Jungle Kahani : कोयल का पछतावा
Web Stories | Moral Stories चंपकवन में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सभी जानवरों का 'संपन्न मेला' लगने जा रहा था। 'संपन्न मेला' इसलिए आयोजित किया जाता था ताकि
Web Stories | Moral Stories चंपकवन में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सभी जानवरों का 'संपन्न मेला' लगने जा रहा था। 'संपन्न मेला' इसलिए आयोजित किया जाता था ताकि
चंपकवन के मेले में कोयल ने अपने गाने से सबका दिल जीता लेकिन मादा कौआ का अपमान किया। कौआ ने उसे उसके अंडे छोड़ने की सच्चाई बताई, जिसे सुन कोयल को अपनी गलती का अहसास हुआ। कोयल ने माफी मांगी और त्याग का महत्व समझा। कहानी सिखाती है, सम्मान और एकता जरूरी हैं।
एक बार की बात है, एक गांव के चौराहे पर एक दुकान के बाहर एक बड़ा सा चोंच वाला काला कौवा बैठा था। वह हमेशा की तरह अपनी चालाकी दिखाने की ताक में था।
जंगल के एक कोने में एक प्यारा सा खरगोश रहता था, जिसका नाम था गोलू। गोलू बहुत चंचल और शरारती था। वह हमेशा जंगल के बाकी जानवरों को तंग करने में लगा रहता।
भोली चुहिया कमरे के एक कोने में अपने चार बच्चों के साथ बैठी थी। बच्चे अभी केवल एक दिन के ही थे इसलिए मम्मी चुहिया उन पर बहुत ध्यान दे रही थी।
एक बार की बात है, एक बड़ा हाथी और एक छोटा मच्छर था। हाथी बहुत बड़ा और मजबूत था, जबकि मच्छर बहुत छोटा और हल्का था। भले ही वे आकार में अलग-अलग थे, लेकिन उन दोनों में अपने-अपने खास गुण थे
एक जंगल में एक कछुआ और लोमड़ी रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनकी खूबियों और कमजोरियों में बड़ा अंतर था। कछुआ बहुत धीमी चाल से चलता था, जबकि लोमड़ी तेज और चालाक थी। फिर भी, दोनों हमेशा साथ रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे।