प्रेरणादायक कहानी : भगवान का घर

एक दिन एक अमीर व्यापारी किसी काम से एक गांव में जा रहा था। बारिश का मौसम था, झमाझम बारिश हो रही थी और रास्ते में जगह जगह गड्ढों में पानी भरा हुआ था। अचानक रास्ते में गाड़ी खराब हो गई।  व्यापारी के साथ कोई नहीं था।

By Lotpot
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Inspirational Story: The House of God

भगवान का घर : एक दिन एक अमीर व्यापारी किसी काम से एक गांव में जा रहा था। बारिश का मौसम था, झमाझम बारिश हो रही थी और रास्ते में जगह जगह गड्ढों में पानी भरा हुआ था। अचानक रास्ते में गाड़ी खराब हो गई।  व्यापारी के साथ कोई नहीं था। उसने गाड़ी सड़क किनारे खड़ी कर दी और किसी वाहन का इंतजार करने लगा। लेकिन घनघोर बारिश और तूफान की वज़ह से सड़क सुनसान था।

शाम ढलने लगी तो व्यापारी को चिंता सताने लगी। अचानक उसने देखा एक गरीब व्यक्ति साइकल से गुजर रहा है। सड़क किनारे अपनी गाड़ी में बैठे बैठे उसने साइकल सवार को आवाज़ देकर रोका और पूछा कि कहीं कोई गाड़ी का मेकैनिक मिल सकता है क्या? साइकल सवार ने बताया कि इतनी बारिश में दूर दूर तक उसे कोई मेकैनिक नहीं मिलेगा। यह सुनकर व्यापारी चिंतित हो उठा ।

तब साइकल सवार ने बड़ी विनम्रता से कहा, "भाईसाहब, अगर आप चाहें तो पास ही बने भगवान के घर में आज रात विश्राम कर सकते हैं, वहां आपको रहने की सारी सुविधाएं मिलेगी।" व्यापारी राज़ी हो गया, उसने सोचा कि आज रात मंदिर में ठहर कर अगले दिन सुबह वो गाड़ी मरम्मत का कोई रास्ता देख लेगा। साइकिल सवार ने उसे अपनी साइकिल पर बिठाया और चल पड़ा। थोड़ी देर में दोनों एक छोटे से  मकान के सामने पंहुच गए। साइकिल वाले ने दरवाजा खटखटाया तो एक स्त्री ने दरवाजा खोला।

व्यापारी को संबोधित करते हुए साइकल वाले ने कहा, "यह मेरी पत्नी है, इस भगवान के घर में सिर्फ हम दोनों रहते हैं, हमारे बच्चे शहर में नौकरी करते हैं। आइए अंदर पधारिए और आराम से बैठ जाइए।" थोड़ी ही देर में साइकल वाले की पत्नी  गर्म गर्म चाय नाश्ता ले आई। रात का खाना भी पकने लगा। " व्यापारी को सबकुछ बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन उसे एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि साइकल वाले ने अपने घर को भगवान का घर क्यों कहा, यह कोई मंदिर तो है नहीं।

आखिर उससे रहा नहीं गया तो उसने पूछ ही लिया कि वो क्यों अपने मकान को भगवान का घर कह रहा है? लोग तो अक्सर यही कहते है कि मेरे घर में भगवान विराजमान है या मेरे घर में भगवान के लिए पूजाघर बनवाया है, या मेरे घर में भगवान आएँ हैं।" यह सुनकर साइकल वाले व्यक्ति ने कहा, "हाँ, आपने ठीक कहा, अक्सर लोग यही कहते हैं कि घर हमारा है और भगवान हमारे घर में विराजमान है। लेकिन हम ऐसा नहीं कहते क्योंकि अगर हम अपना घर कहेंगे तो उसमें हम अपनी इच्छानुसार कुछ भी उल्टा पुल्टा काम कर सकते है, लेकिन अगर हमने 'भगवान का घर' कहा तो हम वहां कोई गलत, अनाचार वाले काम नहीं कर सकते और हमेशा उन्हीं सद-विचारों में रहते हैं जैसे हम सब मन्दिर के अंदर होते हैं।

और मजे की बात यह है कि जैसा कि लोग बोलते हैं कि मृत्यु के बाद हमें भगवान के घर जाना है, तो उस हिसाब से देखा जाए तो हम जीते जी ही भगवान के घर रहने का सुख प्राप्त कर रहे है।" उस गरीब व्यक्ति के इतने सुन्दर विचार से व्यापारी बहुत प्रेरित हुआ और उसने भी अपने घर को भगवान का घर कहने का मन बना लिया।

★सुलेना मजुमदार अरोरा★

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