/lotpot/media/media_files/2025/12/30/bacchon-ke-liye-naitik-kahani-sachai-ki-jeet1-2025-12-30-11-59-30.jpg)
बच्चों के लिए नैतिक कहानी - कहानियाँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं होतीं, बल्कि ये बच्चों के कोमल मन पर गहरे संस्कार छोड़ती हैं। आज की हमारी बच्चों के लिए नैतिक कहानी एक ऐसे बालक की है, जिसने कठिन परिस्थितियों में भी घुटने नहीं टेके। जब हम बच्चों को ऐसी कहानियाँ सुनाते हैं, तो उनमें साहस, तर्कशक्ति और सच्चाई के प्रति विश्वास पैदा होता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, एक छोटा सा सच और थोड़ी सी समझदारी उसे हराने के लिए काफी है। आइए, चलते हैं चंदनपुर गाँव की गलियों में।
चंदनपुर गाँव का एक नन्हा सितारा: रोहन
बहुत समय पहले की बात है, पहाड़ों की गोद में बसा एक छोटा सा और सुंदर गाँव था—चंदनपुर। यहाँ के लोग सीधे-साधे थे और अपनी मेहनत की कमाई पर भरोसा करते थे। इसी गाँव में रोहन नाम का एक 10 साल का लड़का अपने बूढ़े दादा-दादी के साथ रहता था। रोहन के माता-पिता बचपन में ही एक दुर्घटना में चल बसे थे, इसलिए उसके दादा जी ही उसके लिए सब कुछ थे।
रोहन के पास शहर के बच्चों की तरह महंगे खिलौने या वीडियो गेम नहीं थे। वह मिट्टी के घरोंदे बनाता, पेड़ों पर चढ़ता और शाम को दादा जी से कहानियाँ सुनता। उसके पास एक पुरानी फटी हुई कमीज़ थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी—सच्चाई की चमक।
रोहन की दिनचर्या और मेहनत
रोहन सुबह सूरज उगने से पहले उठ जाता था। वह अपने दादा जी के साथ उनके छोटे से खेत में जाता। वे दोनों मिलकर ज़मीन जोतते, बीज बोते और पौधों को पानी देते। रोहन को मिट्टी की खुशबू बहुत पसंद थी। वह अक्सर कहता, "दादा जी, एक दिन हमारी मेहनत रंग लाएगी और हमारा खेत सोने की तरह चमकेगा।"
ज़मींदार दुर्जन सिंह: लालच का दूसरा नाम
चंदनपुर गाँव में सब कुछ अच्छा था, सिवाय एक व्यक्ति के—ज़मींदार दुर्जन सिंह। जैसा उसका नाम था, वैसा ही उसका काम। वह बहुत बड़ा और मोटा था, हमेशा रेशमी कपड़े पहनता और सोने की अंगूठियाँ चमकता रहता था। लेकिन उसका दिल कोयले की तरह काला था।
दुर्जन सिंह का मुख्य काम गरीब किसानों को ऊंचे ब्याज पर कर्ज देना और फिर उनकी ज़मीनें हड़पना था। उसने आधे से ज़्यादा गाँव को अपना गुलाम बना रखा था। रोहन के दादा जी ने भी कई साल पहले अपनी पत्नी की बीमारी के इलाज के लिए दुर्जन सिंह से कुछ पैसे उधार लिए थे। वे पैसे तो चुका दिए गए थे, लेकिन दुर्जन सिंह के हिसाब की किताब में ब्याज कभी खत्म ही नहीं होता था।
कहानी में संकट: एक भयानक शाम
एक शाम जब रोहन और उसके दादा जी खेत से थके-हारे घर लौटे, तो उन्होंने देखा कि दुर्जन सिंह अपने दो लठैतों के साथ उनके दरवाज़े पर खड़ा है। उसके हाथ में एक काला हंटर था जिसे वह बार-बार अपनी हथेली पर मार रहा था।
"ओ बुड्ढे!" दुर्जन सिंह दहाड़ा। "तेरा कर्ज़ अब पहाड़ जितना बड़ा हो गया है। कल सुबह तक अगर तूने पाँच हज़ार रुपये नहीं दिए, तो यह खेत और यह घर मेरा हो जाएगा। तुम दोनों को यह गाँव छोड़ना पड़ेगा!"
दादा जी के पैर कांपने लगे। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, "मालिक, मुझ पर रहम करें। इस साल फसल अच्छी नहीं हुई है, मैं इतने पैसे कहाँ से लाऊँगा? थोड़ा समय और दे दीजिए।"
लेकिन दुर्जन सिंह का दिल पत्थर का था। वह हँसते हुए बोला, "समय खत्म हुआ! कल सुबह पंचायत बैठेगी और वहीं फैसला होगा।"
पंचायत का दिन और दुर्जन की गंदी चाल
/filters:format(webp)/lotpot/media/media_files/2025/12/30/bacchon-ke-liye-naitik-kahani-sachai-ki-jeet-2025-12-30-11-59-30.jpg)
अगले दिन गाँव की Wikipedia: Panchayat एक पुराने बरगद के पेड़ के नीचे जुटी। सरपंच जी और गाँव के बड़े-बुजुर्ग न्याय के लिए बैठे थे। पूरे गाँव के लोग रोहन और उसके दादा जी के लिए दुखी थे।
दुर्जन सिंह ने पंचायत के सामने एक प्रस्ताव रखा। उसने कहा, "मैं इतना भी बुरा नहीं हूँ। मैं इस बच्चे को एक मौका दूँगा। मेरे हाथ में एक थैली है। इसमें मैं दो पत्थर डालूँगा—एक सफेद और एक काला। अगर रोहन ने सफेद पत्थर चुना, तो उसका सारा कर्ज़ माफ और ज़मीन उसकी। लेकिन अगर उसने काला पत्थर चुना, तो कर्ज़ तो माफ हो जाएगा, लेकिन ज़मीन मेरी हो जाएगी और इन्हें गाँव छोड़ना होगा।"
सबको लगा कि यह तो किस्मत का खेल है। लेकिन रोहन की निगाहें बहुत तेज़ थीं। जब दुर्जन सिंह ज़मीन से पत्थर उठा रहा था, रोहन ने देख लिया कि उसने चालाकी से दोनों ही पत्थर काले उठाए थे और थैली में डाल दिए थे।
रोहन की अद्भुत सूझबूझ: धर्मसंकट का समाधान
रोहन सन्न रह गया। वह जानता था कि यह धोखा है।
अगर वह कहता कि दोनों पत्थर काले हैं, तो दुर्जन सिंह उसे झूठा साबित कर देता और शायद उसे मारता भी।
अगर वह चुपचाप एक पत्थर उठाता, तो वह काला ही निकलता और वे हार जाते।
रोहन ने आँखें बंद कीं और अपनी माँ को याद किया। अचानक उसके दिमाग में एक बिजली सी कौंधी। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है मालिक, मुझे मंज़ूर है।"
उसने थैली में हाथ डाला और एक पत्थर निकाला। लेकिन इससे पहले कि कोई उसे देख पाता, रोहन ने नाटक किया जैसे उसका पैर फिसल गया हो। वह पत्थर उसके हाथ से छूटकर नीचे पड़े हज़ारों पत्थरों के ढेर में जा गिरा, जहाँ सफेद और काले पत्थर पहले से ही मिले हुए थे।
"ओह! मुझे माफ करें सरपंच जी," रोहन ने मासूमियत से कहा। "मेरे हाथ कांप रहे थे और पत्थर गिर गया। अब हम कैसे जानेंगे कि मैंने कौन सा पत्थर उठाया था?"
दुर्जन सिंह चिल्लाया, "तूने यह जानबूझकर किया है!"
रोहन ने शांति से कहा, "घबराइए मत मालिक। इसका समाधान बहुत सरल है। थैली में अभी भी एक पत्थर बचा है। अगर हम उस पत्थर को देख लें, तो हमें पता चल जाएगा कि मैंने जो पत्थर उठाया था, वह उसका उल्टा ही होगा।"
सरपंच ने थैली में हाथ डाला और पत्थर बाहर निकाला। वह पत्थर काला था। इसका मतलब था (सबकी नज़र में) कि रोहन ने जो पत्थर उठाया था, वह 'सफेद' रहा होगा।
दुर्जन सिंह का चेहरा पीला पड़ गया। वह अपनी ही चाल में फंस चुका था। उसे सबके सामने यह मानना पड़ा कि रोहन ने सफेद पत्थर चुना था।
सीख: ईमानदारी और बुद्धि का संगम
इस बच्चों के लिए नैतिक कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण सीख मिलती है: "जब ताकत और छल आपके सामने हों, तो घबराने के बजाय अपनी बुद्धि और धैर्य का उपयोग करें। सच्चाई का रास्ता लंबा हो सकता है, लेकिन जीत हमेशा उसी की होती है।"
उपसंहार: गाँव का नया नायक
उस दिन के बाद, सरपंच ने दुर्जन सिंह को कड़ी चेतावनी दी। रोहन और उसके दादा जी की ज़मीन हमेशा के लिए कर्ज़ मुक्त हो गई। गाँव वालों ने रोहन को अपने कंधों पर उठा लिया। रोहन ने साबित कर दिया कि एक बच्चा भी बड़े-बड़े अन्याय को खत्म कर सकता है।
बच्चों, आप भी अपनी ज़िंदगी में हमेशा सच बोलना और कभी भी मुसीबत में हार मत मानना। याद रखें, हर समस्या का एक समाधान होता है, बस आपको उसे शांति से ढूँढने की ज़रूरत है।
माता-पिता के लिए सुझाव
ऐसी बच्चों के लिए नैतिक कहानी सुनाने से उनकी 'Problem Solving' क्षमता बढ़ती है। उनसे पूछें कि अगर वे रोहन की जगह होते, तो क्या करते? इससे उनका मानसिक विकास होगा।
अंत में: सच्चाई एक ऐसी मशाल है जो घने अंधेरे में भी रास्ता दिखा देती है।
और पढ़ें :
मोंटी का स्कूल: नीलगीरी जंगल की सबसे अनोखी और समझदार पाठशाला (Jungle Story)
प्रयास करना ना छोड़ें: चिकी गिलहरी और वो लाल रसीला फल (Motivational Story)
खरगोश की चालाकी: जब नन्हे बंटी ने खूंखार भेड़िये को सिखाया सबक
चूहे और चिड़िया की दोस्ती: जंगल की एक अनोखी और साहसी कहानी
Tags : bachon ki moral story | clever animal moral story | educational moral story | Hindi Moral Stories | hindi moral stories for kids | Hindi Moral Story | Hindi moral story for kids
