छोटी चींटी का बड़ा हौसला

जंगल का एक कोना हमेशा शांत रहता था। यहां ऊँचे-ऊँचे पेड़, मीठे झरने, और पक्षियों की चहचहाहट का साम्राज्य था। इसी जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जिसका नाम मिठू था।

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छोटी चींटी का बड़ा हौसला- जंगल का एक कोना हमेशा शांत रहता था। यहां ऊँचे-ऊँचे पेड़, मीठे झरने, और पक्षियों की चहचहाहट का साम्राज्य था। इसी जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जिसका नाम मिठू था। मिठू अपने परिवार की सबसे छोटी चींटी थी, लेकिन उसमें बड़े सपने और अद्भुत हौसला था।

संघर्ष की शुरुआत

एक दिन मिठू अपने दोस्तों के साथ जंगल के अंदर खेल रही थी। तभी उसने देखा कि एक विशालकाय हाथी, गजराज, गुस्से में चीखता हुआ पास आ रहा है। उसके पैर के नीचे की मिट्टी कांप रही थी। सभी जानवर इधर-उधर भागने लगे।

गजराज (गुस्से में): "यह जंगल अब मेरा है। कोई मेरी मर्जी के बिना यहां नहीं रह सकता!"

जंगल के सभी जानवर डर के मारे चुप हो गए। गजराज की ताकत के आगे कोई भी उसका सामना करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

चींटी की योजना

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मिठू ने यह सब देखा और कहा,
मिठू: "हमें कुछ करना होगा, वरना गजराज पूरे जंगल को तबाह कर देगा।"
गिलहरी (डरते हुए): "लेकिन मिठू, तुम इतनी छोटी हो, तुम गजराज से कैसे लड़ोगी?"
मिठू (मुस्कुराते हुए): "साइज से ताकत नहीं होती, हिम्मत से होती है। बस मुझे तुम सबका साथ चाहिए।"

मिठू ने एक योजना बनाई। उसने सभी जानवरों को समझाया कि कैसे एकजुट होकर गजराज को हराया जा सकता है।

जाल का बिछाव

अगली सुबह, मिठू ने अपनी बहादुर टीम के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया। उन्होंने जंगल के बीच में एक गड्ढा खोदा और उसे पत्तों और मिट्टी से ढक दिया। गजराज को उस तरफ आकर्षित करने के लिए पेड़ पर केले और आम लटकाए गए।

सामना

गजराज जैसे ही उस जगह पहुंचा, मिठू ने उसे चुनौती दी।
मिठू (जोर से): "अरे गजराज! अगर तुम इतने ही ताकतवर हो, तो हमें पकड़ कर दिखाओ!"
गजराज ने गुस्से में आकर दौड़ लगाई और जैसे ही उसने कदम बढ़ाया, वह गड्ढे में गिर गया।

गजराज (गुस्से में चिल्लाते हुए): "तुमने यह क्या किया, मिठू?"
मिठू (शांत लहजे में): "गजराज, ताकत से नहीं, बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। यह जंगल सबका है। यहां डर के लिए जगह नहीं है। अगर तुम हमारी मदद करोगे, तो हम तुम्हें इस गड्ढे से बाहर निकाल देंगे।"

गजराज का बदलना

गजराज ने मिठू की बात सुनी और उसकी समझदारी से प्रभावित हुआ। उसने जंगल को नुकसान न पहुंचाने का वादा किया। जानवरों ने मिलकर गजराज को गड्ढे से बाहर निकाला।

गजराज (शर्मिंदा होकर): "मुझे माफ कर दो, मिठू। मैं घमंड में था, लेकिन तुमने मुझे सही रास्ता दिखाया।"
मिठू (मुस्कुराते हुए): "कोई बात नहीं, गजराज। अगर हम सब मिलकर काम करेंगे, तो जंगल हमेशा सुरक्षित रहेगा।"

सीख

उस दिन से जंगल में एकता और शांति का माहौल बन गया। मिठू की हिम्मत और समझदारी ने यह साबित कर दिया कि ताकत से ज्यादा महत्वपूर्ण बुद्धिमानी और हौसला होता है।

बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे आप कितने भी छोटे हों, आपकी हिम्मत और समझदारी किसी बड़ी समस्या का समाधान कर सकती है। तो, कभी हार मत मानो!

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