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मूर्तिकार के अहंकार का पतन- यह मोरल हिंदी स्टोरी रमेश नाम के मूर्तिकार की है, जिसने अपनी कला से मृत्यु से बचने की कोशिश की, लेकिन अहंकार ने उसे बर्बाद कर दिया। उसने 10 सजीव मूर्तियाँ बनाईं और उनके बीच छिप गया, पर यमदूत ने उसके घमंड का फायदा उठाया। बेटे ने इस घटना से सबक लिया और विनम्रता की राह अपनाई।
अहंकार का पतन: मूर्तिकार की प्रेरक कहानी
एक छोटे से गाँव में एक प्रतिभाशाली मूर्तिकार रहता था, जिसका नाम था रमेश। उसे मूर्तिकला से गहरा लगाव था, और उसने अपनी पूरी जिंदगी इस कला को समर्पित कर दी। सालों की मेहनत से उसकी कला इतनी निखर गई कि उसकी हर मूर्ति में जान सी मालूम पड़ती थी। गाँव के लोग उसकी कारीगरी की तारीफ करते, और उसकी शोहरत दूर-दूर तक फैल गई।
रमेश की प्रसिद्धि बढ़ने के साथ उसमें घमंड भी जाग उठा। वह सोचने लगा, "मुझसे बेहतर मूर्तिकार दुनिया में कोई नहीं।" लोग उसे सम्मान देते, लेकिन उसका अहंकार उसे अंधा कर रहा था। एक दिन, उम्र के साथ उसने महसूस किया कि उसका अंतिम समय नजदीक आ रहा है। मृत्यु का डर उसे सताने लगा, और वह यमदूत से बचने की चाल सोचने लगा।
रमेश ने सोचा, "अगर मैं अपनी कला का जादू चला दूं, तो शायद मौत से बच जाऊं।" उसने दिन-रात मेहनत कर 10 मूर्तियाँ बनाईं, जो बिल्कुल उसकी तरह दिखती थीं। जब ये मूर्तियाँ तैयार हुईं, तो वे इतनी सजीव लगीं कि कोई अंतर समझ ही नहीं पाया। रमेश इनके बीच जा बैठा और सोचा, "अब यमदूत मुझे कैसे पहचान पाएगा?"
जब यमदूत प्राण लेने आया, तो उसने 11 एक जैसे चेहरों को देखकर हैरानी जताई। उसने सोचा, "इनमें से असली कौन है?" रमेश मुस्कुराया और मन ही मन बोला, "मेरी चाल काम कर गई।" लेकिन यमदूत समझदार था। उसने कहा, "ये मूर्तियाँ तो कला का चमत्कार हैं, लेकिन इनमें कोई खामी होगी। अगर असली मूर्तिकार सामने हो, तो मैं उसे बता सकता हूँ।"
रमेश का अहंकार फूट पड़ा। वह चिल्लाया, "खामी? मेरी कला में कोई खामी नहीं हो सकती!" यमदूत ने तुरंत उसे पकड़ लिया और हँसते हुए कहा, "बेजान मूर्तियाँ चिल्लाती नहीं, तुमने खुद अपनी पहचान बता दी। तुम्हारा अहंकार ही तुम्हारी हार बना।" रमेश की आँखें खुली रह गईं, और यमदूत उसे यमलोक ले गया।
गाँव में इस घटना की चर्चा हुई। रमेश का बेटा, जो कला सीख रहा था, ने फैसला किया कि वह अपने पिता की गलती से सबक लेगा। उसने अपने गुरु से कहा, "पिताजी का घमंड उन्हें ले डूबा। मैं हमेशा विनम्र रहूँगा।" गुरु ने मुस्कुराकर कहा, "यही सच्ची कला की राह है।"
सीख
यह मोटिवेशनल स्टोरी सिखाती है कि अहंकार विनाश का कारण बनता है। विनम्रता और आत्मविश्वास में अंतर समझें, क्योंकि सच्ची सफलता विनम्रता से ही मिलती है।
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