बाल कहानी : सुनहरी खिड़कियों वाला घर

बाल कहानी : सुनहरी खिड़कियों वाला घर- एक छोटी लड़की एक छोटे, साधारण और गरीब घर में रहती थी। उसका घर पहाड़ों पर था। वह अपने घर के बाहर छोटे बाग में खेलती रहती थी। जैसे जैसे वह बड़ी हुई

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बाल कहानी : सुनहरी खिड़कियों वाला घर- एक छोटी लड़की एक छोटे, साधारण और गरीब घर में रहती थी। उसका घर पहाड़ों पर था। वह अपने घर के बाहर छोटे बाग में खेलती रहती थी। जैसे जैसे वह बड़ी हुई तो वह बाग के चारों ओर लगे घेरे के बाहर सुंदर घाटी को देखने लगी और पहाड़ों के बीच एक सुंदर घर दिखाई दिया। इस घर की सुनहरी खिड़कियां थी। वह खिड़कियां इतनी चमकदार थी कि छोटी लड़की सपना देखती थी कि कितना अच्छा होता अगर वह उस घर में बड़ी होती जिसकी सुनहरी खिड़कियां है।

हालांकि वह अपने माता पिता से प्यार करती थी लेकिन फिर भी वह उस सुनहरे घर में रहना चाहती थी और उसके बारे में दिन रात सोचती रहती थी कि उस घर में रहना कितना उत्साहित और अच्छा होता।
जब वह इतनी बड़ी हो गई कि वह अकेली अपने घर के बाग के बाहर जा सके तो उसने अपनी मां से पूछा कि क्या वह दरवाज़े के बाहर जाकर सड़क पर घूमकर आ सकती है।

काफी गुजारिश करने के बाद उसकी मां ने उसे जाने की इजाज़त दे दी। उसकी मां ने कहा कि वह घर के आसपास ही घूमे और ज़्यादा दूर तक नहीं जाए। उस दिन मौसम बहुत अच्छा था और लड़की को पता था कि वह कहां पर जा रही है। वह पैदल चलती गई और सुनहरे घर के दरवाज़े पर पहुंच गई जो दूसरी पहाड़ी पर था।

जैसे ही वह घर के दरवाज़े के अंदर घुसी तो वह बहुत उदास हो गई। उसने देखा कि घर की खिड़कियां साधारण थी और बल्कि बहुत गंदी थी। उसमें कुछ भी चमक नहीं रहा था और यह देखकर वह बहुत उदास हो गई और पीछे वापिस जाने के लिए मुड़ी।

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वह इतनी उदास हो गई कि घर के अंदर तक नहीं गई। उसका दिल टूट गया। जैसे ही वह वापिस आने लगी तो उसने एक बहुत हैरानी वाली चीज़ देखी। घाटी की दूसरी ओर उसका अपना छोटा घर उसे दिख रहा था और उसकी खिड़कियां सोने की तरह चमक रही थी। दरअसल उसके घर पर सूर्य की किरणें पड़ रही थी जिससे उसके घर की खिड़कियां सुनहरे रंग की नज़र आ रही थी।

उसे महसूस हुआ कि वह खुद ही सुनहरे घर में रह रही है और उसे वहां पर जो प्यार और देखभाल मिलती है, वह उसके घर को सुनहरा घर बनाती है। जो कुछ उसने सपने में देखा था वह सब उसकी आंखों के आगे उसे नज़र आ गया।

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