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दया का फल: एक अनोखी जंगल कहानी जो दिल छू लेगी - एक घने जंगल में, जहां पेड़ों की छतरियां आसमान को छूती थीं और नदियां मधुर संगीत बजाती थीं, एक छोटा सा खरगोश रहता था। उसका नाम था मुन्ना। मुन्ना बहुत ही चंचल और मिलनसार था, लेकिन उसमें एक कमी थी – वह बहुत जल्दी डर जाता था। एक दिन, जंगल में भयंकर तूफान आया। बारिश की बूंदें तीरों की तरह गिर रही थीं, और हवा इतनी तेज थी कि पेड़ों की डालियां टूट रही थीं।
मुन्ना घबरा गया और भागते हुए एक गुफा में छिप गया। गुफा के अंदर अंधेरा था, लेकिन वहां उसे एक बूढ़ा कछुआ दिखाई दिया। कछुए का नाम था कच्छू। कच्छू ने मुन्ना को देखकर पूछा, "अरे छोटे खरगोश, तुम इतने डरे हुए क्यों हो?"
मुन्ना ने कांपते हुए कहा, "बाहर तूफान है, और मैं डर गया हूं। मुझे लगा कि यहां सुरक्षित रहूंगा।"
कच्छू मुस्कुराया और बोला, "डरना स्वाभाविक है, लेकिन डर को अपने ऊपर हावी मत होने दो। तुम्हारी दया और मदद करने की भावना तुम्हें हमेशा सुरक्षित रखेगी।"
मुन्ना ने पूछा, "दया? यह कैसे?"
कच्छू ने समझाया, "जब तुम दूसरों की मदद करते हो, तो तुम्हारे आसपास का वातावरण भी तुम्हारी सुरक्षा के लिए तैयार हो जाता है। दया का फल हमेशा मीठा होता है।"
थोड़ी देर बाद, तूफान शांत हो गया। मुन्ना ने कच्छू को धन्यवाद दिया और गुफा से बाहर निकला। बाहर निकलते ही उसने देखा कि एक छोटा सा पक्षी बारिश में भीगकर कांप रहा है। मुन्ना ने उसकी ओर देखा और सोचा, "कच्छू ने कहा था कि दया का फल मीठा होता है। मैं इस पक्षी की मदद करूंगा।"
मुन्ना ने पास के पेड़ से कुछ पत्ते तोड़े और पक्षी को ढक दिया। पक्षी ने मुस्कुराते हुए कहा, "धन्यवाद, मुन्ना। तुमने मेरी जान बचाई।"
कुछ दिनों बाद, जंगल में एक बड़ा आग लग गई। सभी जानवर भागने लगे। मुन्ना भी डर गया, लेकिन तभी उसने देखा कि वही छोटा पक्षी आसमान में उड़ रहा है और चिल्ला रहा है, "मुन्ना, जल्दी से मेरे पीछे आओ! मैं तुम्हें सुरक्षित जगह ले चलता हूं।"
मुन्ना ने पक्षी का पीछा किया, और वह सुरक्षित जगह पर पहुंच गया। उस दिन मुन्ना ने समझा कि कच्छू ने जो कहा था, वह सच था। दया का फल वाकई मीठा होता है।
सीख:
दूसरों की मदद करने से न केवल उनका भला होता है, बल्कि यह हमें भी सुरक्षा और खुशी देता है। दया और सहानुभूति हमें बड़े संकटों से बचा सकती है।