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सीढ़ियों से गूंजता संगीत: ऐरावतेश्वर मंदिर की जादुई कहानी- हाय, छोटे दोस्तों! आज हम एक ऐसे मंदिर की सैर पर चलते हैं, जहाँ की सीढ़ियाँ संगीत बजाती हैं! है ना मज़ेदार? यह मंदिर इतना खास है कि यहाँ की हर सीढ़ी एक अलग धुन छेड़ती है, जैसे कोई जादुई संगीत बजा रहा हो। चलो, इस जादुई मंदिर के बारे में और जानते हैं।
मंदिर का नाम और जगह
यह मंदिर है ऐरावतेश्वर मंदिर, जो तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर के पास, सिर्फ़ 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे 12वीं शताब्दी में राजा राज चोल द्वितीय ने बनवाया था। उस समय के राजा बहुत समझदार थे और उन्होंने इस मंदिर को इतना खूबसूरत बनाया कि आज भी लोग इसे देखकर हैरान हो जाते हैं। यह मंदिर न सिर्फ़ पूजा-पाठ के लिए मशहूर है, बल्कि अपनी अनोखी खासियतों की वजह से भी लोगों का दिल जीत लेता है। (Airaavateshwara Temple Tamil Nadu, Musical Steps Temple)
क्यों खास है यह मंदिर?
इस मंदिर की सबसे मज़ेदार बात यह है कि यहाँ की सीढ़ियाँ संगीत की धुन छेड़ती हैं! मंदिर के मुख्य द्वार पर पत्थर की बनी एक खास सीढ़ी है। जैसे ही तुम इन सीढ़ियों पर कदम रखते हो, हर कदम पर एक अलग धुन सुनाई देती है—जैसे सारेगामा के सात सुर! अगर तुम लकड़ी या पत्थर से सीढ़ी को ऊपर से नीचे तक रगड़ो, तो संगीत के सातों सुर सुनाई देते हैं। और मज़े की बात, तुम्हें रगड़ने की भी ज़रूरत नहीं—बस सीढ़ियों पर चलो और धुन सुनो! यह जादू उस समय के कारीगरों ने बनाया था, जो पत्थरों को इस तरह तराशते थे कि उनसे संगीत निकलने लगे। है ना कमाल? यह मंदिर न सिर्फ़ धार्मिक है, बल्कि अपनी खूबसूरत नक्काशी और द्रविड़ शैली की वास्तुकला के लिए भी मशहूर है। (Musical Steps of Airaavateshwara Temple, Dravidian Architecture)
मंदिर की जादुई बनावट
ऐरावतेश्वर मंदिर में पत्थरों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। यहाँ रथ की आकृति बनी है, जो बहुत खूबसूरत लगती है। मंदिर की दीवारों पर इंद्र, अग्नि, ब्रह्मा, विष्णु, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी जैसे कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनी हैं। मंदिर को द्रविड़ शैली में बनाया गया है, जो उस समय की खास वास्तुकला थी। इसमें ऊँचे-ऊँचे गोपुरम (मंदिर के प्रवेश द्वार) और पत्थरों की बारीक कारीगरी देखने को मिलती है। समय के साथ मंदिर के कुछ हिस्से टूट गए हैं, लेकिन जो बचे हैं, वे आज भी बहुत मज़बूत हैं। मंदिर का नाम ऐरावतेश्वर इसलिए पड़ा, क्योंकि यहाँ इंद्र के सफेद हाथी ऐरावत ने भगवान शिव की पूजा की थी। ऐरावत एक जादुई हाथी था, जो बहुत शक्तिशाली था। (Shiva Temple History, Airaavateshwara Name Origin)
वहाँ कैसे पहुँचें?
कुंभकोणम शहर से मंदिर सिर्फ़ 5 किलोमीटर दूर है। तुम ट्रेन से कुंभकोणम स्टेशन आ सकते हो, जो चेन्नई, मदुरै, त्रिची जैसे बड़े शहरों से जुड़ा है। अगर हवाई जहाज़ से आना हो, तो नज़दीकी हवाई अड्डा त्रिची अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 70 किलोमीटर दूर है। वहाँ से तुम बस, ऑटो या कैब लेकर मंदिर पहुँच सकते हो। कुंभकोणम में कई और मंदिर भी हैं, तो तुम एक दिन में वहाँ घूमकर खूब मज़े कर सकते हो। (How to Reach Kumbakonam, Airaavateshwara Temple Location)
भगवान शिव की महिमा
बच्चों, भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा जाता है। वे बहुत दयालु हैं और हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। जब भी देवताओं पर मुसीबत आई, भोलेनाथ ने उनकी मदद की। एक बार तो भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकला ज़हर पी लिया, ताकि बाकी देवता बच जाएँ। इसीलिए उनका गला नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ भी कहते हैं। देशभर में उनके मंदिर हैं, लेकिन ऐरावतेश्वर मंदिर सबसे खास है। यहाँ की सीढ़ियाँ संगीत सुनाकर तुम्हें भी हैरान कर देंगी! (Lord Shiva Temple, Magical Temple for Kids)
मंदिर की एक और मज़ेदार बात
क्या तुम्हें पता है, मंदिर के पास एक छोटा-सा तालाब भी है, जहाँ पहले लोग स्नान करते थे। उस तालाब के किनारे भी पत्थरों की नक्काशी है, जिसमें छोटे-छोटे जानवर और फूल बने हैं। मंदिर में हर साल शिवरात्रि का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। उस दिन यहाँ रंग-बिरंगी सजावट होती है और ढेर सारे लोग भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। तुम भी अपने मम्मी-पापा के साथ यहाँ आकर शिवरात्रि का मज़ा ले सकते हो! (Shivratri Celebration, Airaavateshwara Temple Fun)
तो, अगली बार मम्मी-पापा के साथ इस मंदिर ज़रूर जाना और सीढ़ियों पर संगीत सुनना! यह मंदिर तुम्हें जादू की दुनिया में ले जाएगा। (Fun Temple for Kids, Airaavateshwara Temple Visit)
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