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बीरबल की चतुराई: अंडे की मस्ती भरी कहानी- एक बार की बात है, बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे। उन्हें बीरबल की चतुराई की हमेशा तारीफ़ तो करते थे, लेकिन इस बार उनके दिमाग में शरारत सूझी। अकबर ने सोचा, "बीरबल हर बार मेरे सवाल का जवाब आसानी से दे देता है। इस बार मैं उसे ऐसा फँसाऊँगा कि वह मूर्ख बन जाए!" अकबर ने एक मज़ेदार साजिश रची। सुबह दरबार शुरू होने से पहले, उन्होंने अपने सभी मंत्रियों को एक-एक अंडा दिया और कहा, "इसे छुपाकर रखो। आज हम बीरबल का इम्तिहान लेंगे!"
अकबर का सपना (Akbar’s Dream)
जब बीरबल दरबार में पहुँचा, तो अकबर ने बड़े नाटकीय अंदाज़ में कहा, "बीरबल, कल रात मैंने एक अजीब सपना देखा। सपने में एक देवता ने मुझसे कहा कि मेरे मंत्रियों की ईमानदारी की जाँच करनी है। अगर वे राजवंशी तालाब में जाएँ और वहाँ से अंडा लेकर आएँ, तो वे सच्चे और ईमानदार हैं। अब तुम्हें मेरे मंत्रियों की जाँच करनी है।"
बीरबल ने मुस्कुराकर कहा, "हुज़ूर, आपका सपना बहुत दिलचस्प है। चलिए, जाँच शुरू करते हैं!"
मंत्रियों की चाल (The Ministers’ Trick)
अकबर ने अपने मंत्रियों को बुलाया और कहा, "एक-एक करके तालाब में जाओ और अंडा लेकर वापस आओ।" सभी मंत्रियों ने एक-दूसरे को देखा और हँसते हुए तालाब की ओर चल दिए। दरअसल, उनके पास तो पहले से ही अंडे थे, जो अकबर ने सुबह दिए थे। एक मंत्री ने तालाब में छपाक से छलांग लगाई और चिल्लाया, "अरे, यह तो बड़ा आसान है! देखो, मुझे अंडा मिल गया!" दूसरा मंत्री बोला, "हाँ-हाँ, मुझे भी तालाब में एक चमकता हुआ अंडा मिला!"
सभी मंत्रियों ने तालाब से "अंडे" लेकर अकबर को दिखाए और कहा, "हुज़ूर, हम सच्चे और ईमानदार हैं!" अकबर ने खुश होकर ताली बजाई, लेकिन उनकी नज़र अब बीरबल पर थी।
बीरबल की बारी (Birbal’s Turn)
अब बीरबल की बारी आई। अकबर ने कहा, "बीरबल, अब तुम जाओ और तालाब से अंडा लाओ। देखें, तुम कितने ईमानदार हो!" बीरबल ने सोचा, "यहाँ कुछ गड़बड़ है। तालाब में अंडे कहाँ से आएँगे? ज़रूर बादशाह मुझसे मज़ाक कर रहे हैं!"
बीरबल तालाब में कूद गया। उसने चारों तरफ़ देखा, पानी में डुबकी लगाई, लेकिन उसे कोई अंडा नहीं मिला। तभी उसे एक मछली तैरती दिखी। बीरबल ने मछली से पूछा, "अरे मछली दीदी, क्या तुमने यहाँ कोई अंडा देखा?" मछली ने हँसते हुए कहा, "अंडा? यह तालाब है, बीरबल भैया, यहाँ मछलियाँ रहती हैं, अंडे नहीं!"
बीरबल का मज़ेदार जवाब (Birbal’s Funny Reply)
बीरबल तालाब से बाहर निकला और गीले कपड़ों में ही दरबार में पहुँच गया। उसने अचानक मुर्गे की आवाज़ निकालनी शुरू कर दी, "कुकड़ू-कूँ! कुकड़ू-कूँ!"
अकबर ने हैरानी से पूछा, "बीरबल, यह क्या बकवास है? अंडा कहाँ है? और यह मुर्गे की आवाज़ क्यों निकाल रहे हो?"
बीरबल ने हँसते हुए कहा, "हुज़ूर, मैं तो मुर्गा हूँ! और मुर्गा अंडे नहीं देता, अंडे तो मुर्गी देती है। अगर आपने सपने में कहा कि तालाब में अंडे हैं, तो मैंने सोचा कि मैं मुर्गा बन जाऊँ, ताकि अंडे देने का झंझट ही न रहे!"
दरबार में मौजूद सभी लोग ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। एक मंत्री बोला, "हाय रे बीरबल, तुम तो मुर्गा बन गए, लेकिन अंडा तो हमें भी नहीं देना पड़ा!" दूसरा मंत्री हँसते-हँसते बोला, "बीरबल, तुम्हारा दिमाग तो चाँद-सूरज से भी तेज़ चलता है!"
अकबर की हार (Akbar’s Defeat)
अकबर भी हँसते-हँसते अपनी कुर्सी से गिरते-गिरते बचे। उन्होंने कहा, "बीरबल, तुम्हारी चतुराई के आगे मैं हार गया! मैंने सोचा था कि इस बार तुम मूर्ख बन जाओगे, लेकिन तुमने फिर से अपनी बुद्धि से सबको हँसा दिया।"
बीरबल ने हाथ जोड़कर कहा, "हुज़ूर, आपकी साजिश बहुत मज़ेदार थी। लेकिन सच तो यह है कि ईमानदारी की जाँच तालाब के अंडों से नहीं, बल्कि दिल की सच्चाई से होती है।"
बच्चों के लिए मज़ेदार सीख (A Fun Lesson for Kids)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करना चाहिए। बीरबल ने अपनी चतुराई से अकबर की साजिश को मज़ेदार बना दिया। साथ ही, हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, क्योंकि सच्चाई ही सबसे बड़ी ताकत है। और हाँ, कभी-कभी थोड़ा मज़ाक करना भी अच्छा होता है, जैसे बीरबल ने मुर्गे की आवाज़ निकालकर सबको हँसाया! (Moral Story for Kids, Birbal’s Cleverness)
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