Stories बाल कहानी : बुझते चिराग सावन का महीना था, पूर्णिमा से दो दिन पहले ही रीटा राखियाँ लेकर अपने गाँव चली गई। शंभू भईया गाँव में ही रहते थे। डाॅक्टरी पढ़कर लौटे थे तो शहर में नौकरी लगी थी पर वह गए नहीं। उनका कहना था कि पढ़ लिखकर सभी युवक यदि गाँव छोड़कर शहर में बस जायेंगे तो गाँव का उत्थान कैसे होगा। By Lotpot 10 Jun 2020