जंगल की मज़ेदार कहानी - बीस रूपये के चीकू छोटू हाथी को जंगल में फलों की दुकान लगाए बहुत अधिक समय नहीं हुआ था। फिर भी उसकी आय काफी अच्छी होने लगी थी। छोटू हाथी बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। वह सदा अच्छे फल खरीदकर लाता। उन्हें साफ रखता और यदि कभी कोई फल गलसड़ जाता तो वह किसी को नहीं देता, बल्कि उसे फेंक देता। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 18:18 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update बाल कहानी : (Hindi Kids Story) बीस रूपये के चीकू- छोटू हाथी को जंगल में फलों की दुकान लगाए बहुत अधिक समय नहीं हुआ था। फिर भी उसकी आय काफी अच्छी होने लगी थी। छोटू हाथी बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। वह सदा अच्छे फल खरीदकर लाता। उन्हें साफ रखता और यदि कभी कोई फल गलसड़ जाता तो वह किसी को नहीं देता, बल्कि उसे फेंक देता। छोटू सदा ही हंसकर बातें करता और ग्राहकों से मजाक भी करता रहता। क्यों छोटू जी, आज कौन से फल बढ़िया हैं, आपके पास? भूरू भालू के पूछने पर छोटू चहक पड़ा, आज तो तुम मेरे जैसा तरबूज ले जाओ। अरे नहीं भाई, तुम्हारे जैसा तरबूज उठाकर कौन ले जाएगा? तो फिर चीकू ले जाओ। तुम्हारे बिना दाँतों के मुंह में जाते ही घुल जाएंगे। भूरी भाभी भी खुश हो जाएगी। ऐसे रसीला चीकू देखकर। उसी को खुश करने के लिए तो आया हूँ। कल उसका भाई जो आ रहा है। भूरू भालू ने कहा तो छोटू हाथी ने भी उसी लहजे में बात बताई, तब तो सेब भी ले जाओ। भाभी के भाई के लिए यह बताओ कि चीकू की पेटी कितने रूपये की है? वैसे तो 60 की है, पर मैं तुम्हें 50 रूपये में ही दे दूंगा। तो ठीक है, एक पेटी चीकू की ही दे दो। और पढ़ें : जंगल कहानी : जंगल में स्कूल इतना कहकर भूरू ने अपनी जेब से रूपये निकाले और गिनने लगा। तब तक मोटू हाथी चीकू की पेटी का ढक्कन बन्द करके उस पर कीलें ठोंकने लगा।अरे, मेेरे पास तो केवल तीस रूपये ही निकले हैं, भाई। भूरू ने सकुचाते हुए कहा। तो इसमें चिन्ता की कौन सी बात है। तुम चीकू ले जाओ। बीस रूपये बाद में दे देना। मोटू ने हँसते हुए कहा नहीं भाई, उधार तो मैं नहीं रखूंगा। ऐसा करो, तुम इस पेटी को उठाकर अन्दर रख दो। इस समय तो ये तीस रूपये ही रख लो। शाम तक मैं तुम्हारे बाकी रूपये देकर यह पेटी ले जाऊँगा।छोटू के कई बार कहने पर भी भूरू चीकू की पेटी नहीं लेकर गया। उधर चमकी लोमड़ी पेड़ के पीछे छिपी छोटू हाथी और भूरू भालू की सारी बातें सुन रही थी। वह तो सदा ही दूसरे जानवरों को उल्लू बनाकर अपना काम निकालने के चक्कर में रहती थी। उस समय भी उसके दिमाग में एक तरकीब आई और वह मन ही मन खुश होते हुए वहां से चली गई। शाम को अंधेरा होने पर चमकी मोटू हाथी की दुकान पर आई थकी थकी सी आवाज में बोलने लगी, अब तुम ही बाताओ छोटू भैया, भला किसी की सहायता करने में कोई हर्ज है क्यां?नहीं तो चमकी बहन, यह तो अच्छी बात है कि हम एक दूसरे की सहायता करें। और पढ़ें : जंगल कहानी : मारे डर के हुआ बुरा हाल यही तो मैं कहती हूं, वह अपना भालू है न, उसके साले को कल आना था, लेकिन वह आज ही आ गया। भूरू तुम्हारे पास चीकू की पेटी रखकर गया था। तीस रूपये भी दे गया था। अभी उसने मुझे बीस रूपये देकर वह पेटी लाने को कहा है। चमकी लोमड़ी की बात सुनकर छोटू हाथी गहरी सोच में डूब गया। अच्छा तो तुम भूरू भालू के लिए चीकू की पेटी लेने आई हो? हां भैया, और यह लो अपने बाकी के बीस रूपये। तुम्हें थोड़ी देर रूकना पड़ेगा बहन, असल में भूरू की पेटी तो मैंने बेच दी। पर मैं अभी दूसरी पेटी अन्दर से लाकर देता हूँ।इतना कहकर छोटू दुकान के अन्दर गया और कुछ देर बाद चीकू की पेटी लेकर बाहर आ गया। चमकी ने उसे बीस रूपये दिये और पेटी सिर पर उठाकर चल पड़ी।कुछ दूर जाकर वह तेज तेज कदम बढ़ाने लगी मन ही मन खुश हुई वह जल्दी से घर पहुँच कर सबको अपनी बुद्धिमत्ता की बात बताना चाहती थी। कि उसने कैसे बीस रूपये में पचास रूपये के चीकू हथियाए हैं। घर पहुंचकर चमकी लोमड़ी ने बच्चों को बुलाया। पेटी खोलकर सब चीकू खाने लगे। पर यह क्या? ऊपर के चीकू हटाते ही नीचे एक बड़ा सा कागज निकला। उस पर लिखा था। बीस रूपये में तो इतने ही चीकू आते हैं। कागज के नीचे घास फूस और कंकर भरे हुए थे। यह देखते ही लोमड़ी समझ गई कि आज उसकी चाल नहीं चली। अवश्य ही भूरू भालू उसके पहले ही अपने चीकू ले गया होगा।चमकी लोमड़ी को एक चीकू निगलना भी भारी पड़ रहा था। वह उठकर वहां से चल दी। Facebook Page और पढ़ें : जंगल कहानी: वनराज की अदालत #Lotpot Hindi #Bal kahani #Hindi Kids Story #Best Hindi Stories #Mazedar Kahania You May Also like Read the Next Article