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अच्छे लोग, बुरे लोग: एक प्रेरक कहानी-
कई साल पहले की बात है, गंगा नदी के किनारे बसा था सुखपुर नाम का एक छोटा सा गाँव। यह गाँव अपनी शांति, हरियाली, और गंगा की पवित्र लहरों के लिए जाना जाता था। गाँव के बीचों-बीच एक पुराना बरगद का पेड़ था, जहाँ लोग सुबह-शाम इकट्ठा होकर जीवन की सीख (life lessons) की बातें करते थे। इसी गाँव में रहते थे गुरुजी, जिनकी बुद्धिमत्ता (wisdom) और आध्यात्मिक ज्ञान (spiritual knowledge) की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी। लोग अपनी समस्याओं का हल पाने और जीवन का दर्शन (philosophy of life) सीखने के लिए उनके पास आते थे।
एक सुहानी सुबह, जब गंगा का पानी सूरज की किरणों में चमक रहा था, गुरुजी अपने शिष्यों के साथ स्नान करने गए। उनकी दैनिक दिनचर्या (daily routine) में स्नान, ध्यान, और शिष्यों को नैतिक मूल्य (moral values) सिखाना शामिल था। तभी, एक राहगीर, जिसके चेहरे पर थकान और बेचैनी थी, गुरुजी के पास आया। उसने विनम्रता से पूछा,
“महाराज, मैं अपने मौजूदा गाँव से कहीं और बसना चाहता हूँ। क्या आप बता सकते हैं कि सुखपुर में कैसे लोग रहते हैं?”
गुरुजी ने अपनी शांत मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा और पूछा,
“बताओ, जहाँ तुम अभी रहते हो, वहाँ किस तरह के लोग हैं?”
राहगीर ने चिढ़कर जवाब दिया,
“महाराज, वहाँ तो एक से एक कपटी लोग (deceitful people), दुष्ट, और बुरे लोग रहते हैं। कोई भरोसा नहीं करता, कोई मदद नहीं करता।”
गुरुजी ने गंभीर स्वर में कहा,
“फिर तो सुखपुर में भी तुम्हें वैसे ही लोग मिलेंगे — कपटी और दुष्ट (treacherous and wicked)।”
यह सुनकर राहगीर ने उदास चेहरा बनाया और चुपचाप आगे बढ़ गया।
दूसरा राहगीर और उसका दृष्टिकोण
कुछ घंटों बाद, एक दूसरा राहगीर वहाँ आया। उसका चेहरा उम्मीद (hope) और उत्साह (enthusiasm) से भरा था। उसने भी गुरुजी से वही सवाल पूछा,
“महाराज, मैं नई जगह बसना चाहता हूँ। इस गाँव के लोग कैसे हैं?”
गुरुजी ने फिर वही सवाल दोहराया,
“जहाँ तुम अभी रहते हो, वहाँ के लोग कैसे हैं?”
राहगीर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
“महाराज, वहाँ तो बड़े सभ्य लोग (civilized people), सुलझे, और अच्छे लोग रहते हैं। हर कोई एक-दूसरे की मदद करता है, और वहाँ सद्भाव (harmony) का माहौल है।”
गुरुजी ने प्रसन्न होकर कहा,
“तब तो सुखपुर में भी तुम्हें बिलकुल वैसे ही लोग मिलेंगे — सभ्य और अच्छे (noble and kind)।”
राहगीर ने गुरुजी को धन्यवाद दिया और खुशी-खुशी गाँव की ओर चल पड़ा।
गुरुजी का गहरा दर्शन
गुरुजी इसके बाद अपने ध्यान और प्रार्थना (meditation and prayers) में लग गए, लेकिन उनके शिष्य यह सब देखकर हैरान थे।
जैसे ही दूसरा राहगीर गया, शिष्यों ने उत्सुकता से पूछा,
“गुरुजी, क्षमा करें, लेकिन आपने दोनों राहगीरों को एक ही गाँव के बारे में इतनी अलग-अलग बातें क्यों बताईं? यह तो निष्पक्ष (fair) नहीं लगता।”
गुरुजी ने शिष्यों को पास बुलाया और गंभीर स्वर में कहा,
“शिष्यो, यह संसार एक दर्पण की तरह है। हम चीजों को वैसे नहीं देखते जैसी वे हैं, बल्कि वैसे देखते हैं जैसे हम खुद हैं। हर गाँव, हर शहर में हर तरह के लोग (all kinds of people) होते हैं — अच्छे भी, बुरे भी। लेकिन हमारा दृष्टिकोण (perspective) तय करता है कि हम किसे देखते हैं।
जो व्यक्ति नकारात्मक सोच (negative mindset) के साथ चलता है, उसे हर जगह बुराई ही दिखती है।
और जो सकारात्मक सोच (positive outlook) रखता है, उसे हर जगह अच्छाई नजर आती है।”
शिष्य गुरुजी की बात सुनकर चुप हो गए। उनकी बातों में जीवन का सत्य (truth of life) छिपा था।
गुरुजी ने आगे कहा,
“इसलिए, अगर तुम जीवन में खुशी और शांति (happiness and peace) चाहते हो, तो पहले अपने भीतर की अच्छाई को जगाओ। आत्म-चिंतन (self-reflection) करो, और दूसरों में वही अच्छाई देखने की कोशिश करो। यह आत्म-विकास (personal growth) का पहला कदम है।”
शिष्यों ने गुरुजी की बात को दिल से स्वीकार किया और निश्चय किया कि वे जीवन में सिर्फ सकारात्मकता पर ध्यान (focus on positivity) देंगे।
गाँव में फैली सीख और एक नया प्रसंग
यह घटना सुखपुर में जल्दी ही मशहूर हो गई। लोग गुरुजी की इस प्रेरक कहानी (inspirational story) को एक-दूसरे को सुनाने लगे।
गाँव के एक बुजुर्ग, जिन्हें सब नानाजी कहते थे, ने बच्चों को यह कहानी और भी रोचक अंदाज़ में सुनाई। उन्होंने कहा,
“बच्चों, अगर तुम किसी को मुस्कान (smile) दोगे, तो तुम्हें भी मुस्कान मिलेगी। लेकिन अगर तुम गुस्सा (anger) दिखाओगे, तो गुस्सा ही लौटेगा। यह जीवन का नियम (law of life) है।”
कुछ दिनों बाद, गाँव में एक नया परिवार आकर बसा। इस परिवार का मुखिया, रामू, एक व्यापारी था।
वह अपने पुराने गाँव में लोगों की बुराइयों से तंग आ चुका था। जब उसने सुखपुर में गुरुजी की कहानी सुनी, तो वह उनके पास गया और बोला,
“महाराज, मैंने सुना है कि आप लोगों को सही रास्ता दिखाते हैं। मैं अपने पुराने गाँव के झगड़ालू लोग (quarrelsome people) से परेशान था। क्या यहाँ भी वही हाल होगा?”
गुरुजी ने वही सवाल दोहराया,
“रामू, तुम अपने पुराने गाँव के लोगों में क्या देखते थे?”
रामू ने सोचा और बोला,
“महाराज, मैंने हमेशा बुराई देखी, लेकिन अब मैं समझ रहा हूँ कि शायद मेरा दृष्टिकोण (mindset) ही गलत था।”
गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा,
“रामू, सुखपुर में तुम्हें वही मिलेगा जो तुम देखना चाहोगे। अगर तुम दयालुता (kindness) और सहयोग (cooperation) देखना चाहोगे, तो यह गाँव तुम्हारे लिए स्वर्ग बन जाएगा।”
रामू ने गुरुजी की सलाह मानी और गाँव में सभी के साथ मिलनसार व्यवहार (friendly behavior) अपनाया।
जल्द ही, वह गाँव वालों का प्यारा बन गया। उसने अपने व्यापार में भी ईमानदारी (honesty) को अपनाया, जिससे उसकी दुकान गाँव की सबसे लोकप्रिय दुकान बन गई।
गाँव का मेला और कहानी का प्रभाव
कुछ महीनों बाद, सुखपुर में गंगा के किनारे एक बड़ा मेला लगा।
इस मेले में गुरुजी के शिष्यों ने एक नाटक का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने इस कहानी को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।
नाटक में एक शिष्य ने पहले राहगीर का किरदार निभाया, जो हर जगह बुराई देखता था, और दूसरा शिष्य दूसरा राहगीर बना, जो अच्छाई (goodness) को अपनाता था।
नाटक के अंत में, गुरुजी का किरदार निभाने वाले शिष्य ने दर्शकों से कहा,
“जीवन में तुम्हारा चुनाव (choice) ही तुम्हारा भाग्य बनाता है।
सकारात्मक दृष्टिकोण (positive attitude) अपनाओ, और दुनिया तुम्हें सुंदर दिखेगी।”
मेले में आए लोग नाटक देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गुरुजी के पास जाकर उन्हें धन्यवाद दिया।
एक छोटी सी लड़की, जिसका नाम था गंगा, गुरुजी के पास आई और बोली,
“गुरुजी, मैंने आपके नाटक से सीखा कि अगर मैं अपने दोस्तों में अच्छाई (virtue) देखूँगी, तो मेरे दोस्त और भी प्यारे बन जाएँगे।”
गुरुजी ने गंगा के सिर पर हाथ रखा और बोले,
“बेटी, तुमने जीवन का असली सबक (true lesson of life) सीख लिया।”
कहानी की सीख
यह प्रेरक कहानी (motivational story) हमें सिखाती है कि हमारा दृष्टिकोण (perspective) ही हमारी दुनिया को आकार देता है।
अगर हम सकारात्मकता (positivity) को चुनते हैं, तो हमें हर जगह अच्छे लोग और अच्छे अनुभव मिलते हैं।
लेकिन अगर हम नकारात्मकता (negativity) को अपनाते हैं, तो दुनिया हमें कठोर और कष्टदायक लगती है।
इसलिए, जीवन में आत्म-जागरूकता (self-awareness) और सकारात्मक सोच (optimistic thinking) को अपनाएँ, ताकि हम हर जगह खुशी (joy) और शांति (peace) पा सकें।
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