जंगल की कहानी : दुष्ट दोस्त की दोस्ती

जंगल की कहानी  (Jungle Story) दुष्ट दोस्त की दोस्ती :- एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वो बहुत ही दुष्ट और स्वार्थी स्वभाव की थी। इसलिये जंगल के सब पशु पक्षी उससे दूर ही रहते थे। आखिर अकेले रहते रहते एक दिन लोमड़ी ऊब गई। उसने देखा कि जंगल के सभी पशु पक्षी एक दूसरे के साथ मिलजुल कर खेलते कूदते और खुश रहते हैं। लोमड़ी के मन में आया कि अगर उसका भी कोई दोस्त होता तो वह भी उसके साथ दिन भर खेलती और बातें करती।

By Lotpot
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Jungle Story Friendship of the Wicked Friend

जंगल की कहानी  (Jungle Story) दुष्ट दोस्त की दोस्ती :- एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वो बहुत ही दुष्ट और स्वार्थी स्वभाव की थी। इसलिये जंगल के सब पशु पक्षी उससे दूर ही रहते थे। आखिर अकेले रहते रहते एक दिन लोमड़ी ऊब गई। उसने देखा कि जंगल के सभी पशु पक्षी एक दूसरे के साथ मिलजुल कर खेलते कूदते और खुश रहते हैं। लोमड़ी के मन में आया कि अगर उसका भी कोई दोस्त होता तो वह भी उसके साथ दिन भर खेलती और बातें करती। अब वह  दोस्त ढूंढ़ने लगी। उसने खरगोश से पूछा, "क्या तुम मेरे  दोस्त बनोगे?" खरगोश ने वहां से भागते हुए जवाब दिया, "नहीं, तुम्हारी तरह स्वार्थी दोस्त मुझे नहीं चाहिए।" लोमड़ी ने हिरण से पूछा, "क्या तुम मेरे  दोस्त बनोगे?" हिरण ने कुलांचे भरते हुए कहा, "मेरे पास मेरे अच्छे दोस्त है, मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं।"

Jungle Story Friendship of the Wicked Friend  Jungle Story

लोमड़ी ने जंगल के प्रत्येक पशु पक्षी से दोस्ती करना चाहा लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी। एक दिन उसने देखा कि एक जोड़ी कबूतर  पेड़ पर घोंसला बना रहे है। वे शायद किसी दूर दराज के जंगल से आए थे।  लोमड़ी ने कबूतरों से कहा ," मैं जंगल में बहुत अकेली हूँ, क्या आप दोनों मेरे दोस्त बनोगे?" कबूतरों ने लोमड़ी की बात मान ली और तीनों दोस्त बन गए। अब लोमड़ी अक्सर पेड़ के नीचे बैठकर कबूतरों से बातें करती रहती थी। लेकिन धीरे-धीरे  उसकी  नीयत में खोट आने लगी। उसने सोचा क्यों न वो कबूतरों को खा जाए।  एक दिन, जब उन दोनों कबूतरों में से एक कबूतर जमीन में तिनका चुन रहा है तो लोमड़ी उसके पास जाकर बैठ गई और बातें करने लगी। इससे पहले कि भोला-भाला कबूतर कुछ समझ पाता कि अचानक लोमड़ी ने झपट्टा मारकर उसे पकड़ लिया और बोली, "आज मैं तुझे खा जाऊँगी।" कबूतर समझ गया कि उसने दुष्ट लोमड़ी से दोस्ती करके भारी भूल की है । अब वो कैसे अपने प्राण बचाए? अचानक उसे एक तरकीब सूझी। उसने लोमड़ी से हाथ जोड़कर कहा, "बहन, तुम मुझे खा जाओगी तो मेरी कबूतरी मेरे बिना एक पल भी नहीं जी सकेगी, इससे तो अच्छा है कि तुम मेरे साथ उसे भी खा जाओ। तुम कहो तो मैं उसे  पेड़ के नीचे ले आऊँ?" लालची लोमड़ी ने तुरंत कबूतर को छोड़ते हुए कहा, "ठीक है, तू जल्दी उसे  लेकर नीचे आ जा।" मौका पाते ही कबूतर फुर्र से उड़कर पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ से बोला ," ऐ चालाक कपटी लोमड़ी, अब तुम्हारे साथ हमारी दोस्ती खत्म। अब कभी मुझसे बात मत करना। " यह सुनकर लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने बार बार कबूतरों से माफ़ी मांगी लेकिन कबूतरों ने उससे दोस्ती हमेशा के लिए तोड़ दी।

इस कहानी से हम सबको यह सीख मिलती है कि हमें दुष्ट और कपटी दोस्तों से दूर रहना चाहिए

- सुलेना मजुमदार अरोरा

 

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