Fun Story गधे के कमरे में गधा:- मेरे भईया यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं, और बस समझ लीजिए कि वे दुनियाँ के आठवें आश्चर्य हैं। छुट्टियों में घर आते ही उनका रोब शुरू हो जाता है। और वह दहाड़-दहाड़ कर कहते हैं, ‘अरे भाई, मैं चिड़िया घर का जानवर थोड़े ही हूँ। जो तुम सब के सब मुझे घूरे जा रहे हो।’ हम सब उनको घेर कर बैठ जाते हैं और वह चालू कर देते हैं हॉस्टल की गप्प यानि किस्से अपनी शैतानियों के। (Fun Stories | Stories)
इस बार मोहन चोटी वाले जो जोकर के अंदाज में कहने लगे। ‘हम लोग हॉस्टल में खाना-वाना खाने के बाद साढ़े आठ बजे के करीब अपनी पढ़ाई चालू करते हैं। उस समय सारे हॉस्टल में शान्ति विराजमान रहती है और कोई आँख पर चश्मा चढाये और कोई...‘बस-बस’ गुड्डी चीखी, आगे भी तो बताइये या चश्मा ही चढाते रहियेगा।’
भइया ने शम्मी कपूर के अन्दाज में... हँऊ कर के कहना शुरू किया, ‘तो हम लोग साढ़े बारह-एक तक सीरियसली पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाते हैं। तब हमें शरारत सूझती है। ऐसे ही एक बार रात को दस बजे चाय पीने का मूड बना। पर भला उस समय चाय कहां मिलती। क्योंकि हॉस्टल कैन्टीन बन्द थी। हम चार दोस्तों ने प्रयाग स्टेशन पर चाय पीने का प्रोग्राम बनाया और चाय पीते पीते करीब दो बज गए। जब हम लौट रहे थे तो हमारी नज़र एक गधे के बच्चे पर पड़ी जो सड़क पर घूम रहा था। बस हमें शैतानी का मसाला मिल गया। पहले तो गधे को घेर कर पकड़ा और गेट पर ले आये। गेट बन्द था पर भई हम लोग भी कुछ कम न थे। हमारे एक मित्र बख्शी जी जो 6 फुट लम्बे हैं उन्होंने गधे को अपने हाथो से उठा लिया। बेचारा गधा तड़ातड़ लात चलाने लगा और उस की एक दुलत्ती के जोर से बख्शी जी के चश्मे ने 10 फुट की हाई-जम्प मारी और फिर 12 फुट की लाॅन्ग जम्प लगा कर चार टुकड़¨ में विभाजित हो गया। ख़ैर बख्शी जी को नई ऐनक का वायदा करके गधे को पुनः हम लोगों ने संभाल लिया। किसी ने गर्दन पकड़ी, किसी ने टांग और किसी ने पूंछ। बात की बात में गधा चारदीवारी के अन्दर आ गया बद्किस्मती में भी किस्मत का कमाल देखो। आगे चल कर हॉस्टल का कोटा गेट बन्द था। पर उस गेट का भी एक भाग किसी दारासिंह जैसे पहलवान ने तोड़ दिया था। (Fun Stories | Stories)
गधे के बच्चे को पकड कर उसका सिर टूटे स्थान में घुसा दिया। गधे का बच्चा ढेंचू-ढेंचू...
गधे के बच्चे को पकड कर उसका सिर टूटे स्थान में घुसा दिया। गधे का बच्चा ढेंचू-ढेंचू करने लगा और पीछे से दुलती मार कर अपने गीत की थाप देने लगा। उस के शिकार हुए पांडे जो कुछ देर तक अपने दांत ढूंढते रहे और उनको वे तारे भी नजर आ गए जो दूरबीन से भी दिखलाई नहीं देते। अब गनीमत यह हुई कि वह शांतिपूर्वक गेट से पार हो गया उसी समय एक मुसीबत यह आई कि वह गधा शैतान बच्चा हमारे हाथ से छूट गया और उसने लाॅन में कत्थककली का नृत्य आरम्भ कर दिया सब उसके पीछे-पीछे दौड़ रहे थे और वह आगे-आगे बस समझ लो कि वहां ओलम्पिक के प्रबन्धक न थे, वर्ना हम सब आगामी ओलम्पिक दौड़ के लिए जाते, इस दौड़ धूप में तीन पाजामे दो कमीज़ एक स्वेटर बीस गमले एव अन्य फूल के पौधे बलिदान हुए और अन्त में गधे जी महाराज को पकड़ा जा सका। ख़ैर, गधे को पकड़ने के बाद यह समस्या हुई कि गधे को किस कमरे में बंद किया जाए। सभी कमरे बंद थे और कुछ लोग पढ़ रहे थे। पर अचानक एक तर्क सूझ ही गया। अपने एक दोस्त वर्मा जी को गोयल साहब के कमरे में भेजा गया कि वह जाकर गोयल साहब को चाय पिलाने स्टेशन ले जाएं। ‘वर्मा जी ने लखनवी अंदाज़ में गोयल साहब से जाकर कहा, ‘‘अमाँ’’ क्या चौबीस घंटे किताब ही घोटते रहते हो। चलो चाय ही पी आएं। गोयल साहब इतमिनान से उठे और चप्पल पहन कर कमरे में ताला लगा कर चुपके से बाहर हो लिए।’ (Fun Stories | Stories)
‘इस बीच हॉस्टल का एक लड़का बुलाया गया जो ताला विशेषज्ञ था। इस हज़रत का दावा है कि ये हर ताले को खोल कर फिर बन्द कर सकते हैं। बस जनाब उन्होंने ताला खोल दिया। और फिर गधे जी महाराज बिना ची-चुपड़ किये गोयल साहब के बिस्तरे के नीचे अपनी पीठ से मीनार बनाते हुए विराजमान हो गये और ताला अपनी जगह पुनः आ गया। उधर वर्मा जी ने गोयल साहब को स्टेशन पर स्थिति बता दी कि मेरे पास तो केवल पाँच रूपये हैं इस लिए मैं चाय पीता हूँ और आप तब तक स्टेशन पर आराम से टहलो गोयल साहब मारे गुस्से के तुरन्त ही हॉस्टल की ओर चल पड़े।
थोड़ी देर बाद गोयल साहब भुनभुनाते हुए हॉस्टल में घुसे। हम सब उन के कमरे की खिड़की के पीछे जमा थे। गोयल साहब ने ताला खोला, लाइट जलाई और जैसे ही वह बिस्तर पर बैठे, गधा उठ खड़ा हुआ।
इस के साथ ही ढेंचू-ढेंचू की आवाज़ आई और उछल कूद में हालत यह हुई की गोयल साहब चारपाई के नीचे, चारपाई उन के ऊपर और गधा इन दोनों के ऊपर, जाने किस प्रकार गोयल साहब ने इस फ्रीस्टाईल कुश्ती से छुटकारा पाया, अपने कमरे से निकल कर वह सीधा वार्डन के कमरे की ओर भाग लिए और उनके पीछे से गधे का बच्चा सुराही टेबल लैम्प और किताबों से कुश्ती लड़ता रहा। (Fun Stories | Stories)
दूसरे दिन वार्डन साहब के सामने हमारी पेशी हुई उन्होंने लाल पीली आँखे दिखा कर बख्शी जी से पूछा किस की शरारत है यह? कौन गधे को कमरे में लाया? बख्शी जी ने शन्ति पूर्वक उत्तर दिया, सर, वह गधा भाईचारे के नाते से स्वयं ही इनके कमरे में आ गया होगा। इस उत्तर पर वार्डन साहब भी हँसते-हँसते दुहरे हो गए और उन के हंसने से हमारी जान बच गई।
भईया अभी यह किस्सा सुना ही रहे थे, कि उसी समय पापा कमरे में आ गए और हमारे साथ हँसते हुए बोले। सुना है हॉस्टल का वह गधा इस समय हमारे घर में घुस आया है। पापा का यह कहना था कि हम तो हँसते हँसते लोटपोट हो गए। और इस चोट ने भईया का गला घोंट दिया। (Fun Stories | Stories)
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