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Sangati ka Prabhav: दो तोतों की कहानी जो आपकी सोच बदल देगी (Hindi Jungle Story)

बच्चों के लिए Sangati ka Prabhav (संगति का प्रभाव) समझाने वाली एक बेहतरीन जंगल कहानी। जानिए कैसे एक ही परिवार के दो तोते अलग-अलग माहौल में बिल्कुल अलग बन गए।

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क्या आपने कभी अपने बड़ों को यह कहते सुना है कि "जैसी संगत, वैसी रंगत"? इसका मतलब है कि हम जिनके साथ रहते हैं, हम वैसे ही बन जाते हैं। आज हम Sangati ka Prabhav (संगति का प्रभाव) विषय पर एक ऐसी कहानी पढ़ेंगे जो सदियों से यह समझाने के लिए सुनाई जाती रही है कि हमारा माहौल और हमारे दोस्त हमारे व्यवहार को कैसे बदलते हैं। यह कहानी तर्क (logic) पर आधारित है और आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।


कहानी: दो तोते और राजा का निर्णय (The Story)

सुंदरवन नाम का एक बहुत घना और खूबसूरत जंगल था। वहां एक विशाल बरगद के पेड़ पर तोतों का एक परिवार रहता था। उस परिवार में दो छोटे भाई थे, जो अभी उड़ना सीख ही रहे थे। दोनों देखने में बिल्कुल एक जैसे थे—हरी पंख, लाल चोंच और गोल-गोल आंखें।

तूफान और बिछड़ाव

एक दिन जंगल में भयानक आंधी आई। बिजली कड़कने लगी और हवा इतनी तेज़ थी कि कई पुराने पेड़ भी उखड़ गए। उस आंधी में तोतों का घोंसला टूट गया। हवा के तेज़ झोंके ने दोनों भाइयों को एक-दूसरे से अलग कर दिया।

हवा का एक झोंका बड़े भाई को उड़ाकर जंगल के उस पार ले गया, जहां गुफाओं में डाकू और चोर रहते थे। वह वहीं एक सूखे पेड़ पर गिर गया।

हवा का दूसरा झोंका छोटे भाई को एक शांत ऋषि के आश्रम में ले गया, जहां दिन-रात पूजा-पाठ और अच्छे प्रवचन होते थे।

समय बीतता गया और दोनों तोते अपने-अपने नए माहौल में बड़े हो गए।

राजा का आगमन

कुछ साल बाद, उस राज्य के राजा 'प्रताप सिंह' शिकार करने के लिए जंगल में आए। शिकार का पीछा करते-करते वे अपनी सेना से बिछड़ गए और रास्ता भटक गए। बहुत देर तक भटकने के बाद, थके-हारे राजा को एक गुफा दिखाई दी। उन्होंने सोचा कि वहां थोड़ा आराम कर लिया जाए।

जैसे ही राजा गुफा के पास पहुंचे, उन्हें एक कर्कश और तीखी आवाज़ सुनाई दी।

"पकड़ो! पकड़ो! इसे जाने मत दो! इसके पास बहुत से गहने हैं, इसे लूट लो! मारो इसे!"

राजा चौंक गए। उन्होंने ऊपर देखा तो पेड़ पर एक तोता बैठा था, जिसकी आंखें गुस्से से लाल थीं। राजा समझ गए कि यह डाकुओं का इलाका है और यह तोता उन्हीं की बोली बोल रहा है। राजा अपनी जान बचाकर वहां से तुरंत भाग निकले।

ऋषि का आश्रम और दूसरा अनुभव

घोड़ा दौड़ाते-दौड़ाते राजा जंगल के दूसरे हिस्से में पहुंच गए। वहां उन्हें एक शांत आश्रम दिखाई दिया। वहां का वातावरण बहुत ही सुखद था। फूलों की खुशबू आ रही थी। राजा जैसे ही आश्रम के गेट पर पहुंचे, उन्हें फिर से एक तोते की आवाज़ आई, लेकिन इस बार आवाज़ बहुत ही मधुर और विनम्र थी।

"आइए राजन! आपका स्वागत है। आप थके हुए लग रहे हैं। कृपया आश्रम में पधारें, शीतल जल ग्रहण करें और विश्राम करें।"

राजा हैरान रह गए। यह तोता बिल्कुल वैसा ही दिखता था जैसा वह गुफा वाला तोता था, लेकिन इसकी बोली में कितना अंतर था!

संगति का तर्क (The Logic Behind Behavior)

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राजा ने आश्रम के ऋषि से अपनी हैरानी व्यक्त की। उन्होंने कहा, "ऋषिवर, मैंने अभी थोड़ी देर पहले बिल्कुल ऐसा ही एक तोता देखा जो मुझे लूटने और मारने की बात कर रहा था, और यह तोता मेरा स्वागत कर रहा है। एक ही जाति के दो पक्षियों में इतना अंतर कैसे?"

ऋषि मुस्कुराए और बोले, "राजन! यह सब संगति का प्रभाव (Sangati ka Prabhav) है। वह तोता डाकुओं की गुफा के पास रहता है। वह दिन-रात मार-काट और लूटपाट की बातें सुनता है, इसलिए वह वही बोलता है। यह तोता आश्रम में रहता है। यह दिन-रात वेदों का पाठ और अतिथियों का सत्कार देखता है, इसलिए यह विनम्रता से बात करता है। इसमें तोतों का कोई दोष नहीं है, यह तो बस उस माहौल का असर है जिसमें वे पले-बढ़े हैं।"

राजा को बात समझ में आ गई कि अच्छी संगति इंसान को देवता बना सकती है और बुरी संगति उसे जानवर।


कहानी से सीख (Moral of the Story)

"हम जैसे लोगों के साथ उठते-बैठते हैं, हमारी सोच और हमारी भाषा वैसी ही बन जाती है। इसलिए हमेशा अच्छे दोस्तों और अच्छे विचारों की संगति में रहना चाहिए।"

विकिपीडिया लिंक (Wikipedia Link)

अगर आप तोतों की नकल करने की क्षमता (Mimicry in Parrots) के बारे में और जानना चाहते हैं, तो आप यहां पढ़ सकते हैं: Parrot Wikipedia Page

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