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जब लालच बुद्धि पर हावी हो जाए
प्यारे बच्चों, आपने अक्सर सुना होगा कि लालच बुरी बला है। लालच हमें वह काम भी करवा देता है जो हमें नहीं करना चाहिए, और इसके कारण हम कई बार बड़ी मुसीबत में फँस जाते हैं। जब हम अपने फायदे के लिए दूसरों की समझदारी भरी सलाह को अनसुना कर देते हैं, तो इसका परिणाम बहुत बुरा हो सकता है।
आज हम जंगल के एक
तोताराम की चतुराई और चेतावनी
सुंदर 'हरियाली वन' में तोताराम रहता था। जंगल के किनारे एक किसान का छोटा सा बाग था, जिसमें मीठे-मीठे और रसीले
जंगल में उसका सबसे अच्छा दोस्त, बुद्धू उल्लू, रहता था। बुद्धू उल्लू रात में जागता था, इसलिए उसे इंसान की चालों की अच्छी समझ थी।
बुद्धू उल्लू: "तोताराम, तुम रोज़ उस बाग में क्यों जाते हो? किसान बहुत चतुर है। मुझे डर है कि वह तुम्हें फँसाने के लिए कोई चाल चल रहा होगा।"
तोताराम: (घमंड से हँसते हुए) "बुद्धू, तुम उल्लू हो, इसलिए रात में ही सोचते हो। मैं तो तोता हूँ! मैं उड़ने में इतना तेज़ हूँ कि कोई किसान मुझे पकड़ ही नहीं सकता। तुम अपनी नींद पूरी करो।"
तोताराम ने दोस्त की बात को बार-बार अनसुना कर दिया। उसके लिए लालच, दोस्ती की सलाह से ज़्यादा ज़रूरी था।
किसान की चाल और लालच का जाल
एक दिन, तोताराम हमेशा की तरह बाग में पहुँचा। उसने देखा कि इस बार किसान ने सबसे बड़ा और सबसे रसीला अमरूद एक पेड़ पर अकेले छोड़ रखा है। अमरूद इतना सुंदर था कि तोताराम का लालच तुरंत जाग उठा।
तभी, उसने देखा कि उस अमरूद के ठीक नीचे, ज़मीन पर एक रंग-बिरंगा बर्तन रखा है, जो शहद से भरा हुआ था।
तोताराम की आँखें चमक उठीं। उसने सोचा: 'वाह! आज तो दोहरी दावत है! पहले अमरूद और फिर शहद!'
लेकिन, वह मूर्खतापूर्ण लालच में यह नहीं देख पाया कि वह बर्तन असल में गोंद (चिपचिपा पदार्थ) से भरा हुआ था, जिसे किसान ने तोते को फँसाने के लिए शहद बताकर रखा था।
तोताराम ने अमरूद की परवाह नहीं की। उसका सारा ध्यान अब उस 'शहद' पर था।
तोताराम: "बस एक बार यह मीठा शहद चख लूँ, फिर उड़ जाऊँगा।"
उसने लालच में ज़मीन पर छलांग लगाई और उस चिपचिपे बर्तन में अपना सिर और पंजे डाल दिए।
बुरे फंसे तोताराम
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जैसे ही तोताराम ने गोंद (शहद समझकर) चाटना शुरू किया, उसके पैर और पर (पंख) पूरी तरह से उस चिपचिपे पदार्थ में फँस गए। वह जितना ज़्यादा निकलने की कोशिश करता, उतना ही ज़्यादा फँसता जाता।
वह ज़ोर से चिल्लाया: "मदद! कोई मेरी मदद करो!"
उसकी आवाज़ सुनकर, किसान वहाँ हँसते हुए आ गया।
किसान: "बुरे फंसे तोताराम! मैंने तुम्हें तुम्हारी फुर्ती से नहीं, तुम्हारे लालच से पकड़ा है।"
तोताराम को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बुद्धू उल्लू की सलाह को अनसुना कर दिया था और अपने लालच के कारण एक छोटी सी सुविधा के लिए अपनी आज़ादी को दाँव पर लगा दिया था।
शाम को बुद्धू उल्लू जब उसे बचाने आया, तो उसने अपनी चतुराई से तोताराम को गोंद से बाहर निकाला। तोताराम बहुत शर्मिंदा था और उसने अपने दोस्त से वादा किया कि वह अब कभी लालच में आकर बिना सोचे-समझे कोई काम नहीं करेगा।
सीख (Moral of the Story)
यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच और अहंकार हमें अंधा बना देते हैं। हमें कभी भी अपनी चतुराई पर इतना घमंड नहीं करना चाहिए कि हम दोस्तों की सलाह और आस-पास की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर दें। बिना सोचे-समझे लालच में कदम उठाना, ठीक वैसे ही है जैसे बुरे फँसना और अपनी ही मुसीबत को न्योता देना।
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