गड्ढा खोदोगे तो गिरोगे - एक शिक्षाप्रद जंगल की कहानी

एक गहरे कुएं में गंगाधर  नाम का एक मेंढ़क अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में कुल 12 सदस्य थे, और वह परिवार का मुखिया था। गंगाधर का जीवन संघर्षों से भरा था

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गड्ढा खोदोगे तो गिरोगे - एक शिक्षाप्रद जंगल की कहानी:- एक गहरे कुएं में गंगाधर  नाम का एक मेंढ़क अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में कुल 12 सदस्य थे, और वह परिवार का मुखिया था। गंगाधर का जीवन संघर्षों से भरा था, क्योंकि उसे अपने परिवार के लिए भोजन इकट्ठा करने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता था।

लेकिन समस्या यह थी कि उसके पड़ोस के कुएं में रहने वाले मेंढ़क बड़े ही चालाक और धूर्त थे। वे अक्सर गंगाधर के परिवार के मेंढ़कों के हिस्से का भोजन हड़प लेते थे। इससे गंगाधर बहुत परेशान रहने लगा। धीरे-धीरे उसकी भूख और क्रोध बढ़ता गया, और वह बदला लेने की योजना बनाने लगा।

शैतानी योजना

एक दिन, भूख और गुस्से से भरा गंगाधर कुएं के बाहर बैठा सोच रहा था, तभी उसकी नजर एक प्रियदर्शन  नाम के काले सांप पर पड़ी। उसे एक युक्ति सूझी और उसने सोचा,
"अगर मैं इस सांप से दोस्ती कर लूं, तो यह मेरे दुश्मनों को खत्म कर देगा, और मुझे अपने परिवार की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।"

गंगाधर ने सांप प्रियदर्शन से दोस्ती करने का फैसला किया। उसने धीरे-धीरे सांप से मेलजोल बढ़ाया, और एक दिन उसने अपनी योजना बताई,
"प्रियदर्शन भाई, मैं तुम्हें हर रोज स्वादिष्ट भोजन दिलवा सकता हूँ, बस तुम्हें मेरी थोड़ी मदद करनी होगी!"

सांप ने अपनी लालच भरी आँखों से गंगाधर को देखा और पूछा,
"कैसी मदद मेंढ़क महाराज?"

गंगाधर ने चालाकी से उत्तर दिया,
"मेरे कुएं में कुछ मेंढ़क रहते हैं जो मुझे सताते हैं। अगर तुम उन्हें धीरे-धीरे खत्म कर दो, तो तुम्हें हर दिन कुछ खाने को मिलेगा!"

सांप को यह प्रस्ताव पसंद आया और उसने कहा,
"ठीक है! लेकिन मैं तुम्हारे कुएं में कैसे जाऊँ?"

गंगाधर ने तुरंत हल निकालते हुए कहा,
"मैं तुम्हें कुएं का रास्ता दिखाऊंगा। तुम मेरे पीछे-पीछे आना!"

स्वार्थ और लालच का अंत

गंगाधर अपने कुएं में पहुंचा और धीरे-धीरे अपने विरोधी मेंढ़कों को सांप के सामने पेश करता गया। एक-एक करके सभी मेंढ़क सांप का शिकार बनते गए। गंगाधर खुश था कि उसके सभी दुश्मन अब खत्म हो रहे थे।

लेकिन वह यह भूल गया कि सांप का स्वभाव बदलता नहीं है। जब कुएं में दूसरे मेंढ़क खत्म हो गए, तो सांप प्रियदर्शन को फिर भूख लगी।

अब उसने गंगाधर की तरफ देखा और बोला,
"अब मुझे भोजन चाहिए, और अब तुम्हारे कुएं में और कोई मेंढ़क बचा नहीं है, तो अब तुम्हारी बारी!"

गंगाधर डर गया और गिड़गिड़ाने लगा,
"नहीं-नहीं! मैंने तुम्हारी मदद की थी, तुम मेरे मित्र हो!"

सांप ने ठहाका लगाया और कहा,
"बेवकूफ! जिसने अपने परिवार और जाति को नहीं छोड़ा, वह मुझे क्या छोड़ेगा?"

और यह कहते ही सांप ने गंगाधर को भी निगल लिया।

कहानी से सीख:

  1. किसी के लिए गड्ढा खोदोगे, तो एक दिन खुद उसमें गिर जाओगे।
  2. दुश्मनों से बदला लेने के लिए गलत रास्ता अपनाना खुद के लिए ही घातक हो सकता है।
  3. स्वार्थ और लालच हमेशा बुरे परिणाम ही देते हैं।
  4. जो दूसरों के साथ छल करता है, उसका अंत भी दुखद होता है।

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