जंगल कहानी : चीकू की बुद्धि का कमाल: - हर रोज की तरह आज भी चीकू (खरगोश) स्कूल से पढ़ने के बाद अकेला घर वापस लौट रहा था। सहसा उसकी नजर टोनी (भालू) पर पड़ी। जो उसी की ओर लम्बे डग भरता चला आ रहा था।
टोनी इस जंगल के नामीगिरामी बदमाशों में एक था। लूटपाट, चोरी, डकैती, अपहरण यही उसका पेशा था। सभी उसके नाम से थर्राते थे। वह बड़ा से बड़ा अपराध करने से कभी हिचकिचाता नहीं था। किसी की भी उसके खिलाफ रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं थी। उसका अपराध सिद्ध नहीं हो पाता था। अतः जंगल पुलिस भी उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पाती थी। इसी लिए वह हमेशा निडर अपराध करता था।
टोनी को अपनी ओर आता देखकर चीकू सहम गया। किन्तु वह अपने में नियंत्रण हुए, आगे बढ़ता रहा। टोनी ने चीकू के नजदीक आकर पूछा। चीकू अरे तुम कहाँ से आ रहे हो और कहाँ जा रहे हो?
चीकू ने उत्तर दिया, अंकल! मैं स्कूल से वापस अपने घर जा रहा हूँ।
चीकू! क्या तुम्हें मालूम नहीं कि आज इस जंगल में मशहूर हलवाई रामू (सियार) ने मिठाई की दुकान खोली है? दूर-दूर से लोग उसके यहाँ की मिठाईयाँ खाने आ रहे है। क्या तुम उसके यहाँ की मिठाईयाँ नहीं खाओगे? टोनी ने चीकू से पूछा।
चीकू शुरू से ही तेज तर्रार और चालाक किस्म का था। वह समझ गया कि हो-न-हो इस आवमगत के पीछे उसकी कोई बुरी चाल छिपी हो। अतः वह बोला, आज स्कूल जाते समय मम्मी ने कहा था कि स्कूल से घर जल्दी लौटना। इसीलिए मैं जल्दी घर जा रहा हूँ। मुझे क्षमा कीजिएगा, मैं आपके साथ मिठाई खाने नहीं जा सकूंगा।
टोनी ने अपनी जेब से चाकू निकालकर कहा। नहीं चलोगे, तो मैं तुम्हें चाकू मार दूंगा।
आप मुझे मिठाई खिलाना चाहते ही हैं, तो मैं आपके साथ चलने को तैयार हूँ। कहकर चीकू ने स्थिति की नाजुकता को संभाल लिया और उसके साथ चलने लगा। टोनी ने उसका हाथ पकड़ रखा था और उसी के साथ-साथ चल रहा था। चीकू ने टोनी की नजर बचाकर अपने दोनों पैरों की चप्पलों कोे थोड़ी दूर के फासले में उतार दिया।
कुछ आगे पहुंचने पर चीकू ने टोनी से कहा। अकंल! आज सुबह स्कूल जाते समय मम्मी ने मुझे चबैना (लाई-चना) चबाने के लिए दिया था। अगर हम दोनों चबैना चबाते हुए चलें, तो रास्ता जल्दी कट जाएगा।
नहीं...! नहीं....! मुझे चबैना-वबैना कुछ नहीं चबाना है। अगर तुम चाहो, तो चुपचाप चबैना चबाते हुए, मेरे साथ चल सकते हो।
चीकू को तोे बस इसी मौके की तलाश थी। वह चबैना चबाता कम छीटता ज्यादा चल रहा था। टोनी ने चीकू को एक कमरे में ले जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और उसने चीकू को हिदायत देते हुए कहा। यदि तुमने भागने की या कोई चालाकी करने की कोशिश की, तो अंजाम बहुत बुरा होगा। मैं तुम्हें तभी छोड़ूंगा, जब तुम्हारे घर से मुझे एक लाख रूपये मिल जाएंगे।
अभी टोनी चीकू को हिदायतें दे ही रहा था। तभी किसी ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। उसने स्वंय दरवाजा खोला, तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। सामने कोतवाल श्री शेर सिंह (शेर) हाथ में डंडा लिए दल बल के साथ खड़े थे।
शेर सिंह ने तत्काल टोनी को अपनी गिरफ्त में ले लिया, शेर सिंह से बोले, चल बेटा, अब समझ में आएगा, जब जेल की चक्की चलानी पड़ेगीं
टोनी बोला- हुजूर! वह तो अब करना ही पड़ेगा। किन्तु मैं यह जानना चाहता हूं कि जिस काम को हमने इतनी सावधानी पूर्वक किया था, जिसकी हवा किसी को नहीं लगने दी थी, तब आप मुझ तक कैसे पहुँच सके?
शेर सिंह बोले। जिस समय तुम स्कूल के पास चीकू से बातें कर रहे थे, उस समय चीकू को पड़ोसी बीनू (गीदड़) वहीं पास में छुपा हुआ, तुम दोनों की बातें सुन रहा था। उसने घर जाकर चीकू की मम्मी को सारी बातें बता दी थी। चप्पलें और रास्तें में गिरा चबैना ने मुझे तुम तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध किया। यह सब चीकू की बुद्धि का कमाल है।
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