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Diligence and Teamwork- Story of Dare A Fish
“लगन और टीमवर्क” एक प्रेरणादायक कथा है जो एक छोटी मछली मीरा की यात्रा को दर्शाती है। फीके रंग और कमजोर शरीर के बावजूद, मीरा अपने सपने को पूरा करने के लिए तालाब की तेज धारा को पार कर सुनहरे पौधे तक पहुंचती है, जहां उसे ताकत और आत्मविश्वास मिलता है। अपने दोस्त कछुआ बबलू की मदद से, वह मेहनत और हिम्मत से मुश्किलों को पार करती है। वापस लौटकर वह तालाब की अन्य मछलियों को प्रेरित करती है कि लगन और टीमवर्क से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यह कहानी बच्चों को मेहनत, धैर्य और एकता का महत्व सिखाती है।
एक छोटे से तालाब में एक छोटी सी मछली रहती थी, जिसका नाम था मीरा। मीरा बहुत मेहनती थी, लेकिन उसका रंग फीका था और वह तालाब की चमकदार, रंग-बिरंगी मछलियों के बीच में थोड़ी अलग-थलग महसूस करती थी। तालाब के दूसरी ओर एक सुनहरा पौधा था, जिसके पास जाने वाली हर मछली को ताकत और आत्मविश्वास मिलता था। यह पौधा तालाब के सबसे गहरे और तेज धारा वाले हिस्से में था, जहां बड़ी-बड़ी मछलियां भी जाने से डरती थीं। छोटी मछलियों के लिए यह सपना सा लगता था, क्योंकि धारा इतनी प्रचंड थी कि कई बार वे बीच में ही थककर वापस लौट आती थीं।
मीरा को अपने फीके रंग और कमजोर शरीर की वजह से तालाब की अन्य मछलियों से ताने सुनने पड़ते थे। एक दिन, जब वह एक कोने में उदास बैठी थी, तो उसने सोचा, “अगर मैं उस सुनहरे पौधे तक पहुंच जाऊंगी, तो शायद मैं भी मजबूत बन सकूं और दूसरों की तरह आत्मविश्वास से जी सकूं।” यह विचार उसके मन में घर कर गया। उसने अपने दोस्त, एक छोटे से कछुए बबलू से इसकी बात की। बबलू धीमा जरूर था, लेकिन बहुत समझदार था। उसने कहा, “मीरा, तुम्हारे पास हिम्मत है, बस उसे इस्तेमाल करो। मैं तुम्हारे साथ कदम से कदम मिलाकर चलूंगा।”
मीरा ने अपनी योजना बनाई। उसने देखा कि धारा के बीच में कुछ पत्थर थे, जिनका इस्तेमाल वह सहारा के रूप में कर सकती थी। उसने दिन-रात अभ्यास शुरू कर दिया—पहले छोटी-छोटी लहरों से लड़ना सीखा, फिर थोड़ा और आगे बढ़ी। हर दिन वह थोड़ा मजबूत होती गई, लेकिन धारा का मध्य भाग अभी भी उसके लिए चुनौतीपूर्ण था। बबलू उसे प्रोत्साहित करता रहा और सलाह देता कि वह अपनी सांसों को संभालकर रखे और धैर्य से काम ले।
एक सुबह, जब सूरज की पहली किरणें तालाब में चमक रही थीं, मीरा ने हिम्मत जुटाई और अपनी यात्रा शुरू की। धारा तेज थी, और कई बार वह बहने लगी। एक बार तो वह एक बड़े पत्थर से टकरा गई और उसे लगा कि अब सब खत्म हो गया। लेकिन बबलू ने उसे पुकारा, “मीरा, हिम्मत मत हारो! बस एक कदम और!” उसकी आवाज ने मीरा को नई ऊर्जा दी। वह पत्थरों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई। बीच में एक मगरमच्छ ने उसे डराने की कोशिश की, लेकिन मीरा ने अपनी चपलता से उससे बच निकली।
अंत में, थकान और मेहनत के बाद, मीरा उस सुनहरे पौधे तक पहुंच गई। जैसे ही उसने पौधे के पास तैरते हुए एक पत्ता छुआ, उसका रंग चमकने लगा और वह खुद को मजबूत महसूस करने लगी। उसका शरीर पहले से ज्यादा चुस्त हो गया, और उसका आत्मविश्वास दोगुना हो गया। वह तालाब में वापस लौटी, और सभी मछलियां हैरान रह गईं। अब मीरा फीकी नहीं, बल्कि चमकदार नीले और हरे रंगों से भरी हुई थी। सभी ने उसकी तारीफ की और पूछा कि उसने यह कैसे किया।
मीरा ने कहा, “मैंने यह अकेले नहीं किया। मेरे दोस्त बबलू और मेरी मेहनत ने मुझे सफलता दी। अगर हम कोशिश करें और एक-दूसरे का साथ दें, तो कुछ भी असंभव नहीं है।” उसकी यह बात तालाब की हर मछली के दिल में उतर गई। छोटी मछलियां, जो पहले डरती थीं, अब मेहनत करने और अपनी कमियों को पार करने के लिए प्रेरित हुईं। कुछ ने धारा को पार करने की कोशिश शुरू की, और धीरे-धीरे तालाब में एक नई हिम्मत की लहर दौड़ गई।
मीरा और बबलू ने मिलकर तालाब के बच्चों को सिखाना शुरू किया कि कैसे मुश्किलों का सामना करना है। उन्होंने कहा, “हर बड़ी सफलता छोटे-छोटे कदमों से शुरू होती है। अगर तुम गिरो, तो उठो और फिर कोशिश करो।” धीरे-धीरे, तालाब की मछलियां एक-दूसरे की मदद करने लगीं, और तालाब फिर से खुशहाल हो गया। मीरा ने सिखाया कि असली सुंदरता और ताकत हिम्मत और लगन में होती है, न कि सिर्फ दिखावे में। उसकी कहानी तालाब की हर पीढ़ी को प्रेरित करती रही।
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