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जंगल कहानी : अपनों की रक्षा | Jungle Story in Hindi

Apno ki Raksha कैसे की जाती है? पढ़िए वीर हिरण और गौरी की यह रोमांचक कहानी, जिन्होंने अपनी सूझबूझ से खूंखार तेंदुए के मुंह से अपने बच्चे को बचाया।

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जंगल कहानी : अपनों की रक्षा:- जंगल का कानून है—'जो ताकतवर है, वही बचता है।' लेकिन कभी-कभी परिवार का प्यार और सही समय पर ली गई समझदारी बड़ी से बड़ी ताकत को हरा देती है। आज की कहानी Apno ki Raksha इसी जज्बे को दिखाती है। यह कहानी सिखाती है कि जब परिवार पर मुसीबत आए, तो भागना नहीं, बल्कि डटकर सामना करना चाहिए।


वीर और गौरी की हिम्मत

हरे-भरे सतपुड़ा के जंगलों में 'काला हिरण' (Blackbuck) का एक झुंड रहता था। उस झुंड का सरदार तो बूढ़ा था, लेकिन उसका बेटा 'वीर' बहुत फुर्तीला और समझदार था। वीर की पत्नी का नाम 'गौरी' था और उनका एक छोटा सा, प्यारा सा बच्चा था—'चिंटू'। चिंटू अभी बहुत छोटा था, उसके सींग भी नहीं निकले थे। उसके शरीर पर सफेद चित्तियां चमकती थीं।

लालच और खतरा (Greed and Danger)

एक दोपहर, पूरा झुंड घास के मैदान में चर रहा था। चिंटू खेलते-खेलते तितलियों के पीछे भागने लगा। उसे पता ही नहीं चला कि कब वह अपने झुंड से थोड़ा दूर, घनी झाड़ियों के पास पहुंच गया।

वहीं पास में, एक पुराने महुआ के पेड़ पर 'कालिया' नाम का तेंदुआ (Leopard) घात लगाए बैठा था। कालिया की नजर चिंटू पर पड़ी। उसने सोचा, "आज तो दावत होगी। यह छोटा हिरण नरम भी है और झुंड से दूर भी।"

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कालिया ने बिना कोई आवाज किए पेड़ से छलांग लगाई और दबे पांव चिंटू की तरफ बढ़ा। सूखी पत्तियों की हल्की सी 'चर-चर' हुई। चिंटू के कान खड़े हो गए। उसने पीछे मुड़कर देखा, तो साक्षात मौत खड़ी थी। कालिया ने गुर्राते हुए छलांग लगाने की तैयारी की।

वीर और गौरी का तर्क (Logic and Strategy)

चिंटू डर के मारे ज़ोर से चिल्लाया— "मां! पिताजी!"

आवाज़ सुनते ही वीर और गौरी ने गर्दन घुमाई। उन्होंने देखा कि उनका बच्चा मौत के मुंह में है। अब यहाँ तर्क (Logic) यह कहता था कि हिरण तेंदुए से लड़ नहीं सकता, क्योंकि तेंदुआ ताकतवर होता है और उसके पास नुकीले पंजे होते हैं। अगर वे सीधे लड़ने जाते, तो मारे जाते।

लेकिन अपनों की रक्षा के लिए वीर ने तुरंत दिमाग लगाया। उसने गौरी को एक इशारा किया। गौरी समझ गई।

गौरी ने अपनी जान की परवाह किए बिना, कालिया के दाईं तरफ से ज़ोर से दौड़ लगाई और ज़मीन पर ऐसे गिरी जैसे उसे चोट लगी हो। उसने ज़ोरदार आवाज़ निकाली। कालिया का ध्यान भटका। उसने सोचा, "बच्चे को तो बाद में पकड़ लूंगा, यह बड़ी हिरणी घायल है, इसे पकड़ना आसान है।"

जैसे ही कालिया का ध्यान गौरी पर गया, वीर ने बिजली की रफ़्तार से बाईं ओर से हमला किया। उसने अपने लम्बे और पेचदार सींग (Antlers) पूरी ताकत से कालिया की पसलियों में दे मारे।

परिवार की जीत (Victory of Family)

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यह हमला इतना अचानक और सटीक था कि कालिया का संतुलन बिगड़ गया। वह लड़खड़ा कर गिर पड़ा। वीर ने उसे संभलने का मौका नहीं दिया। वह अपनी पिछली टांगों पर खड़ा हुआ और अगले खुरों से हवा में वार किया ताकि तेंदुआ डरे।

इसी बीच, गौरी फुर्ती से उठी। उसने चिल्लाकर कहा, "भाग चिंटू! खुले मैदान की तरफ!"

चिंटू ने पूरी जान लगाकर दौड़ लगाई। वीर और गौरी ने भी ज़िग-ज़ैग (टेढ़ा-मेढ़ा) दौड़ना शुरू किया। हिरणों की यह खासियत होती है कि वे खुले मैदान में तेंदुए से तेज़ भाग सकते हैं। तेंदुआ लंबी दूरी तक पीछा नहीं कर सकता, वह जल्दी थक जाता है।

तीनों भागते-भागते अपने झुंड के बीच पहुंच गए। कालिया अब कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वहां सौ से ज्यादा हिरणों के सींग उसका इंतजार कर रहे थे। वह अपनी चोट सहलाते हुए वापस अंधेरे जंगल में लौट गया।

उस रात, वीर और गौरी ने चिंटू को अपने बीच में सुलाया। चिंटू को समझ आ गया था कि उसके माता-पिता उसके असली रक्षक हैं।


कहानी से सीख (Moral of the Story)

"मुसीबत के समय केवल बल ही नहीं, बुद्धि भी ज़रूरी है। जब परिवार एक हो, तो बड़े से बड़ा शिकारी भी हार मान लेता है। अपनों की रक्षा करना ही सबसे बड़ा धर्म है।"


विकिपीडिया लिंक (Wikipedia Link)

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि काले हिरण (Blackbuck) कितनी तेज़ दौड़ते हैं और उनके सींग कैसे होते हैं, तो यहाँ पढ़ें: Blackbuck Wikipedia Link

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