हंस और कछुए की दोस्ती: धैर्य की कहानी (The Swan and the Turtle: A Tale of Patience)

यह कहानी एक हंस और कछुए की दोस्ती की है, जो एक खूबसूरत तालाब में रहते थे। जब एक दिन सूखा पड़ता है, तो दोनों को मिलकर एक नई जगह ढूंढनी पड़ती है।

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हंस और कछुए की दोस्ती: धैर्य की कहानी (The Swan and the Turtle: A Tale of Patience)- यह कहानी एक हंस और कछुए की दोस्ती की है, जो एक खूबसूरत तालाब में रहते थे। जब एक दिन सूखा पड़ता है, तो दोनों को मिलकर एक नई जगह ढूंढनी पड़ती है। इस यात्रा में कछुए का धैर्य और हंस की चतुराई उनकी जान बचाती है। यह बच्चों के लिए एक रोमांचक और प्रेरणादायक कहानी है, जो धैर्य के महत्व को सिखाती है।

कहानी: तालाब की मुश्किल

एक शांत तालाब में हंस रजत और कछुआ कालू रहते थे। रजत सुबह की धूप में उड़ान भरता और कालू धीरे-धीरे तालाब के किनारे सैर करता। दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त थे। रजत अक्सर कहता, "कालू, तुम बहुत धीमे चलते हो, कभी मेरी रफ्तार से चलो!" कालू हँसकर जवाब देता, "भाई रजत, जल्दी करने से क्या फायदा? धीरे चलने में सुकून है।"

एक दिन अचानक सूखा पड़ गया। तालाब सूखने लगा, और दोनों को नई जगह ढूंढनी पड़ी। रजत ने कहा, "कालू, हमें उड़कर एक नया तालाब ढूंढना चाहिए। तुम मेरे साथ उड़ो!" कालू ने मुँह बनाते हुए कहा, "अरे, मैं तो उड़ नहीं सकता। पैरों पर चलकर जाऊँगा।" रजत चिंता में पड़ गया, "लेकिन रास्ता लंबा है, और तुम इतने धीमे हो। शिकारी भी हो सकते हैं।"

कालू ने सोचा और बोला, "चिंता मत करो, दोस्त। मेरे पास एक योजना है। तुम दो मजबूत डंडे लाओ और उन्हें अपनी चोंच से पकड़ो। मैं बीच में दांतों से पकड़ लूँगा। तुम उड़ो, और मैं हवा में लटककर जाऊँगा।" रजत को यह आइडिया पसंद आया। उसने दो मजबूत टहनियाँ लाकर कालू के साथ तैयार किया।

दोनों ने योजना शुरू की। रजत हवा में उड़ने लगा, और कालू दांतों से टहनी पकड़कर लटक गया। रास्ते में एक गाँव से गुजरते वक्त कुछ बच्चे उन्हें देखकर हँसने लगे। एक बच्चे ने चिल्लाया, "देखो, हंस कछुए को उड़ा रहा है!" कालू गुस्से में आ गया और बोला, "ये क्या बकवास है!" लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, टहनी छूट गई, और वह नीचे गिर पड़ा।

रजत तुरंत नीचे उतरा और कालू को उठाया। कालू थोड़ा चोटिल था, लेकिन सुरक्षित था। रजत ने डाँटा, "कालू, तुमने धैर्य खो दिया। अगर चुप रहते, तो हम सुरक्षित पहुँच जाते।" कालू शर्मिंदा होकर बोला, "सही कहा, दोस्त। गुस्से में मैंने सब बर्बाद कर दिया।" फिर दोनों ने धीरे-धीरे पैदल चलकर एक नया तालाब ढूंढा, जहाँ वे खुशी से रहने लगे।

सीख (Moral of the Story)

बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धैर्य और संयम से हर मुश्किल को सुलझाया जा सकता है। कालू की जल्दबाज़ी ने उन्हें मुसीबत में डाला, लेकिन धीरे-धीरे चलकर उन्होंने नया तालाब पाया। इसलिए, हर काम में धैर्य रखना और गुस्से पर काबू रखना ज़रूरी है।

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