Fun Story: हमारे घर भी मेहमान आए

सुबह न जाने किस का मुंह देख कर उठा था कि मुझे अपने एक मित्र ऐहसान साहब का मैसेज मिला की उनके साले किसी काम से तुम्हारे शहर में आ रहे हैं, तुम्हारे यहाँ ठहरेंगे।

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हमारे घर भी मेहमान आए

Fun Story हमारे घर भी मेहमान आए:- सुबह न जाने किस का मुंह देख कर उठा था कि मुझे अपने एक मित्र ऐहसान साहब का मैसेज मिला की उनके साले किसी काम से तुम्हारे शहर में आ रहे हैं, तुम्हारे यहाँ ठहरेंगे। मेरी ख़ुशी का कोई अन्त न रहा कि मुझे अतिथि सत्कार का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। मैंने यह मैसेज मिलते ही आदरणीय अतिथि के लिए कमरा साफ करा दिया। अपना सारा सामान समेट लिया ताकि वह अपना सामान फैला सके। अभी मैं इस काम से निपटा ही था कि द्वार पर एक ऑटो आकर रुका। मैने लपक कर उनका स्वागत करना चाहा और कहा, ‘‘चूंकि आपने पहुँचने का सही वक्त नहीं लिखा था इस लिए मैं स्टेशन न पहुंच सका।’’ (Fun Stories | Stories)

‘‘इस कष्ट की क्या आवश्यकता थी। मैं तो आपके घर को अपना घर समझ कर आया हूँ और अपने घर में कोई सूचित करके नहीं आता। भाई साहब ने वह परिचयात्मक मैसेज वैसे ही दे दिया था वरना उसकी भी आवश्यकता नहीं थी।’’ इतना कहकर उन्होंने दो सौ रूपये का नोट ऑटो वाले को देकर कहा ‘एक सौ सत्तर रुपए मुझे दे दो।’’

‘‘मैंने लपक कर तीस रुपए तांगा वाले को दे दिया और दो सौ रुपए का नोट लेकर उनको वापस कर दिया और सामान उतरवा कर कमरे में ले आया।’’ (Fun Stories | Stories)

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अन्दर आकर वह बोले: ‘‘जैसा मैं बेतकल्लुफ हूं वैसा ही आप लोगों को देखना चाहता हूँ। क्या नाम है तुम्हारे नौकर का?’’

मैंने कहा-‘‘गफ्फूर नाम है। फरमाईए क्या काम है?’’ (Fun Stories | Stories)

और बजाये मुझे जवाब देने के वह गफ्फूर को पुकार चुके थे। कहीं दूर से तो आना नहीं था, पास ही मौजूद था। उसके आते ही उन्होंने कहा- ‘‘देखो भाई... काॅफ़ी लाओ बना कर...।’’ मेरे हाथों के तोते उड़ गए। गफ्फूर हक्का बक्का सा खड़ा रह गया। मैंने स्वयं को हल्का करके कहा- ‘‘काफ़ी मेरा मतलब है काफ़ी का भी प्रबंध हो जायेगा, मगर तत्काल तो चाय आ सकती है।’’

वह बोले- ‘‘ख़ैर इस वक्त चाय ही सही। मगर देखो भई गफ्फूर चाय स्ट्रांग हो। और हां काफ़ी तुम आज ही मंगा लो।’’ राम कसम जी खुश हो गया, कि कितना निःसंकोच मेहमान है। मैंने क्षमा याचना करते हुए कहा- ‘‘मुझे अफ़सोस है कि घर में काफ़ी न थी। मैं आज ही मंगा लेता हूँ।’ (Fun Stories | Stories)

चाय लाने में गफ्फूर ने बहुत जल्दी की। इस में उसका कमाल नहीं बल्कि मैं उसको पहले ही...

चाय लाने में गफ्फूर ने बहुत जल्दी की। इस में उसका कमाल नहीं बल्कि मैं उसको पहले ही हिदायत दे चुका था कि मेहमान के आते ही जोरदार किस्म की चाय दी जाये। उसने मेज पर चाय नाश्ता लगा दिया। वह बोले-  ‘‘नाश्ते के अलावा आपके यहाँ कुछ बादाम तो नहीं?’’ मैंने समझने के लिए पूछा- ‘‘बादाम से आपकी मुराद केवल बादाम से है या...।’’ (Fun Stories | Stories)

वह बात काट कर बोले- ‘‘केवल बादाम। बात यह है कि मैं काफ़ी में तो दूध या क्रीम का कायल हूँ अगर मजबूरन चाय पीनी पड़े तो उसमें दूध की जगह शीरा, मगज, बादाम डालता हूँ। देखो भई गफ्फूर। बादाम तो नहीं है घर में?’’

और गफ्फूर इतना बदतमीज़ कि उसने टका सा जवाब दे दिया। (Fun Stories | Stories)

उन साहब ने पहले चाय की प्याली बना कर मुझे दी फिर अपने लिए आमलेट कांटे में लेकर खाते ही अजीब सा मुंह बना कर कहा- ‘‘क्या आपके यहाँ वनस्पति घी इस्तेमाल होता है?’’ मैंने कहा- ‘‘मेरे लिए मक्खन में तलवा दिया करो आमलेट वगेरा, यह घी तो दो कौड़ी का नहीं?

गफ्फूर ने मुझे देख कर कहा- सरकार यह तो खाली घी है।

‘‘तुम से कह दिया आइन्दा मक्खन में तलवा दिया करो।’’ (Fun Stories | Stories)

इतने में मेहमान चाय की घूंट लेकर ऐसा मुंह बनाये बैठे थे जैसे चूरन खाया हो। मुझे अपनी ओर आता देख कर बोले- ‘‘यह चाय तो बिलकुल बेकार है। शायद वही है जो स्टेशनों पर मिलती है। बड़ी धटिया चाय है।’’

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और यह कह कर उन्होंने घृणा पूर्वक चाय की प्याली आगे सरका दी कि मैं शरम से पानी-पानी हो गया।

फिर कुछ देर बाद जब मैंने दफ्तर जाने के लिए कपड़ों की अलमारी खोल कर सूट निकालना चाहा तो वह गायब था। बार बार देखा मगर उसका पता न चला। ख्याल आया कि शायद मेहमान साहब ने अलमारी से निकाल कर कहीं फैंक दिया हो। मगर कमरे के अलावा गुसलखाने की खूंटियों तक देखा पर न मिला। (Fun Stories | Stories)

आखिर गफ्फूर को बुला कर पूछा कि- ‘‘मेरा सुरमई सूट तो शायद मेहमान साहब पहन गए हैं।’’ मैंने परेशानी से कहा- ‘‘मगर उस में तो मेरी चाभियाँ और पढ़ने  का चश्मा भी था। अब मैं छुट्टी की दरखास्त लिखता हूँ। लिंखू कैसे ऐनक भी तो कोट में ही था।

खैर छुट्टी की दरखास्त टटोल टटोल कर लिखने के बाद जब मैंने दफ्तर भेज दी तो पहली बार उस बेतकल्लुफ मेहमान की बेतकल्लुफी से डर सा लगा। (Fun Stories | Stories)

बहरहाल मेरा बिलकुल इरादा न था, कि मैं उन मेहमान साहब से शिकायत कंरू कि उन्होंने वापस आकर मुझे डांटना शुरू कर दिया। ‘‘साहब कमाल हैं कि आप यह सूट पहनते हैं। यह शायद आपने जल्दी में दर्जी की बजाए किसी मोची से तो नहीं सिलवा लिया था। मेरे कपड़ों पर इस्तरी न थी इस लिए इसे पहन कर गया। मगर जहाँ-जहाँ गया लोग मुझ पर हंसे।’’

‘‘अब मैं उन से क्या कहता कि दर्जी ने तो मेरे नाप का सिला है। उसे क्या खबर थी की ये मेहमान इसको पहनेंगे। मगर बावजूद मोची के हाथ सिले कपड़ों को उन्होंने मेरा एक कपड़ा न छोड़ा।’’ (Fun Stories | Stories)

ख़ैर कपड़ों को जाने दीजिये पहन लिये तो पहन लिए। गफ्फूर को उन्होंने अपने विशेषाधिकारी से काम लेकर इस जुर्म में निकाल दिया कि उसने नाश्ते में जो अंडा पेश किया वह पूरा उबल चुका था। दूसरा हाफ ब्वायल हुआ था। तीसरा चौथाई कच्चा था जब कि उन्हें चौथाई उबला हुआ चाहिए था।

‘‘और आखिर जब उन मेहमान साहब की वापसी हुई, मैं गफ्फूर को नाक से लकीर खींच कर वापस लाया और अब जहाँ कहीं मेहमान का नाम आ जाता है मेरा खून खौल जाता है।’’ (Fun Stories | Stories)

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