दिल्ली का इतिहास: दिल्ली के इतिहास के बारे में रोचक तथ्य

दिल्ली, भारत की राजधानी, न सिर्फ एक शहर है बल्कि इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज भी है। यहाँ की गलियों, स्मारकों और बाजारों में सैकड़ों सालों का इतिहास बसा है। दिल्ली ने कई साम्राज्यों का उदय और पतन देखा है

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दिल्ली, भारत की राजधानी, न सिर्फ एक शहर है बल्कि इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज भी है। यहाँ की गलियों, स्मारकों और बाजारों में सैकड़ों सालों का इतिहास बसा है। दिल्ली ने कई साम्राज्यों का उदय और पतन देखा है—तोमर राजपूतों से लेकर मुगलों और अंग्रेजों तक। आइए, दिल्ली के इतिहास से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर नजर डालें, जो आपको हैरान कर देंगे।

1. दिल्ली का प्राचीन नाम: इंद्रप्रस्थ

दिल्ली का इतिहास महाभारत काल तक जाता है। माना जाता है कि दिल्ली को पहले इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जो पांडवों की राजधानी थी। पुराना किला क्षेत्र को इंद्रप्रस्थ का स्थान माना जाता है, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए पुरातात्विक साक्ष्य सीमित हैं। फिर भी, यह किवदंती दिल्ली को एक पौराणिक महत्व देती है।

2. सात बार बनी दिल्ली

दिल्ली को "सात शहरों की दिल्ली" कहा जाता है, क्योंकि यह कई बार बनी, बर्बाद हुई और फिर से बसाई गई। इतिहासकारों के अनुसार, 3000 ईसा पूर्व से 17वीं सदी तक दिल्ली ने अपने स्थान को सात बार बदला। कुछ विद्वान छोटे कस्बों और किलों को मिलाकर यह संख्या 15 तक मानते हैं। इनमें लालकोट, सिरि, तुगलकाबाद, फिरोजाबाद और शाहजहानाबाद जैसे शहर शामिल हैं।

3. तोमर राजपूतों ने की स्थापना

दिल्ली की नींव 8वीं सदी में तोमर राजपूतों ने रखी थी। राजा अनंगपाल तोमर ने इसे डिल्लिका के रूप में विकसित किया। बाद में चौहान, मुगल और पठानों ने यहाँ शासन किया। तोमरों का योगदान दिल्ली के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है।

4. कुतुब मीनार: दुनिया की सबसे ऊँची ईंट मीनार'

qutub minar

कुतुब मीनार, जिसकी नींव 1200 ईस्वी में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने रखी, दुनिया की सबसे ऊँची ईंट मीनार है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और दिल्ली सल्तनत की जीत का प्रतीक है। मीनार की नक्काशी और वास्तुकला आज भी देखने लायक है।

5. लाल किला पहले था सफेद

मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1639 में लाल किला बनवाया, जो आज दिल्ली का एक प्रमुख स्मारक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पहले सफेद रंग का था? पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, लाल किला चूना पत्थर से बना था। जब चूना पत्थर छिलने लगा, तो अंग्रेजों ने इसे लाल रंग से रंग दिया।

6. 1911 में बनी भारत की राजधानी

दिल्ली हमेशा से भारत की राजधानी नहीं थी। ब्रिटिश शासन के दौरान कोलकाता राजधानी थी। लेकिन 1911 में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने दिल्ली को नई राजधानी घोषित किया। नई दिल्ली को ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया, जिसे आज लुटियंस दिल्ली भी कहते हैं।

7. खारी बावली: एशिया का सबसे बड़ा मसाला बाजार

खारी बावली: एशिया का सबसे बड़ा मसाला बाजार

पुरानी दिल्ली में स्थित खारी बावली बाजार 17वीं सदी से सक्रिय है और यह एशिया का सबसे बड़ा थोक मसाला बाजार है। यहाँ मसाले, सूखे मेवे, जड़ी-बूटियाँ और चाय जैसी चीजें बिकती हैं। इसकी खुशबू और रंग पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।

8. दिल्ली की दीवारें और 14 दरवाजे

मध्यकाल में दिल्ली एक दीवारों से घिरा शहर था, जिसे शाहजहानाबाद कहा जाता था। इसकी सुरक्षा के लिए 14 दरवाजे बनाए गए थे, जिनमें से आज सिर्फ 5 बचे हैं—कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट, लाहौरी गेट, दिल्ली गेट और तुर्कमान गेट। ये दरवाजे दिल्ली के ऐतिहासिक अतीत की याद दिलाते हैं।

9. सुलभ इंटरनेशनल म्यूजियम ऑफ टॉयलेट्स

दिल्ली में एक अनोखा संग्रहालय है—सुलभ इंटरनेशनल म्यूजियम ऑफ टॉयलेट्स। 1992 में डॉ. बिंदेश्वर पाठक द्वारा स्थापित यह म्यूजियम स्वच्छता और शौचालयों के इतिहास को प्रदर्शित करता है। यह संग्रहालय दुनिया भर में अपनी अनोखी थीम के लिए मशहूर है।

10. 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स: सबसे महंगा आयोजन

2010 कॉमनवेल्थ गेम्स: सबसे महंगा आयोजन

2010 में दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स अब तक का सबसे महंगा कॉमनवेल्थ आयोजन था। इसकी लागत को लेकर काफी विवाद भी हुआ, लेकिन इसने दिल्ली को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई।

निष्कर्ष

दिल्ली का इतिहास सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है; यह यहाँ के किलों, बाजारों और सड़कों में बिखरा पड़ा है। यह शहर न केवल भारत का राजनीतिक केंद्र है, बल्कि एक ऐसी जगह भी है जो इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का अनूठा संगम पेश करता है। अगर आप दिल्ली की सैर करने जा रहे हैं, तो इन रोचक तथ्यों को जरूर याद रखें।

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