लालची बंदर की कहानी: चने ने पकड़वाया (The Greedy Monkey’s Tale: Trapped by Chickpeas)

"लालची बंदर की कहानी" में एक शरारती बंदर चिंटू रामू चाचा के घर में उत्पात मचाता है। नौकर छोटू एक चाल चलता है और चने से भरी सुराही रखकर बंदर को फँसाता है। लालच के कारण बंदर चने नहीं छोड़ता

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The Greedy Monkey Tale Trapped by Chickpeas
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"लालची बंदर की कहानी" में एक शरारती बंदर चिंटू रामू चाचा के घर में उत्पात मचाता है। नौकर छोटू एक चाल चलता है और चने से भरी सुराही रखकर बंदर को फँसाता है। लालच के कारण बंदर चने नहीं छोड़ता और पकड़ा जाता है। (Greedy Monkey Story in Hindi, Animal Tale for Kids)

कहानी: लालच का नुकसान (The Story: The Downfall of Greed)

एक छोटे से गाँव में रामू चाचा का घर था। उनके घर के पास एक बड़ा-सा पेड़ था, जहाँ एक शरारती बंदर रहता था। उसका नाम था चिंटू। चिंटू रोज रामू चाचा के घर आता और खूब उत्पात मचाता। कभी वो रसोई में घुसकर बर्तनों को इधर-उधर फेंक देता, कभी बच्चों के कपड़े फाड़ देता, तो कभी उनके खाने का सामान चुराकर भाग जाता। रामू चाचा का बेटा मिंटू रोते हुए कहता, "पापा, ये बंदर तो बहुत परेशान करता है! आज इसने मेरा नया कुरता फाड़ दिया।"

रामू चाचा की पत्नी भी परेशान थीं। वो बोलीं, "हाँ रामू, ये बंदर तो हद कर देता है। कल इसने मेरी थाली से सारी रोटियाँ चुरा लीं। कुछ करना पड़ेगा!" लेकिन रामू चाचा हँसते हुए कहते, "अरे, ये तो जंगल का मासूम जानवर है। इसे थोड़ा खाने-पीने का सामान दे देते हैं। बेचारा भूखा होगा।" उनके परिवार को बंदर से कोई बड़ी शिकायत नहीं थी, लेकिन उसकी शरारतों से सब तंग आ चुके थे।

नौकर की चालाकी

एक दिन रामू चाचा के नौकर छोटू ने कहा, "मालिक, अब बहुत हो गया! मैं इस लालची बंदर को सबक सिखाऊँगा। आज इसे पकड़कर दूर जंगल में छोड़ आऊँगा।" रामू चाचा ने हँसते हुए कहा, "अरे छोटू, देखते हैं तेरा प्लान काम करता है कि नहीं। लेकिन सावधानी से करना, कहीं ये बंदर तुझे न काट ले!"

छोटू ने एक तरकीब सोची। उसने घर के सारे लोगों को बाहर जाने को कहा। बोला, "मालिक, आप सब बाहर चले जाइए। मैं इस बंदर को अकेले में पकड़ लूँगा।" रामू चाचा और उनका परिवार बाहर चले गए। थोड़ी देर बाद चिंटू बंदर उछलता-कूदता घर में घुस आया। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन उसे कुछ खाने को नहीं मिला। जैसे ही वह बाहर निकलने को हुआ, उसकी नजर एक पतले मुँह वाली मिट्टी की सुराही पर पड़ी। सुराही में ढेर सारे भुने हुए चने रखे थे। चिंटू की आँखें चमक उठीं।

लालच में फँसा बंदर

चिंटू ने सोचा, "वाह! आज तो मजे हो गए! इतने सारे चने!" उसने फट से सुराही में हाथ डाल दिया और एक बड़ी मुट्ठी चने पकड़ लिए। लेकिन सुराही का मुँह बहुत पतला था। जब उसने अपनी बंद मुट्ठी बाहर निकालने की कोशिश की, तो उसका हाथ बाहर नहीं आया। चिंटू घबरा गया। उसने जोर-जोर से सुराही को हिलाया, कूदने लगा, और चिल्लाने लगा, "अरे, ये तो नहीं निकल रहा!" लेकिन उसने अपनी मुट्ठी नहीं खोली, क्योंकि वह लालची था और चने छोड़ना नहीं चाहता था।

बंदर की पकड़

इधर, छोटू छुपकर सब देख रहा था। उसने मौका देखते ही एक रस्सी ली और चिंटू को पकड़ लिया। चिंटू अब भी सुराही में हाथ डाले चिल्ला रहा था। छोटू ने हँसते हुए कहा, "अरे लालची बंदर, चने छोड़ देता तो बच जाता! अब तो तू पकड़ा गया!" छोटू ने उसे रस्सी से बाँधकर दूर जंगल में छोड़ दिया। जब रामू चाचा और उनका परिवार वापस आए, तो छोटू ने सारी बात बताई। मिंटू खुश होकर बोला, "छोटू भैया, तुमने तो कमाल कर दिया! अब हमारा घर सुरक्षित है।"

सीख (Moral of the Story)

बच्चों, इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि लालच करना बुरी बात है। चिंटू बंदर ने लालच में चने नहीं छोड़े और पकड़ा गया। हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए, वरना हम मुसीबत में फँस सकते हैं। हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए। (Lesson on Greed, Moral Story for Kids)

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