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Children's moral story: Guddu's mistake and strength of forgiveness
गुड्डू की गलती और माफी की ताकत: बच्चों की नैतिक कहानी:- शहर की एक चहल-पहल भरी गली में गुड्डू नाम का एक 8 साल का बच्चा रहता था। गुड्डू बहुत शरारती था, लेकिन उसका दिल साफ था। वह अपने दोस्तों के साथ दिन भर खेलता, स्कूल जाता और अपनी मम्मी-पापा की बातें सुनता। गुड्डू की मम्मी उसे हमेशा कहतीं, "बेटा, गलती करना ठीक है, लेकिन उसे मान लेना और माफी मांगना बहुत जरूरी है।" गुड्डू हंसकर कहता, "हां मम्मी, मैं तो बहुत अच्छा हूँ ना!" लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि गुड्डू को अपनी मम्मी की बात की असली अहमियत समझ आई।
गुड्डू की गलती
एक दिन गुड्डू स्कूल से घर आया। उसकी मम्मी ने कहा, "गुड्डू, मैं बाजार जा रही हूँ। टेबल पर जो नया गुलदस्ता रखा है, उसे मत छूना। वो पापा के ऑफिस के लिए है।" गुड्डू ने सिर हिलाया और कहा, "ठीक है मम्मी, मैं नहीं छूऊंगा।" लेकिन जैसे ही मम्मी गईं, गुड्डू की नजर उस चमकीले गुलदस्ते पर पड़ी। उसमें लाल, पीले और नीले रंग के फूल थे, जो बहुत सुंदर लग रहे थे।
गुड्डू ने सोचा, "बस एक बार देख लूं, क्या होगा?" उसने गुलदस्ते को उठाया और उसे सूंघने लगा। तभी उसका पैर टेबल से टकरा गया और गुलदस्ता "धड़ाम" से नीचे गिर गया। शीशे का गुलदस्ता टूट गया और फूल इधर-उधर बिखर गए। गुड्डू डर गया। उसने सोचा, "अब क्या करूं? मम्मी डांटेंगी।" उसने जल्दी से टूटे टुकड़े एक कोने में छुपा दिए और बिखरे फूलों को कूड़ेदान में डाल दिया।
मम्मी का सवाल और गुड्डू का डर
जब मम्मी बाजार से लौटीं, तो उन्होंने टेबल को खाली देखा। मम्मी ने गुड्डू को बुलाया, "गुड्डू, गुलदस्ता कहां गया?" गुड्डू घबरा गया। उसने झूठ बोल दिया, "मम्मी, मैंने तो कुछ नहीं किया। शायद कोई बिल्ली अंदर आ गई और गुलदस्ता गिर गया।" मम्मी ने गौर से गुड्डू की तरफ देखा और कहा, "सच-सच बता, बिल्ली कैसे आई? दरवाजा तो बंद था।" गुड्डू की धड़कन तेज हो गई। उसने कहा, "मम्मी, मुझे नहीं पता।"
मम्मी चुपचाप रसोई में चली गईं, लेकिन गुड्डू को बेचैनी होने लगी। उसे लग रहा था कि मम्मी को सब पता चल गया है। वह अपने कमरे में गया और सोचने लगा, "मैंने झूठ क्यों बोला? मम्मी तो कहती हैं कि सच्चाई बोलने से डर नहीं लगता।"
माफी की ताकत
शाम को पापा घर आए। मम्मी ने पापा को सारी बात बताई। पापा ने गुड्डू को पास बुलाया और प्यार से पूछा, "बेटा, क्या हुआ था? हमें सच बताओ।" गुड्डू की आंखों में आंसू आ गए। उसने रोते हुए कहा, "पापा, मैंने गुलदस्ता गिरा दिया। मैंने उसे बस देखना चाहा था, लेकिन मेरा पैर टकरा गया और वो टूट गया। मैं डर गया था, इसलिए मैंने झूठ बोल दिया। मुझे माफ कर दो।"
पापा ने गुड्डू को गले लगाया और कहा, "बेटा, गलती तो सब से होती है। लेकिन तुमने सच बोलकर और माफी मांगकर बहुत अच्छा काम किया। माफी मांगने में हिम्मत चाहिए, और तुमने वो हिम्मत दिखाई।" मम्मी ने भी मुस्कुराकर कहा, "अगली बार से पहले सच बोलना, ठीक है?" गुड्डू ने सिर हिलाया और कहा, "हां मम्मी, मैं वादा करता हूँ।"
कहानी से सीख
सीख: गलती करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन उसे छुपाने के लिए झूठ बोलना गलत है। सच्चाई बोलने और माफी मांगने से रिश्ते मजबूत होते हैं और मन हल्का हो जाता है।
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