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जब भी हम बच्चों को हिम्मत के बारे में समझाना चाहते हैं, तो अक्सर हमें कोई ऐसी कहानी चाहिए होती है जो उनके मन में सीधे उतर जाए। “Himmat Zaroori Hai Story” उसी तरह की कहानी है। इसमें दो छोटे-से पात्र हैं—बिन्नी और तोशी। नदी की दुनिया में रहने वाले ये दोनों जीव एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। बिन्नी फुर्तीली है, तेज तैरती है, पर छोटी-सी बात से डर जाती है। वहीं तोशी कछुआ धीमा है, लेकिन सोच में बेहद मजबूत।
कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ हर बच्चा खुद को बिन्नी की जगह महसूस कर सकता है—डर, झिझक और अपने ऊपर विश्वास की कमी। और यही डर धीरे-धीरे बदलता है… जब हालात कठिन होते हैं, नदी का बहाव तेज हो जाता है और आसपास के जीव मदद के लिए पुकारते हैं।
इस कहानी में किसी भी जगह आपको जबरन बनाया हुआ रोमांच नहीं मिलेगा। हर घटना ऐसे आगे बढ़ती है जैसे आप खुद नदी के किनारे खड़े हों और सब देख रहे हों। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, बच्चों को महसूस होगा कि छोटी-सी मछली भी बड़ी हिम्मत दिखा सकती है।
यही वजह है कि यह कहानी मजेदार भी है, सुकून देने वाली भी और सीख से भरपूर भी।
नदी की शांत सुबह और बिन्नी की दुनिया
नीली नदी के पानी में हल्की धूप उतर रही थी। पानी इतना साफ था कि नीचे पड़े कंकड़-पत्थर भी साफ दिख रहे थे। उसी पानी में बिन्नी मछली अपनी छोटी-सी पूँछ हिलाते हुए गोल-गोल तैर रही थी। बिन्नी देखने में बहुत सुंदर थी—नीले और चांदी जैसे रंग उसे बाकी मछलियों से अलग बनाते थे।
पर एक कमी थी।
वह बहुत जल्दी डर जाती थी।
जैसे ही पानी में कोई हल्की सी लहर उठती, बिन्नी फटाक से किसी झाड़ी या बड़े पत्थर के पीछे छुप जाती। बाकी मछलियाँ उसे छेड़तीं,
“अरे बिन्नी, तुम तो हवा की आवाज़ से भी डर जाती हो।”
बिन्नी बस शर्म से मुस्करा देती।
इस नदी में एक और जीव रहता था—तोशी कछुआ।
तोशी की चाल भले ही धीमी थी, लेकिन दिमाग बहुत तेज था। वह नदी के हर कोने का हाल जानता था। और सबसे बड़ी बात—वह कभी घबराता नहीं था।
आसमान में बादल और नदी में हलचल
उस दिन सुबह नदी के ऊपर बादल घिर आए। हवा तेज हो गई। बिन्नी ने आसमान की तरफ देखा और उसके मन में वही पुराना डर जग गया। वह तोशी के पास तैरकर गई।
“तोशी, आज नदी में कुछ गड़बड़ लग रही है।”
तोशी ने अपनी धीमी आवाज़ में कहा,
“हाँ, बारिश होगी। बहाव तेज हो सकता है। लेकिन अगर हम संभल कर रहें, तो डरने की जरूरत नहीं।”
कुछ ही देर बाद आसमान से पानी की मोटी-मोटी बूंदें गिरने लगीं।
बारिश अचानक तेज हुई और नदी उफान पर आ गई।
बहुत-सी छोटी मछलियाँ घबरा गईं। पानी का प्रवाह इतना तेज था कि बच्चे मछलियाँ एक जगह रुक नहीं पा रही थीं।
बिन्नी ने यह सब देखा और उसका दिल डूब गया।
वह फौरन एक बड़े पत्थर के पीछे छुप गई।
पहली मुश्किल और हिम्मत की पहली चिंगारी
बारिश और बढ़ी। तेज बहाव में दो छोटी मछलियाँ एक बड़े पौधे की जड़ों में फँस गईं। वे मदद के लिए पुकार रही थीं।
बिन्नी का मन हुआ कि वह जाकर उनकी मदद करे, लेकिन उसका डर रास्ता रोक रहा था।
तोशी धीरे-धीरे उसके पास आया।
“बिन्नी, तुम उन्हें बचा सकती हो। तुम्हारी तेजी ही तुम्हारी ताकत है।”
“लेकिन… अगर मैं बह गई तो?”
बिन्नी की आवाज कंपकंपा रही थी।
तोशी ने कहा,
“हिम्मत का मतलब यह नहीं कि डर खत्म हो जाए।
हिम्मत का मतलब है—डर के बावजूद एक कदम आगे बढ़ना।”
बिन्नी चुप रही।
कुछ क्षण बाद उसने एक लंबी साँस ली और धीरे-धीरे पत्थर के पीछे से बाहर निकली।
पानी का बहाव तेज था।
लेकिन बिन्नी ने हिम्मत जुटाई और तेजी से फँसी हुई छोटी मछलियों की ओर तैर गई।
बहाव उसे धक्का दे रहा था, लेकिन उसने अपना संतुलन बनाए रखा और दोनों को बाहर निकाल लिया।
तोशी ने मुस्कुराते हुए कहा,
“यही होती है हिम्मत। तुम चाहो तो बहुत कुछ कर सकती हो।”
नदी का सैलाब और दूसरी चुनौती
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। नदी का पानी और उफ़ान पर था। अचानक एक बड़ा पेड़ टूटकर नदी में गिरा और पानी का रास्ता बदल गया। अब बहाव पहले से कई गुना तेज था। नदी में रहने वाले कई जीव इधर-उधर फँस गए।
बिन्नी ने यह दृश्य देखा और फिर से उसका डर लौट आया।
“तोशी, अब तो कुछ भी हो सकता है!”
तोशी ने उसकी तरफ देखा और शांत स्वर में कहा,
“कठिन वक़्त में घबराने से कुछ नहीं होता।
अगर हम मिलकर कोशिश करें, तो सब ठीक होगा।”
दोनों ने मिलकर काम शुरू किया।
बड़ी मछलियों को तोशी संभालता, छोटे बच्चों को बिन्नी एक-एक करके सुरक्षित जगह पर ले जाती।
कई बार बिन्नी का शरीर किसी चीज से टकराया, कई बार उसका संतुलन बिगड़ा, लेकिन अब वह आसानी से हार मानने वाली नहीं थी।
रात का अंधेरा और आखिरी परीक्षा
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शाम होते-होते अंधेरा गहरा गया। बारिश कम हुई, लेकिन नदी अभी भी शांत नहीं थी।
कुछ मछलियाँ डर की वजह से एक कोने में सिमट गईं।
बिन्नी भी थक गई थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी।
तोशी उसके पास आया।
“बिन्नी, अब सिर्फ आखिरी काम बाकी है। कुछ छोटी मछलियाँ नदी के किनारे फँसी हैं। अगर रात और गहरी हो गई, तो उन्हें ढूँढना मुश्किल होगा।”
बिन्नी ने आसमान की तरफ देखा—काले बादल, थोड़ी-सी ठंडी हवा और बस एक हल्की-सी चमक।
वह घबराई तो थी, लेकिन अब उसके मन में डर से ज्यादा जिम्मेदारी थी।
“चलो तोशी, उन्हें भी निकाल लाते हैं।”
और दोनों अंधेरे में निकल पड़े।
बिन्नी आगे-आगे, तोशी पीछे-पीछे।
बहुत कोशिश के बाद उन्होंने उन छोटी मछलियों को ढूँढ निकाला और सुरक्षित स्थान पर ला दिया।
जब वे वापस पहुँचे, नदी में रहने वाले सभी जीव उनकी ओर देख रहे थे।
बिन्नी अब सिर्फ एक डरपोक मछली नहीं थी।
वह सबकी हीरो बन चुकी थी।
सीख (Moral)
हिम्मत डर के बिना नहीं, डर के बावजूद आगे बढ़ने में है।
मुश्किल समय में शांत रहकर सोचना सबसे ज्यादा फायदा देता है।
छोटी-सी कोशिश भी किसी की जिंदगी बदल सकती है।
टीमवर्क सबसे बड़ी ताकत है।
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