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Interesting Facts- आप अपने घर में केबल और स्मार्टफोन पर इंटरनेट का जो मजा ले रहे हैं, क्या आप जानते हैं इसके लिए क्या-क्या जतन किए जा रहे हैं? क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ रहे हैं? नहीं जानते ना, चलिए हम आपको बताते हैं।
आप तक इंटरनेट दो तकनीक से पहुंचता है:
एक है केबल और दूसरा है सैटेलाइट।
सैटेलाइट से इंटरनेट को सारी दुनिया में पहुंचाना बहुत महंगा साधन है, इसलिए यह काम केबल्स के जरिए किया जाता है। यह भी कोई सस्ता साधन नहीं है, हां, सैटेलाइट से बहुत ही सस्ता है।
मैदानी और पहाड़ी इलाके में तो यह आसान है, लेकिन मुश्किल तब आ जाती है जब केबल्स बिछाने के रास्ते में समुद्र आ पड़ते हैं। पूरी दुनिया में समुद्र के बहुत नीचे डेटा केबल्स का संजाल बिछा हुआ है। समुद्र में कई हजार मील तक दौड़ने वाली इन केबल्स को फाइबर ऑप्टिक केबल कहते हैं।
समुद्र में डेटा केबल्स बिछाने के काम की शुरुआत लैंडिंग स्टेशन से की जाती है। इन केबल्स को सबमरीन कम्युनिकेशन कहा जाता है। इन्हें लगाने के लिए खास केबल-लेयर नावों का इस्तेमाल किया जाता है। इन केबल्स को समुद्र की सतह के अंदर हाई प्रेशर वाटर जेट की मदद से गाड़ दिया जाता है।
इनके बिछाने में करीब 100-200 किलोमीटर लंबी केबल एक दिन में बिछाई जाती है। ये केबल एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज़्यादा गहराई में बिछाई जाती हैं। इनके बिछाने में काफ़ी पैसे लगते हैं, जिन्हें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियां निवेश करती हैं।
इसके अलावा, क्षतिग्रस्त पनडुब्बी के केबलों की मरम्मत करना भी कठिन है। मरम्मत के लिए विशेष जहाज भेजे जाते हैं, जो रोबोट का उपयोग करते हुए क्षतिग्रस्त केबल को पकड़कर सतह तक खींचते हैं। इस प्रकार, इंटरनेट का जाल बिछाने और उसकी देखभाल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जो तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों की आवश्यकता रखता है।