जंगल कहानी : ईमानदारी की मिसाल

जंगल कहानी : ईमानदारी की मिसाल:- यह कहानी जंगल के राजा वीरसिंह और एक छोटे हिरण चंदू की है। जब वीरसिंह के राजमहल से एक अनमोल माणिक चोरी होता है, तो चंदू अपनी गलती स्वीकार करता है और बताता है

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जंगल कहानी : ईमानदारी की मिसाल:- यह कहानी जंगल के राजा वीरसिंह और एक छोटे हिरण चंदू की है। जब वीरसिंह के राजमहल से एक अनमोल माणिक चोरी होता है, तो चंदू अपनी गलती स्वीकार करता है और बताता है कि उसने अनजाने में माणिक को एक साधारण पत्थर समझकर ले लिया था। उसकी सच्चाई और हिम्मत से प्रभावित होकर वीरसिंह उसे माफ कर देता है और उसकी ईमानदारी की मिसाल पूरे जंगल में दी जाती है। यह प्रेरक कहानी बच्चों को सिखाती है कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा जीत दिलाती है, चाहे राह कितनी भी मुश्किल हो।

कहानी -जंगल कहानी : ईमानदारी की मिसाल

हरियाली से भरे एक घने जंगल में, जहाँ रंग-बिरंगे फूल और चहकते पक्षी हर तरफ बिखरे थे, शेर राजा वीरसिंह का शासन था। वीरसिंह न सिर्फ़ ताकतवर था, बल्कि इतना न्यायप्रिय भी था कि जंगल का हर जानवर उसका सम्मान करता था। लेकिन इन दिनों जंगल में एक अजीब सी हलचल थी। वीरसिंह के राजमहल से एक अनमोल नीला माणिक चोरी हो गया था, जो जंगल की शान माना जाता था।

वीरसिंह ने अपने शाही दरबार में सभी जानवरों को बुलाया। उसकी दहाड़ से जंगल गूंज उठा। “सुनो, मेरे जंगलवासियों!” उसने गंभीर स्वर में कहा। “हमारे राजमहल से अनमोल माणिक चोरी हो गया है। जो भी चोर है, वह खुद सामने आए, वरना मेरी सजा से कोई नहीं बचेगा!”

सभी जानवर डर के मारे एक-दूसरे की ओर देखने लगे। लोमड़ी लल्ली ने फुसफुसाकर भालू दादा से कहा, “कौन इतनी हिम्मत करेगा कि राजा जी के माणिक को चुराए?”

“हाँ, लेकिन अब तो मुसीबत है!” भालू दादा ने सिर खुजलाते हुए जवाब दिया। “कोई तो सामने आएगा, वरना सबकी खैर नहीं!”

सभी जानवर खामोश थे, कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। तभी सभा के बीच से एक छोटा सा हिरण, जिसका नाम चंदू था, धीरे-धीरे आगे बढ़ा। उसकी आँखों में डर था, लेकिन चेहरा दृढ़ था।

“महाराज,” चंदू ने काँपते स्वर में कहा, “मुझे लगता है कि गलती मुझसे हुई है। मैं पिछले हफ्ते राजमहल के पास खेल रहा था। वहाँ मुझे एक चमकता हुआ पत्थर दिखा। मैंने सोचा यह कोई साधारण पत्थर है और उसे अपनी गुफा में ले गया। बाद में मुझे पता चला कि यह आपका अनमोल माणिक है। मैं डर गया और उसे लौटाने की हिम्मत नहीं कर पाया।”

सभा में सन्नाटा छा गया। तोताराम ने अपनी चोंच खुली छोड़ दी, और खरगोश टिनी ने आश्चर्य से कहा, “चंदू, तूने सच बोलने की हिम्मत कैसे की?”

वीरसिंह ने चंदू की ओर देखा। उसकी आँखों में गुस्सा नहीं, बल्कि एक अलग सी चमक थी। “चंदू,” उसने शांत स्वर में कहा, “तुमने गलती की, यह सच है। लेकिन तुमने पूरी सभा के सामने सच बोलने की हिम्मत दिखाई। यह हिम्मत हर किसी में नहीं होती।”

“महाराज, मुझे डर था कि आप मुझे सजा देंगे,” चंदू ने सिर झुकाकर कहा। “लेकिन मेरी माँ कहती थी कि सच्चाई बोलने से मन हल्का होता है, और सही रास्ता दिखता है।”

वीरसिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, “तेरी माँ ने बिल्कुल सही सिखाया, चंदू। सच्चाई की राह मुश्किल हो सकती है, लेकिन वह हमेशा जीत दिलाती है। मैं तुम्हें माफ करता हूँ। न सिर्फ़ माफ करता हूँ, बल्कि तुम्हारी ईमानदारी की मिसाल पूरे जंगल में दी जाएगी!”

वीरसिंह ने तुरंत अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि चंदू की गुफा से माणिक लाया जाए। जब माणिक वापस आया, तो वीरसिंह ने उसे चंदू को सौंपते हुए कहा, “यह माणिक अब तुम्हारी ईमानदारी का प्रतीक है। इसे अपने पास रखो, और हमेशा सच की राह पर चलो।”

जंगल के जानवरों ने तालियाँ बजाईं। लोमड़ी लल्ली, जो पहले चंदू का मज़ाक उड़ाती थी, अब शर्मिंदगी से बोली, “चंदू, तूने तो हमें सिखा दिया कि सच्चाई से बड़ा कोई गहना नहीं!”

चंदू ने शरमाते हुए कहा, “लल्ली, मैं बस अपनी माँ की बात मान रहा था। सच्चाई बोलने में डर तो लगा, लेकिन अब मन बहुत हल्का है!”

उस दिन से जंगल में चंदू को “सच्चाई का सितारा” कहा जाने लगा। वीरसिंह ने एक नया नियम बनाया कि हर साल जंगल में “सच्चाई का उत्सव” मनाया जाएगा, जिसमें सभी जानवर अपनी गलतियों को सच बोलकर सुधार सकते हैं। जंगल में अब हर तरफ सच्चाई और ईमानदारी की बातें गूंजने लगीं।

इस कहानी से सीख

  • सच्चाई की जीत होती है: भले ही सच बोलना मुश्किल हो, यह हमेशा सही रास्ता दिखाता है।

  • हिम्मत से गलती स्वीकार करें: अपनी गलतियों को मान लेना और सुधार करना सच्ची बहादुरी है।

  • ईमानदारी अनमोल है: सच्चाई और ईमानदारी से बड़ा कोई गहना नहीं होता।

  • सही नेतृत्व का महत्व: एक अच्छा नेता वही है जो गलतियों को माफ करे और सच्चाई को सम्मान दे।

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