो कभी के अंतर्ध्यान हो चुके थे। घेरे में साक्षात बिल्ली के आ टपकने पर क्या लड़के, क्या लड़कियां सब नर्वस हो गये। चूहे का मुकाबला किया जा सकता है किन्तु बिल्ली तो शेर की मौसी होती है।
कमरें में भयानक गुल-गपाड़ा मच गया। इस शोर-गुल से छत कांपने लगी, रोशनदान में बैठे कबूतर घबरा कर उड़ गये, घबराहट के बावजूद टिंकू ने अक्ल से काम लिया। उसने कमरे का दरवाज़ा खोल दिया। सब एक दूसरे से पहले बाहर निकलना चाहते थे इस लिये दरवाज़े पर ट्रैफिक जाम हो गया। दरवाज़े मे फंसे बच्चे चीखने लगे। यह चीखें गगन को गुंजाती हुई मोहल्ले के घरों में जा उतरी।
अपने-अपने बच्चें की चीख-पुकार सूनकर सब की मम्मियां वहां आ धमकीं। सब बच्चे अपनी-अपनी मम्मी के आंचल में जा छुपे। इस तरह एक शानदार यूनियन का जन्म से पहले ही दम घुट गया। (Fun Stories | Stories)
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