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जंगल की कहानी: चोर की दाढ़ी में तिनका :- एक घने जंगल में सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे। एक दिन, जंगल के राजा शेर सिंह ने घोषणा की कि अगले पूर्णिमा की रात को एक भव्य उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें सभी जानवर अपनी-अपनी पसंदीदा वस्तुएं लाकर साझा करेंगे।
उत्सव की तैयारियाँ जोरों पर थीं। बंदर मोंटू ने सोचा, "मैं मीठे आम लाऊंगा।" हाथी मोती ने कहा, "मैं गन्ने का रस लाऊंगा।" इसी तरह, सभी जानवर अपनी-अपनी पसंदीदा चीजें लाने की योजना बना रहे थे।
उसी जंगल में एक चालाक लोमड़ी, लाली, भी रहती थी। लाली ने सोचा, "मैं क्यों मेहनत करूँ? किसी और की लाई हुई चीज़ चुपके से ले आऊंगी।" उसने योजना बनाई कि रात में जब सभी सो रहे होंगे, तब वह चुपके से जाकर चीजें चुरा लेगी।
उत्सव की रात आई। सभी जानवर अपनी-अपनी वस्तुएं लाए और मिलकर आनंद लेने लगे। लाली ने मौका देखकर चुपके से बंदर मोंटू के मीठे आम और हाथी मोती के गन्ने का रस चुरा लिया और अपने बिल में छिपा दिया।
अगली सुबह, मोंटू और मोती ने देखा कि उनकी चीजें गायब हैं। सभी जानवर हैरान थे और सोचने लगे कि आखिर चोर कौन हो सकता है। तभी, शेर सिंह ने सुझाव दिया, "हम सभी एक-एक करके अपनी-अपनी दाढ़ी की जाँच करेंगे। शायद हमें कुछ सुराग मिले।"
जब लाली की बारी आई, तो वह घबरा गई। उसकी दाढ़ी में आम का एक छोटा टुकड़ा और गन्ने का रस लगा हुआ था। सभी जानवरों ने देखा और समझ गए कि लाली ही चोर है। लाली शर्मिंदा हो गई और माफी मांगने लगी।
शेर सिंह ने कहा, "लाली, तुम्हें अपनी गलती माननी होगी। यह कहावत याद रखो: 'चोर की दाढ़ी में तिनका।' इसका मतलब है कि अपराधी चाहे जितना भी छिपाने की कोशिश करे, उसकी गलती का कोई न कोई सबूत मिल ही जाता है।"
लाली ने अपनी गलती स्वीकार की और वादा किया कि वह आगे से कभी चोरी नहीं करेगी। सभी जानवरों ने उसे माफ कर दिया, और वे फिर से खुशी-खुशी रहने लगे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी गलत काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि सच हमेशा सामने आ ही जाता है।