जब टिंकू खरगोश ने अपनी जान बचाई - जंगल में टिंकू नाम का एक शरारती खरगोश रहता था। टिंकू हमेशा अपनी शरारतों के लिए मशहूर था और नन्हे जानवरों को तंग करना उसकी आदत बन चुकी थी। एक दिन टिंकू ने मुर्गी के छोटे बच्चे को आवाज लगाई, "अरे चूजे, इधर आ। मैं तुझे एक सपना सुनाता हूं।"
चूजा डरते-डरते टिंकू के पास पहुंचा और बोला, "क्या सपना देखा भैया?"
टिंकू ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैंने सपना देखा कि मैं चूजे की पीठ पर बैठकर सवारी कर रहा हूं।" यह कहते ही टिंकू चूजे की पीठ पर चढ़ गया। चूजा संभल नहीं पाया और धड़ाम से गिर पड़ा। किसी तरह जान बचाकर वह वहां से भागा। टिंकू की हंसी रुक ही नहीं रही थी।
अगले दिन, टिंकू ने पिद्दी गिलहरी को छेड़ा। उसने कहा, "पिद्दी, तुम्हें पता है, मैंने सपना देखा कि तुमने मेरी सारी मूंगफली खा ली। अब चलो, सब मूंगफली लौटाओ।" यह कहकर उसने पिद्दी की मूंगफली छीन ली। पिद्दी गुस्से से भर गई लेकिन कुछ कह नहीं पाई। वह रोती हुई पूसी बिल्ली के पास गई और अपनी आपबीती सुनाई। पूसी बिल्ली ने मुस्कुराते हुए कहा, "चिंता मत करो, इसे सबक सिखाने का समय आ गया है।"
अगले दिन पिद्दी गिलहरी फिर टिंकू के पास आई। उसने कहा, "भैया, मैंने सपना देखा कि मैंने तुम्हारे अखरोट खा लिए। इसलिए तुम्हें वापस लौटाने आई हूं।"
अखरोट का नाम सुनते ही टिंकू का मुंह पानी से भर गया। वह बिना सोचे-समझे पिद्दी के पास गया। लेकिन जैसे ही उसने अखरोट तोड़ा, पीछे से पूसी बिल्ली ने उसे पकड़ लिया। टिंकू की सांसें थम गईं।
पूसी ने गंभीरता से कहा, "वनदेवी ने मुझे सपना दिखाया था कि मैं तुम्हें पकड़ लूं। बस, मैंने वही किया।"
टिंकू रोते-गिड़गिड़ाते हुए बोला, "मौसी, माफ कर दो। अब मैं कभी किसी को परेशान नहीं करूंगा। सपने देखना भी बंद कर दूंगा। अब तो छोड़ दो।"
पूसी ने आखिरकार उसे माफ कर दिया और उसे छोड़ दिया। टिंकू वहां से भागते हुए सोच रहा था, "जान बची तो लाखों पाए। अब से मैं किसी को परेशान नहीं करूंगा।"
उस दिन के बाद टिंकू ने शरारत करना बंद कर दिया। जंगल के सभी जानवर अब उससे खुश रहने लगे।
सीख:
कहानी सिखाती है कि दूसरों को परेशान करना या उनके साथ अन्याय करना बुरी आदत है। हमें सभी के साथ आदर और प्रेम से पेश आना चाहिए। शरारतें तभी अच्छी होती हैं जब वे किसी को हानि न पहुंचाएं।
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