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मज़ेदार कहानी : मोर की सीख

बच्चों, आज मैं तुम्हें एक ऐसी मजेदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो चतुराई और दोस्ती का सबक देती है। यह कहानी है तीन शरारती दोस्तों और उनके एक समझदार साथी की, जो एक गांव में रहते थे।

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बच्चों, आज मैं तुम्हें एक ऐसी मजेदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो चतुराई और दोस्ती का सबक देती है। यह कहानी है तीन शरारती दोस्तों और उनके एक समझदार साथी की, जो एक गांव में रहते थे। इसमें एक मोर की चतुराई भी शामिल है, जो कहानी को और रोमांचक बनाती है। तो चलो, इस हंसोड़ सफर में डुबकी लगाते हैं और कुछ नया सीखते हैं!

कहानी की शुरुआत: चार दोस्तों का गांव

एक हरे-भरे गांव में चार दोस्त रहते थे—अर्जुन, विनय, और किशन, जो हमेशा शरारतों में मशगूल रहते थे, और उनका चौथा साथी था गोविंद, जो बड़ा सच्चा और नेकदिल था। अर्जुन, विनय, और किशन का शौक था लोगों को चकमा देना और उनकी चीजें हड़प लेना, लेकिन गोविंद हमेशा उनकी इस हरकत को रोकने की कोशिश करता था। वह गांव वालों की मदद करता और उन्हें इन शरारती दोस्तों के जाल से बचाता था। गांव में उनकी यह कहानी मशहूर थी, लेकिन तीनों अपनी शरारतों से बाज नहीं आते थे।

एक दिन गांव के पास एक बड़ा मेला लगा। वहां एक किसान, रामलाल, ने एक मजबूत गधा खरीदा, जो उसकी खेती में काम आएगा। रामलाल गधे को लेकर अपने गांव की ओर चल पड़ा। रास्ते में अर्जुन और उसके दोस्तों ने उसे देख लिया। बस, उनके दिमाग में एक नई चाल चलने की योजना बन गई—कैसे इस भोले-भाले किसान का गधा हथिया लिया जाए। वे आपस में फुसफुसाने लगे और एक शरारती प्लान बनाने बैठ गए।

योजना और चाल की शुरुआत

कुछ देर सोच-विचार के बाद अर्जुन, विनय, और किशन ने एक तरकीब निकाली। वे हंसते-हंसते रामलाल के पास पहुंचे और बोले, “अंकल, लगता है आप बहुत दूर से आए हैं। आप थक गए होंगे। आइए, थोड़ा आराम कर लीजिए और हमारे साथ कुछ समय बिताइए।” रामलाल, जो बहुत सीधा-सादा इंसान था, उनकी मिठास भरी बातों में आ गया। उसने सोचा, “ये लड़के तो बहुत अच्छे हैं,” और अपनी थकान को देखते हुए रुक गया। उसने अपना गधा एक पेड़ से बांध दिया और अपना सामान भी वहीं रख दिया।

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अर्जुन और उसके दोस्तों ने रामलाल का भरोसा जीतने के लिए अपना बैग भी उसके सामान के पास रख दिया। फिर विनय ने चालाकी से कहा, “चलो, थोड़ी देर खेल-कूद कर लेते हैं। इससे थकान दूर हो जाएगी!” रामलाल उनकी बातों में फंस गया और बोला, “ठीक है, खेलते हैं!” फिर चारों छुपम-छुपाई का खेल शुरू करने लगे। एक-एक करके सब छिपने और ढूंढने लगे। जब रामलाल की बारी आई, तो अर्जुन और उसके दोस्तों के चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई। उन्होंने सोचा, “जैसे ही ये आंखें बंद करेगा, हम उसका गधा और सामान लेकर भाग निकलेंगे!”

वे थोड़ी दूर जाकर छिप गए, ताकि रामलाल को शक न हो। लेकिन यह सब गोविंद की नजरों से छिपा नहीं था। वह चुपचाप सब देख रहा था और सोच रहा था कि इन शरारती दोस्तों को कैसे रोका जाए।

गोविंद की चतुराई और मोर का आगमन

गोविंद ने सोचा, “इनका यह खेल गलत है। मुझे रामलाल को बचाना होगा।” वह धीरे से रामलाल के पास गया और फुसफुसाकर बोला, “अंकल, ये लड़के आपको ठगने की योजना बना रहे हैं। सावधान रहिए!” रामलाल को सचाई जानकर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह चतुराई से काम लेना चाहता था। उसने गोविंद का धन्यवाद किया और एक तरकीब सोची।

तभी जंगल में एक सुंदर मोर दिखाई दिया, जो अपनी रंग-बिरंगी पूंछ हिलाते हुए पास आया। रामलाल को एक आइडिया आया। उसने गोविंद से कहा, “तुम इन लड़कों को व्यस्त रखो, मैं अपना प्लान लागू करता हूँ।” गोविंद ने अर्जुन और उसके दोस्तों को दूर बुलाकर उनसे बातें शुरू कर दी, ताकि उनका ध्यान भटके। उधर, रामलाल ने चुपचाप अपना गधा और अपना सामान तैयार किया। उसने अर्जुन, विनय, और किशन का बैग भी उठा लिया और गधे पर लाद दिया।

जब मोर ने अपनी आवाज से चहचहाहट की, तो रामलाल ने सोचा, “यह मोर मेरी मदद कर रहा है!” वह हंसते हुए गधे पर सवार होकर अपने गांव की ओर चल पड़ा, अपने साथ तीनों शरारती दोस्तों का सामान भी लेते हुए।

शरारत का अंत और सबक

काफी देर तक रामलाल उन्हें ढूंढने नहीं आया। अर्जुन, विनय, और किशन परेशान होकर पेड़ के नीचे लौटे। लेकिन वहां न तो रामलाल था, न उसका गधा, और न ही उनका अपना सामान! वे एक-दूसरे को देखते रह गए और सोचने लगे, “यह क्या हो गया?” फिर गोविंद सामने आया और हंसते हुए बोला, “दोस्तों, चोर बनने की कोशिश में खुद ठगे गए। अब समझे न, शरारत का क्या अंजाम होता है?”

तीनों का माथा ठनका। उन्होंने अपना सिर पीट लिया और सोचा, “हम तो दूसरों को बेवकूफ बनाने गए थे, लेकिन खुद ही बेवकूफ बन गए!” उधर, रामलाल अपने गांव पहुंचकर अपनी चतुराई और गोविंद की मदद की तारीफ करने लगा। गांव वालों ने गोविंद को सच्चे दोस्त का तमगा दे दिया, और मोर की चहचहाहट अब गांव की नई कहानी बन गई।

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अर्जुन, विनय, और किशन ने फैसला किया कि अब वे शरारत छोड़कर अच्छे काम करेंगे। गोविंद ने उन्हें माफ कर दिया और कहा, “दोस्ती में सच्चाई सबसे बड़ी होती है।” उस दिन से वे चारों एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर गांव की मदद करने लगे, और मोर की कहानी बच्चों के बीच मशहूर हो गई।

सीख 

“चोर को चतुराई: मोर की सीख” बच्चों को सच्चाई और चतुराई का सबक देती है। अर्जुन, विनय, और किशन की शरारतें उन्हें सबक सिखाती हैं कि गलत काम का अंत अच्छा नहीं होता। गोविंद और मोर की मदद से रामलाल की जीत दिखाती है कि सच्चाई और समझदारी हर मुश्किल को हल कर सकती है। यह कहानी बच्चों को दोस्ती और नैतिकता का महत्व सिखाती है।

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