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कहानी की शुरुआत
बहुत समय पहले, घने पेड़ों से घिरा एक विशाल जंगल था। वहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे – शेर, हाथी, बंदर, तोता, मोर, खरगोश और भी बहुत सारे। जंगल हरा-भरा था, नदियाँ कल-कल बहती थीं और पक्षियों की चहचहाहट हर सुबह को और सुंदर बना देती थी।
इस जंगल का राजा शेर था, लेकिन वह क्रूर नहीं था। उसका नाम सिंहराज था। वह सब जानवरों से प्रेम करता और न्यायपूर्वक जंगल चलाता था।
एक दिन जंगल में अफवाह फैल गई कि किसी पेड़ के नीचे बहुत पुराना खजाना छिपा हुआ है। इस खबर से सब जानवर उत्साहित हो गए। हर कोई जानना चाहता था कि खजाना किसके हाथ लगेगा।
2. अफवाह से हलचल
बंदर मंगलू ने सबसे पहले अपने दोस्तों को बताया –
“सुना है? पुराने पीपल के पेड़ के नीचे सोने-चांदी से भरा संदूक दबा हुआ है।”
तोता मिट्ठू बोला –
“अगर हमें वो खजाना मिल गया तो जंगल में कोई परेशानी नहीं रहेगी। हम सबके पास भरपूर खाना और दवाई होगी।”
खरगोश चीकू थोड़ा डरते हुए बोला –
“लेकिन खजाना ढूँढ़ना आसान नहीं होगा। हो सकता है वो जगह जादुई हो या वहाँ खतरे हों।”
सभी जानवरों ने तय किया कि खजाना ढूँढ़ने का काम अकेले कोई नहीं करेगा। सब मिलकर खोज करेंगे।
खोज यात्रा की तैयारी
अगले दिन, शेर सिंहराज ने सभा बुलाई।
“सुनो मेरे साथियों,” उसने गर्जन भरी आवाज़ में कहा, “अगर खजाना सच है तो हमें उसे ढूँढ़ना चाहिए। लेकिन वो खजाना सिर्फ किसी एक का नहीं होगा, बल्कि पूरे जंगल का होगा।”
सब जानवर खुशी से झूम उठे। उन्होंने एक दल बनाया –
शेर सिंहराज (नेता)
हाथी गजाधर (ताकतवर और रास्ता साफ करने वाला)
बंदर मंगलू (चतुर और पेड़ों पर चढ़ने वाला)
तोता मिट्ठू (आसमान से देखने वाला)
खरगोश चीकू (तेज़ दौड़ने वाला और छोटे सुराख़ ढूँढ़ने वाला)
कछुआ धीमा (धैर्य और अनुभव वाला)
यात्रा की शुरुआत
दल ने सुबह-सुबह यात्रा शुरू की। रास्ता आसान नहीं था।
घने पेड़ों के बीच से निकलते समय हाथी गजाधर अपनी सूंड से टहनियाँ हटाता।
बंदर मंगलू आगे-आगे कूदते हुए मज़ाक करता –
“अरे गजाधर, तुम तो पेड़ काटने की मशीन हो!”
सभी हँस पड़ते।
रास्ते में नदी आई। वहाँ मगरमच्छ रहते थे। मगरमच्छ भैया मगरू ने रास्ता रोका।
“कहाँ जा रहे हो सब?” उसने पूछा।
तोता मिट्ठू बोला –
“हम खजाना ढूँढ़ने निकले हैं। लेकिन हमारा इरादा सिर्फ अपने जंगल का भला करना है।”
मगरू ने सोचा और बोला –
“अगर इरादा नेक है तो जाओ। लेकिन सावधान रहना, आगे जंगल में खतरनाक जाल भी हैं।”
रहस्यमयी गुफा
घंटों चलने के बाद जानवर एक अंधेरी गुफा तक पहुँचे। गुफा का दरवाज़ा बेलों से ढका था।
खरगोश चीकू ने कहा –
“यहीं कुछ राज़ छिपा है।”
सिंहराज ने सबको सावधान रहने को कहा। हाथी ने अपनी ताक़त से बेलें हटाईं। गुफा के अंदर अजीब रोशनी थी।
अचानक एक आवाज़ गूँजी –
“कौन है जो इस गुफा में आया?”
सब जानवर डर गए। तभी एक उल्लू सामने आया। उसका नाम था तंत्रू उल्लू।
वह बोला –
“यह गुफा कोई साधारण जगह नहीं है। यहाँ केवल वही जा सकता है जो तीन सवालों का सही उत्तर दे।”
तीन सवालों की परीक्षा
उल्लू ने पहला सवाल पूछा –
“जंगल में सबसे बड़ी ताक़त किसकी है?”
शेर सिंहराज ने जवाब दिया –
“ताक़त अकेली नहीं, सबसे बड़ी ताक़त है एकता।”
उल्लू मुस्कुराया –
“सही!”
दूसरा सवाल –
“खजाने का सबसे अच्छा उपयोग क्या होगा?”
तोता मिट्ठू ने कहा –
“खजाने से हम सबके लिए खाना, पानी और इलाज की व्यवस्था करेंगे। यह सिर्फ़ किसी एक का नहीं होगा।”
उल्लू फिर बोला –
“सही!”
तीसरा सवाल –
“जंगल का असली खजाना क्या है?”
कछुआ धीमा ने धीरे-धीरे कहा –
“हमारा जंगल, हमारे दोस्त, और हमारी दोस्ती ही असली खजाना है।”
उल्लू ने हँसकर कहा –
“तुम सबने सही उत्तर दिया। जाओ, खजाना तुम्हारे लिए इंतज़ार कर रहा है।”
खजाने की खोज
गुफा के अंदर एक बड़ा संदूक रखा था। जब उन्होंने उसे खोला तो उसमें सोना-चाँदी नहीं था, बल्कि बीज, औषधियों की थैलियाँ और कुछ पवित्र ग्रंथ रखे थे।
बंदर मंगलू हैरान होकर बोला –
“ये कैसा खजाना है? इसमें तो सिक्के भी नहीं हैं!”
सिंहराज ने समझाया –
“यही असली खजाना है। इन बीजों से नए पेड़ उगेंगे, औषधियाँ हमारी बीमारियों को ठीक करेंगी और ग्रंथ हमें सही रास्ता दिखाएँगे।”
सभी जानवरों ने खुशी-खुशी खजाना जंगल में ले जाकर बाँट लिया।
जंगल में बदलाव
कुछ महीनों में जंगल और भी हरा-भरा हो गया। नए पेड़ लगने से पक्षियों के लिए घर बने। औषधियों से बीमार जानवर ठीक हो गए। सबने मिलकर सीखा कि असली खजाना सोना-चाँदी नहीं, बल्कि ज्ञान, प्रकृति और दोस्ती है।
खरगोश चीकू बोला –
“मैंने तो कहा था ना, खजाना ढूँढ़ना आसान नहीं होगा। लेकिन अब तो मज़ा आ गया!”
सब जानवर हँस पड़े।
सीख
इस कहानी से बच्चों को ये सीख मिलती है कि –
असली ताक़त एकता में है।
धन-दौलत से ज़्यादा कीमती प्रकृति और ज्ञान हैं।
जब हम मिलकर काम करते हैं तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है।\
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