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चालाक सियार और मूर्ख शेर: एक बूढ़ा शेर पैर में काँटा चुभने से लंगड़ा हो जाता है। भूख से परेशान होकर वह एक सियार की गुफा में छिप जाता है। चालाक सियार शक करता है और गुफा से बात करने की नौटंकी करता है। मूर्ख शेर जवाब दे बैठता है और सियार जान बचा लेता है। यह best hindi story hindi हंसाते-हंसाते बुद्धिमानी की ताकत बताती है।
चलो, अब पढ़ते हैं ये गुदगुदाने और दिमाग खोलने वाली कहानी...
जंगल का राजा शेर बादशाह सिंह अब बूढ़ा हो चला था। एक दिन शिकार के पीछे दौड़ते वक्त उसके दाएँ पंजे में एक बड़ा सा काँटा चुभ गया। जख्म इतना गहरा कि चलना भी मुश्किल। दौड़ना तो दूर की बात। कई दिन बीते, कोई शिकार न हुआ। बादशाह भूख से बिलबिला रहे थे।
उन्होंने सोचा, “अब तो मरा हुआ जानवर भी चल जाएगा।” पर जंगल में मरा जानवर भी नहीं मिला। लंगड़ाते-लंगड़ाते वे एक पहाड़ी गुफा के पास पहुँचे। गुफा अंदर से गहरी थी, बाहर चारों तरफ छोटे-छोटे पाँव के निशान – किसी सियार के। बादशाह ने झाँका, अंदर कोई नहीं। सोचा, “मालिक जब आएगा, मैं झपट्टा मार दूँगा।” और गुफा के अंधेरे कोने में दुबक गए।
उस गुफा में रहता था चालू सियार। नाम से ही पता चलता है – जंगल का सबसे शातिर दिमाग। वो दिन में घूमता, रात को लौटता। उस दिन भी सूरज डूबते ही चालू लौट रहा था।
गुफा के बाहर पहुँचा तो उसने बड़े-बड़े पंजों के निशान देखे। नाक सूँघी – शेर की बू आ रही थी। चालू की आँखें सिकुड़ गईं। मन में बोला, “अरे बाप रे, कोई शेर अंदर घुसा है!”
पर चालू था कि डरने वाला नहीं। उसने दूर से ही जोर-जोर से आवाज लगाई, “ओ गुफा रानी! मैं आ गया। आज जल्दी बुला ना!”
अंदर शेर चुप। पेट में चूहे दौड़ रहे थे।
चालू फिर बोला, “अरे गुफा! रोज तो तू मेरे आने पर मीठी आवाज में कहती है – ‘आ जा बेटा, सुरक्षित है!’ आज चुप क्यों है? कहीं कोई खतरा तो नहीं?”
शेर सोच में पड़ गया। “सचमुच ये गुफा बोलती है क्या? अगर मैं चुप रहा तो सियार भाग जाएगा!”
चालू ने आखिरी चाल चली, “अच्छा गुफा, मैंने पहले ही कहा था ना – जिस दिन तू मुझे न बुलाएगी, उस दिन मैं दूसरी गुफा में चला जाऊँगा। चल, मैं जा रहा हूँ। अलविदा!”
बस, बादशाह घबरा गए। भूख से पागल शेर ने गुफा की नकल करते हुए गहरी आवाज निकाली, “नहीं-नहीं सियार भाई! मत जा! आ जा अंदर, मैं... मतलब गुफा तुझे बुला रही है!”
चालू ने दूर से ही ठहाका लगाया, “हा हा हा! बादशाह सिंह, आपकी दहाड़ तो पहचान ही ली मैंने! आप भूखे मरिए, मैं तो जा रहा हूँ!” और रातों-रात दूसरी गुफा में सामान ले गया।
बादशाह कई दिन गुफा में बैठे रहे। भूख-प्यास से बेहाल। आखिर एक दिन उसी गुफा में दम तोड़ दिया।
चालू सियार की यह कहानी पूरे जंगल में फैल गई। बच्चे जब भी गुफा के पास से गुजरते, चिल्लाते – “गुफा रानी, बुलाओ ना!” और बूढ़े जानवर बच्चों को समझाते, “बेटा, ताकत से ज्यादा बुद्धि काम आती है।”
सीख:
दोस्तों, ताकतवर होना अच्छा है, पर बुद्धिमान होना सबसे बड़ा हथियार है। हर बात पर शक करो, हर आवाज पर भरोसा मत करो। थोड़ी सी अक्ल से शेर को भी मात दी जा सकती है!
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