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बाल कहानी - आम्रपाली- एक जादुई बग़ीचे, प्यार, त्याग और साहस से भरी यह कहानी है आम्रपाली की — एक ऐसी बच्ची जो एक शर्त के बदले जादूगर को सौंप दी गई थी। यह कहानी हमें एक ऐसे युग में ले जाती है जहाँ आमों से भरे बग़ीचे, रहस्यमय गुम्बद, और जादू से भरे पल थे। आम्रपाली एक सुंदर, मासूम और आज़ादी के लिए तरसती लड़की थी जिसे जादूगर ने अपनी मर्ज़ी से एक गुम्बद में बंद रखा था।
जब आम्रपाली की ज़िन्दगी में एक राजकुमार आता है, तो वह पहली बार किसी से सच्चा अपनापन महसूस करती है। लेकिन जैसे ही वह आज़ाद होने का सपना बुनती है, एक छोटी-सी मासूम गलती उसकी पूरी दुनिया बदल देती है। जादूगर का क्रोध, आम्रपाली की तन्हाई, और राजकुमार की अंधता — सब कुछ मिलकर इस कहानी को भावनाओं और रोमांच से भर देता है। लेकिन जैसे हर अंधेरे के बाद उजाला आता है, वैसे ही इस कहानी में भी प्रेम और सच्चाई की जीत होती है।
आम्रपाली- गोविंदा और उसकी पत्नी विनिता एक गांव में खुशी खुशी रहते थे। उनका दुर्भाग्य यह था कि उनका कोई बच्चा नहीं था। उनके घर के पास एक बाग था जो एक पुराने जादूगर का था। कुछ साल बाद विनिता को पता चला कि वह मां बनने वाली है। विनिता और गोविंदा बहुत खुश हुए। फिर आम का मौसम आया। जादूगर के बाग में बहुत सारे आम के पेड़ थे। एक दिन खिड़की से बाग की ओर देखते हुए विनिता को ताज़े आम दिखाई दिए। वह उन्हें खाना चाहती थी। लेकिन उसे पता था कि उसे वह आम नहीं मिलेंगे क्योंकि वह आम जादूगर के थे। वह दुखी हो गई और दिन ब दिन दुबली होती गई। गोविंदा ने यह देखा और उससे पूछा, ‘तुम्हें क्या हो रहा है?’ विनिता ने उसे बताया, ‘मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही है। मुझे जादूगर के बाग से आम खाने है।’
उस शाम जब कोई भी नहीं था तो गोविंदा ने जादूगर के बाग में कदम रखा और आम तोड़ लिया। विनिता ने आम खाया। लेकिन उसे और आम चाहिए थे। अगले दिन फिर गोविंदा जादूगर के बाग में गया। लेकिन उसे बूढ़े जादूगर ने रंगे हाथ पकड़ लिया। जादूगर ने कहा कि वह गोविंदा और उसकी पत्नी को श्राप दे देगा। गोविंदा और विनिता ने उससे विनती की कि वह उन्हें श्राप ना दे। फिर जादूगर ने कहा, ‘ठीक है, जब तुम्हारा बच्चा होगा, तुम्हें उसे मुझे देना होगा। मैं उसे अपने बच्चे की तरह पालूंगा।’ जादूगर के डर से गोविंदा और विनिता ने उसकी बात मान ली।
जब बच्चा हुआ तो एक सुंदर सी लड़की ने जन्म लिया। वह लड़की जादूगर को दे दी गई। जादूगर ने उसका नाम आम्रपाली रखा और उसे अपने गुम्बद में रखा जो उसने अपने बाग के बीच में सबसे ऊपर बनवाया था। इस गुम्बद का सिर्फ एक ही रास्ता था। इसमें कोई खिड़की या दरवाज़े नहीं थे। साल बीत गए। आम्रपाली बहुत खूबसूरत लड़की बनी। हर रोज़ जादूगर गुम्बद के नीचे आकर गाता था, ‘आम्रपाली, मेरी खूबसूरत बच्ची। मुझे गुम्बद में चढ़ने में मदद करो।’ फिर आम्रपाली अपने लंबे बाल नीचे लटकाती थी। जादूगर उसके बालों के सहारे से गुम्बद पर चढ़ता था। वह उसे अच्छा खाना खाने और अच्छे कपड़े पहनने के लिए देता था। इस तरह से चीज़ें चल रही थी, तभी एक दिन राजा विक्रम उस बाग के करीब था। उसने जादूगर का गाना सुना और देखा कि वह कैसे गुम्बद में जाता है। उस रात राजा विक्रम उस गुम्बद के करीब गया और उनसे गाना गाया, ‘आम्रपाली, मेरी खूबसूरत परी। मुझे गुम्बद में चढ़ने पर मदद करो।’
आम्रपाली ने हमेशा की तरह अपने बाल लटका दिए और राजकुमार उन्हें पकड़कर ऊपर चढ़ गया। आम्रपाली को पहली ही नज़र में देखते हुए उसने उसे उससे शादी करने के लिए कहा। वह मान गई। उसने राजकुमार से कहा कि वह उसके लिए रोज़ कुछ सिल्क लाए ताकि वह भागने के लिए सीढ़ी बना सके। जब सीढ़ी पूरी बनने वाली थी तो बिना सोचे आम्रपाली ने जादूगर से पूछा, ‘आप राजकुमार से इतने हल्के कैसे है?’ तुरंत जादूगर बहुत गुस्सा हुआ और वह आम्रपाली को दूर एक रेगिस्तान में ले गया और उसे वहां छोड़ आया।
अगले दिन जब राजकुमार कमरे के नीचे पहुंचा तो जादूगर ने उसे पकड़ लिया। जब वह लड़ रहे थे तो अचानक राजकुमार गिर गया और उसकी आंखों में कांटे चुब गए जिस वजह से उसकी आंखों की रोशनी चली गई। जादूगर पत्थर पर गिर गया और पागल हो गया। राजकुमार इधर उधर भटकने लगा। एक साल के बाद वह उसी रेगिस्तान में पहुंच गया जहां पर आम्रपाली रह रही थी। उस समय तक आम्रपाली किसी बच्चे की देख रेख कर रही थी। वह दोनों रेगिस्तान में बातें कर रहे थे। तभी राजकुमार विक्रम रोने लगा क्योंकि उन्होंने आम्रपाली की आवाज़ को पहचान लिया था। जैसे ही उसने रोना शुरू किया, उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। विक्रम आम्रपाली से मिला और उसे अपने साथ अपने राज्य ले गया जहां पर वह दोनों शादी के बाद खुशी खुशी रहने लगे।
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि—
सच्चा प्यार कभी हारता नहीं।
त्याग और धैर्य से बड़ी से बड़ी मुसीबत पार की जा सकती है।
झूठ, लालच और जबरदस्ती का अंत हमेशा बुरा होता है।
और सबसे बड़ी बात — जिसे आज़ादी चाहिए, उसे खुद के लिए खड़ा होना पड़ता है।
आम्रपाली की यह कहानी बच्चों को न सिर्फ़ रोमांचित करती है, बल्कि उन्हें सिखाती है कि अच्छे कर्मों का फल ज़रूर मिलता है।
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