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जंगल का दोस्ताना मुकाबला- एक घने जंगल में सभी जानवर खुशी-खुशी रहते थे। वहां शेर, हाथी, हिरण, बंदर, और खरगोश जैसे अनेक जानवर थे। जंगल में हर साल एक बड़ा खेल प्रतियोगिता होती थी, जिसमें सभी जानवर भाग लेते थे। इस बार की प्रतियोगिता का नाम था "जंगल का सबसे तेज धावक।"
सभी जानवर उत्साहित थे, लेकिन सबसे ज्यादा उत्साहित थे हिरण, खरगोश और बंदर। सबका मानना था कि यही तीनों सबसे तेज हैं। परंतु, एक छोटी सी कछुए ने भी प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया। यह सुनकर सभी जानवर हंसने लगे। "कछुआ और दौड़? यह तो मजाक है!" बंदर बोला।
कछुए ने कहा, "हंसो मत दोस्तों, मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा। यह मायने नहीं रखता कि मैं जीतूं या हारूं। कोशिश करना ही सबसे बड़ी बात है।" उसकी बात सुनकर सब चुप हो गए।
प्रतियोगिता का दिन आया। मैदान में सभी जानवर इकट्ठा हुए। दौड़ शुरू होते ही हिरण और खरगोश तेज दौड़ने लगे। बंदर ने भी ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर छलांग लगाकर आगे बढ़ने की कोशिश की। लेकिन कछुआ धीरे-धीरे, अपनी गति से चल रहा था।
जंगल के बीच में एक नदी आई। हिरण और खरगोश उसे पार करने में परेशान हो गए, जबकि कछुआ आसानी से तैरकर नदी पार कर गया। नदी के बाद, एक ऊंचा पहाड़ आया। बंदर ने तेजी से चढ़ाई की, लेकिन बहुत थक गया। कछुआ धीरे-धीरे चलता रहा और आखिरकार पहाड़ भी पार कर लिया।
आखिरी पड़ाव था एक लंबा और ऊबड़-खाबड़ रास्ता। सभी तेज जानवर थककर रुक गए, लेकिन कछुआ अपनी धैर्य और संकल्प के साथ चलता रहा। जब कछुआ फिनिश लाइन तक पहुंचा, तो सभी जानवर उसकी हिम्मत और मेहनत को देखकर दंग रह गए।
शेर, जो इस प्रतियोगिता का आयोजक था, बोला, "इस बार का विजेता कछुआ है। लेकिन यह जीत सिर्फ उसकी नहीं है, बल्कि उसकी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास की भी जीत है।" सभी जानवरों ने तालियां बजाईं और कछुए को बधाई दी।
जंगल का दोस्ताना मुकाबला से सीख:
कभी किसी को उसकी कमजोरी के कारण मत आंकिए। मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।