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जब छोटे और बड़े मिलते हैं, तो क्या होता है?
प्यारे बच्चों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक बहुत बड़ा, ताकतवर जानवर और एक छोटा सा जीव मिलकर क्या कर सकते हैं? हमें अक्सर लगता है कि जो ताकतवर होता है, वही सब कुछ कर सकता है। लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता। जब छोटे-बड़े, ताकतवर-कमजोर, सब मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं रहती। इसी को कहते हैं 'मिलकर काम करने की शक्ति' या 'Teamwork'!
आज हम एक बहुत ही मजेदार और सबक सिखाने वाली जंगल की कहानी पढ़ेंगे, जिसका नाम है "हाथी और चींटियों की टीम: मिलकर काम करने की शक्ति"। यह कहानी हमें बताएगी कि कैसे एक घमंडी हाथी और छोटी-छोटी चींटियाँ मिलकर एक ऐसी समस्या को सुलझाते हैं, जिसे कोई अकेला नहीं कर सकता था। यह सिर्फ एक जंगल की कहानी नहीं, बल्कि जीवन की एक बड़ी सीख है कि एकता में ही बल है।
जंगल का घमंडी राजा और मेहनती चींटियाँ
एक घने और विशाल जंगल में, जिसका नाम 'हरा-भरा वन' था, वहाँ अनगिनत जानवर रहते थे। इस जंगल में एक बहुत ही ताकतवर और विशाल
बलराम अक्सर छोटे जानवरों का मज़ाक उड़ाता था। खासकर, जंगल में रहने वाली मेहनती
एक दिन, बलराम हाथी ने चींटियों को एक बड़े लकड़ी के टुकड़े को खींचते हुए देखा। "हा-हा-हा!" बलराम ज़ोर से हँसा। "अरे छोटी-छोटी चींटियों! तुम इस लकड़ी के टुकड़े को कैसे खींचोगे? यह तो मेरे एक पैर के नीचे आ जाए तो पता भी न चले। तुम सब बेकार हो, तुमसे कुछ नहीं होगा।"
चींटियों की रानी, 'रानी छोटी', ने विनम्रता से कहा, "बलराम भाई, हम छोटे ज़रूर हैं, लेकिन हम मिलकर काम करते हैं। हमारी एकता में बहुत शक्ति है।"
बलराम ने सूंड हिलाई और बोला, "बकवास! ताकत ही सब कुछ है। तुम सब छोटे हो, छोटे ही रहोगे।" और वह घमंड से आगे बढ़ गया।
बड़ी मुसीबत और घमंडी हाथी की लाचारी
कुछ हफ्तों बाद, जंगल में भयंकर तूफान आया। तेज हवाएँ चलीं और मूसलाधार बारिश हुई। तूफान के बाद, जंगल का सबसे बड़ा और पुराना पेड़, जो एक नदी के पुल का काम करता था, गिरकर नदी के बीच में अटक गया। अब किसी भी जानवर के लिए नदी पार करना असंभव हो गया था।
बलराम हाथी भी नदी पार करने आया। उसने देखा कि पेड़ का मोटा तना नदी के बीच में फंसा है और उसे हटाने की कोई गुंजाइश नहीं है। उसने अपनी पूरी ताकत लगाई। अपनी सूंड से पेड़ को खींचने की कोशिश की, अपने पैरों से धक्का दिया, लेकिन पेड़ टस से मस नहीं हुआ।
"उफ़! यह पेड़ इतना भारी है!" बलराम हाँफने लगा। "मुझ जैसा ताकतवर हाथी भी इसे नहीं हटा पा रहा हूँ। अब क्या होगा?"
जंगल के बाकी जानवर भी परेशान थे। कोई भी नदी पार नहीं कर पा रहा था। शेर, भालू, हिरण - सब हताश बैठे थे।
रानी छोटी और उसकी चींटियों की टीम भी वहाँ पहुँची। रानी छोटी ने देखा कि बलराम हाथी कितना परेशान है।
"क्या हुआ बलराम भाई? आप इतने दुखी क्यों हैं?" रानी छोटी ने पूछा।
बलराम ने चिड़चिड़ाते हुए कहा, "तुम्हें दिखता नहीं? यह विशाल पेड़ नदी के बीच में फंसा है और मैं इसे हटा नहीं पा रहा हूँ। अब कोई नदी पार नहीं कर पाएगा।"
रानी छोटी ने मुस्कुराते हुए कहा, "शायद हमें मिलकर कोशिश करनी चाहिए।"
बलराम हँसा, "तुम छोटी-छोटी चींटियाँ क्या करोगी? यह पेड़ तो मुझसे भी नहीं हिल रहा।"
हाथी और चींटियों की टीम: मिलकर काम करने की शक्ति
रानी छोटी ने अपनी टीम के साथ एक योजना बनाई। उसने बलराम हाथी से कहा, "बलराम भाई, आप पेड़ को अपनी सूंड से एक तरफ से जोर लगाकर रखिए। हम सब चींटियाँ दूसरी तरफ से मिट्टी हटाएँगी और ढीली करेंगी, ताकि पेड़ आसानी से खिसक जाए।"
बलराम को यकीन नहीं हुआ, लेकिन कोई और रास्ता न देखकर वह मान गया।
रानी छोटी ने तुरंत अपनी सभी चींटियों को बुलाया। "चलो टीम!" उसने आदेश दिया, "आज हमें अपनी मिलकर काम करने की शक्ति दिखानी है।"
हजारों की संख्या में चींटियाँ पेड़ के आसपास जमा हो गईं। वे सब एक साथ मिलकर पेड़ के नीचे की मिट्टी को हटाने लगीं। कोई छोटी कंकड़ ढीली कर रहा था, कोई मिट्टी के कणों को हटा रहा था, तो कोई जड़ों को कुरेद रहा था।
बलराम हाथी ने अपनी पूरी ताकत से पेड़ को एक तरफ से धक्का देना शुरू किया। वह जोर लगा रहा था, लेकिन पेड़ अब भी अटका हुआ था।
"लगता है यह काम नहीं करेगा," बलराम निराश होकर बोला।
रानी छोटी ने चिल्लाकर कहा, "लगे रहो टीम! थोड़ा और जोर!"
चींटियों ने और तेजी से काम किया। उन्होंने मिट्टी को इतना ढीला कर दिया कि पेड़ के नीचे एक रास्ता सा बन गया। बलराम हाथी ने फिर से अपनी पूरी ताकत लगाई और इस बार...!
खड़खड़ाहट की आवाज के साथ, पेड़ धीरे-धीरे हिलने लगा और फिर सरकते हुए नदी के किनारे पर आ गया। सभी जानवर खुशी से चिल्ला उठे।
बलराम हाथी हैरान था। "अविश्वसनीय! यह कैसे हुआ? मैंने अकेले इतनी कोशिश की, लेकिन नहीं हिला। और तुम सबने..."
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रानी छोटी ने मुस्कुराते हुए कहा, "बलराम भाई, यह 'मिलकर काम करने की शक्ति' है। अकेले कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो, लेकिन जब सब मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं रहती। आप ताकतवर थे, और हम सब ने मिलकर मिट्टी ढीली की। हमारी एकता ने ही यह संभव कर दिखाया।"
बलराम को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने चींटियों से माफी मांगी और कहा, "तुम सबने मुझे एक बहुत बड़ा सबक सिखाया है। अब मैं समझ गया हूँ कि एकता में ही बल है।"
उस दिन से बलराम हाथी घमंडी नहीं रहा। वह सभी छोटे जानवरों का सम्मान करता था और जंगल में सभी मिलकर खुशी-खुशी रहने लगे।
सीख (Moral of the Story)
यह कहानी हमें सिखाती है कि 'मिलकर काम करने की शक्ति' (Teamwork) सबसे बड़ी शक्ति है। अकेले कोई कितना भी बड़ा या ताकतवर क्यों न हो, लेकिन जब सभी मिलकर एक लक्ष्य के लिए काम करते हैं, तो बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार किया जा सकता है। हमें कभी किसी को छोटा या कमज़ोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हर किसी का अपना महत्व होता है। एकता में ही बल है!
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