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यह बेस्ट हिंदी स्टोरी बंदर चीकू की जिज्ञासा की है, जो नदी किनारे एक रहस्यमयी पूँछ देखकर परेशान हो जाता है। वह मछली, हुदहुद, गिलहरी, खरगोश, छिपकली, उल्लू और कछुए से पूछता है, और हर किसी की पूँछ का अलग महत्व जानता है। आखिर में उसे समझ आता है कि पूँछ प्रकृति का खूबसूरत तोहफा है।
पेड़ की शाखाओं से शुरू हुई पूँछ की पहेली: एक रोचक हिंदी कहानी
एक शांत नदी के किनारे एक विशाल बरगद का पेड़ खड़ा था, जिसकी शाखाएँ हवा में लहराती थीं। उस पेड़ पर एक नन्हा बंदर, जिसका नाम था चीकू, मस्ती में झूल रहा था। उसकी लंबी पूँछ पेड़ की डालों के साथ खेल रही थी। तभी उसकी नजर आसमान में मंडराती रंग-बिरंगी तितलियों पर पड़ी। चीकू का मन ललचा गया। वह बोला, "वाह, ये तितलियाँ तो मेरे लिए खेलने का नया मौका हैं!" वह तितलियों को पकड़ने के लिए जोश से कूद पड़ा।
लेकिन तितलियाँ चीकू की हरकत देखकर चंचलता से इधर-उधर उड़ गईं। एक भी तितली उसके हाथ नहीं आई। बेचारा चीकू असंतुलित होकर पत्थरों के बीच जा गिरा। दर्द से कराहते हुए वह उठा, तो उसकी नजर जमीन पर कुछ हिलती हुई चीज पर पड़ी। curios होकर वह पास गया और देखा—वह एक पूँछ थी! चीकू घबरा गया। उसने अपनी पूँछ को छुआ और राहत की साँस ली, "अरे, मेरी पूँछ तो सही-सलामत है। फिर यह किसकी हो सकती है?"
विचारों में डूबा चीकू नदी के किनारे चल पड़ा। तभी उसे तालाब में एक चमकीली मछली दिखी, जो पानी में मस्ती से तैर रही थी। चीकू ने उत्साह से पूछा, "हाय मछली रानी, क्या यह तुम्हारी पूँछ है जो मैंने देखी?" मछली ने हंसते हुए जवाब दिया, "अरे नहीं, भाई! मेरी पूँछ तो मेरी ताकत है। बिना पूँछ के मैं पानी में कैसे तैरूँगी?" ऐसा कहकर उसने एक खूबसूरत छलाँग लगाई, और चीकू हैरान रह गया।
उलझन में पड़ा चीकू सोच ही रहा था कि पास के पेड़ से "टुक-टुक" की आवाज आई। उसने ऊपर देखा—वहाँ एक हुदहुद बैठी थी, अपनी चोंच से कीड़े खोज रही थी। चीकू ने पूछा, "हुदहुद दीदी, क्या तुम्हारी पूँछ कहीं खो गई है?" हुदहुद ने अपनी पूँछ हिलाई और बोली, "नहीं, ये तो मेरी खूबसूरत पूँछ है! बिना इस के मैं पेड़ पर कैसे संतुलन बनाऊँगी?" चीकू और भी उलझ गया।
तभी "धम्म" की आवाज हुई। एक गिलहरी, जिसका नाम था चंचल, पेड़ से कूदकर नीचे आई। चीकू ने उत्सुकता से पूछा, "चंचल, क्या यह तुम्हारी पूँछ है?" चंचल ने अपनी फूली हुई पूँछ दिखाई और हँसी, "यह मेरी पूँछ है, भाई! इसी के सहारे मैं ऊँचाई से कूदती हूँ, जैसे पैराशूट।" चीकू मुस्कुराया, लेकिन उसकी जिज्ञासा शांत नहीं हुई।
अचानक "तड़-तड़-तड़" की आवाज हुई। चीकू ने मुड़कर देखा—एक खरगोश, जिसका नाम था दौड़ा, अपने बच्चों के साथ बिल की ओर भाग रहा था। चीकू ने आवाज लगाई, "दौड़ा भाई, तुम इतनी जल्दी क्यों भाग रहे हो?" दौड़ा ने साँस लेते हुए कहा, "पत्तों की सरसराहट सुनकर लगा कि सियार आ गया। बच्चों को सुरक्षित करना जरूरी है।" चीकू ने पूछा, "क्या यह तुम्हारी पूँछ है?" दौड़ा ने अपनी छोटी-सी सफेद धब्बों वाली पूँछ दिखाई और बोला, "नहीं, यह मेरी है। ये धब्बे दुश्मनों को भ्रमित करते हैं। खतरे में मैं इसे उठाकर भागता हूँ, और बच्चे मेरे पीछे आते हैं।"
चीकू सोच में पड़ गया। तभी उसकी नजर एक छिपकली पर पड़ी, जिसकी पूँछ गायब थी। चीकू ने दया से कहा, "अरे, तुम्हारी पूँछ तो टूट गई! चिंता मत करो, यह ले लो।" छिपकली ने शांत स्वर में जवाब दिया, "नहीं, भाई, यह अब मेरी नहीं रही। कल एक साँप ने मुझे पकड़ा था। मैंने पूँछ छोड़कर भागी, और साँप धोखा खा गया। नई पूँछ मेरे शरीर में खुद उग आएगी।" चीकू हैरान होकर बोला, "वाह, ऐसी भी होती है पूँछ!"
इसके बाद चीकू ने सोचा, "हर किसी की पूँछ का अपना काम है। मछली तैरती है, हुदहुद संतुलन बनाती है, गिलहरी कूदती है, खरगोश बच्चों को बचाता है, और छिपकली अपनी जान बचाती है।" तभी एक उल्लू, जो पेड़ पर बैठा था, बोला, "चीकू, तुमने बहुत कुछ सीखा। लेकिन वह अजीब पूँछ शायद किसी जानवर की पुरानी थी, जो यहाँ छूट गई होगी।" चीकू ने राहत की साँस ली और कहा, "धन्यवाद उल्लू भाई, अब मेरी जिज्ञासा शांत हुई।"
दिन ढलने लगा, और चीकू पेड़ पर वापस चढ़ गया। रास्ते में उसने एक कछुए को देखा, जिसकी पूँछ छोटी थी। चीकू ने पूछा, "कछुआ भाई, तुम्हारी पूँछ का क्या काम है?" कछुआ हँसा और बोला, "मेरी पूँछ मेरी गति को संभालती है जब मैं धीरे-धीरे चलता हूँ। ये मेरी रक्षा का कवच है।" चीकू ने सोचा, "हर जीव की पूँछ उसकी खासियत है।"
अगले दिन चीकू ने अपने दोस्तों—मछली, हुदहुद, चंचल, दौड़ा और छिपकली—को इकट्ठा किया। उसने कहा, "दोस्तों, मैंने सीखा कि पूँछ हर किसी के लिए अलग-अलग काम करती है। हम सब एक-दूसरे से सीख सकते हैं।" सभी ने हामी भरी, और वे मिलकर जंगल में एक छोटा सा खेल शुरू किया, जहाँ हर कोई अपनी पूँछ के हुनर को दिखाता। चीकू ने झूलते हुए, दौड़ा ने दौड़ते हुए, और छिपकली ने अपनी चपलता से सबको हँसाया।
सीख
यह मोटिवेशनल स्टोरी सिखाती है कि हर चीज का अपना विशेष महत्व होता है। जिज्ञासा से सीखने और दूसरों का सम्मान करने से हमें जीवन के अनमोल सबक मिलते हैं।
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