जंगल की मज़ेदार कहानी - बीस रूपये के चीकू
Web Stories: छोटू हाथी को जंगल में फलों की दुकान लगाए बहुत अधिक समय नहीं हुआ था। फिर भी उसकी आय काफी अच्छी होने लगी थी। छोटू हाथी बहुत ही ईमानदार और मेहनती था।
Web Stories: छोटू हाथी को जंगल में फलों की दुकान लगाए बहुत अधिक समय नहीं हुआ था। फिर भी उसकी आय काफी अच्छी होने लगी थी। छोटू हाथी बहुत ही ईमानदार और मेहनती था।
Web Stories: कालू नाम का एक भालू गाँव के बाहर वाले जंगल में रहता था। वह देखने में जितना काला कलूटा था। मन से उससे भी अधिक काला था। ऊपर से मीठी मीठी बातें करता था और
कालू नाम का एक भालू गाँव के बाहर वाले जंगल में रहता था। वह देखने में जितना काला कलूटा था। मन से उससे भी अधिक काला था। ऊपर से मीठी मीठी बातें करता था और मौका मिलते ही उन्हें चट कर देता। छोटे जानवर तो प्रायः चिकनी चुपड़ी बातों के जाल में फंस ही जाते थे।
छोटू हाथी को जंगल में फलों की दुकान लगाए बहुत अधिक समय नहीं हुआ था। फिर भी उसकी आय काफी अच्छी होने लगी थी। छोटू हाथी बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। वह सदा अच्छे फल खरीदकर लाता। उन्हें साफ रखता और यदि कभी कोई फल गलसड़ जाता तो वह किसी को नहीं देता, बल्कि उसे फेंक देता।
सुन्दर बन्दर के वन की जनसंख्या बहुत कम थी, सुन्दर बन्दर अपने पिता के साथ उसी वन में रहता था। उसकी बन्दरिया माँ उसको बचपन में ही छोड़ गई थी। सुन्दर बन्दर को बचपन से ही पढ़ने का बड़ा शौक था। उसने अपने पिता से ज़िद करके जंगल से दूर एक स्कूल में दाखिला ले लिया था
चंपक वन में भोलू खरगोश रहता था। वह बहुत ईमानदार था। खेती करके गुजारा करता था। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक थी। जितना मिल जाता उसी में गुजर-बसर कर लेता था।
एक बार की बात हैं। कुछ बच्चे मैदान में खेल रहे थे। तभी चिड़ियों का एक झंुड उड़ता हुआ आया और मैदान के एक कोने में दाना चुगने लगा। नन्हीं-नन्हीं रंग-बिरंगी चिड़ियों को फुदकता देख लड़के उनकी ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रहे सके।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) नये साल की कसम : लोमड़ मामा डींग हाँकने में सबसे आगे था। कहीं कोई बात निकलती तो वह कहता। इसमें बड़ी बात क्या है? यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। कभी कहता, मैंने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये।
बाल कहानी : (Hindi Kids Story) राशि की भूख हड़ताल नहीं...नहीं...नहीं, जब तक ‘मेरा नया बस्ता नहीं आ जाता मैं खाना नहीं खाऊँगी राशि ने चीख कर कहा। ‘पर तुम्हें नये बस्ते की क्या जरूरत है, बेटी?’ माँ ने उसे समझाना चाहा, ‘तुम्हारा बस्ता तो बिल्कुल नया है, प्यारा सा’ उन्होंने बस्ता हाथ में लेकर कहा।