सीख देती कहानी - छोटी बातों के लिए पसीना मत बहाओ

एक समय प्रबंधक ने छात्रों को मर्तबान, पत्थर, मिट्टी, और पानी के जरिए समझाया कि जीवन में पहले बड़ी चीज़ों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसने दिखाया कि अगर पहले बड़े पत्थर नहीं डाले, तो बाद में जगह नहीं मिलती।

By Lotpot
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Learning story - dont sweat for small things

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एक समय प्रबंधक ने छात्रों को मर्तबान, पत्थर, मिट्टी, और पानी के जरिए समझाया कि जीवन में पहले बड़ी चीज़ों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसने दिखाया कि अगर पहले बड़े पत्थर नहीं डाले, तो बाद में जगह नहीं मिलती। छोटी चीज़ों पर ध्यान देने से महत्वपूर्ण चीज़ें छूट जाती हैं।

सीख देती कहानी - छोटी बातों के लिए पसीना मत बहाओ:- एक दिन समय प्रबंधक का एक्सपर्ट छात्रों के एक समूह से बातचीत कर रहा था तो अपनी बात को साबित करने के लिए उसने एक ऐसे उदाहरण के बारे में सोचा जो छात्र कभी ना भूल पाए।

जब वह बेहद होशियार छात्रों के समूह के आगे खड़ा हुआ तो उसने कहा, ‘ठीक है, अब समय एक पहेली का है।’ फिर उसने एक गैलन लिया, एक बड़े मुंह वाला मर्तबान लिया जिसका ढक्कन टाइट हो और इन दोनों चीज़ों को उसने अपने सामने एक टेबल पर रख दिया। फिर उसने एक दर्जन मुट्ठी जितने आकार के पत्थर लिए और एक एक करके मर्तबान में डालने शुरू किए।

जब मर्तबान ऊपर तक भर गया और उसमें कोई पत्थर नहीं जा पा रहा था तो उसने छात्रों से पूछा, ‘क्या मर्तबान भर चुका है?’

हर किसी छात्र ने कहा, ‘हां’। फिर उसने पूछा, ‘सच्ची में भर चुका है?’

अब इस बारी छात्रों ने कहा, ‘शायद नहीं।’

फिर प्रबंधक ने कहा, ‘शाबाश।’ इसके बाद उसने मेज़ के नीचे से एक बोरी मिट्टी की निकाली। उसने मर्तबान में मिट्टी डालनी शुरू की। मिट्टी पत्थरों के बीच में बची जगह से रास्ता बनाते हुए मर्तबान में इक्ट्ठा होती गई। अब दोबारा प्रबंधक ने पूछा कि क्या मर्तबान भर चुका है?

तो सभी छात्रों ने चिल्लाकर जवाब दिया, ‘नहीं।’ एक बार फिर प्रबंधक ने कहा, ‘शाबाश।’

फिर उसने एक पानी का जग निकाला और मर्तबान में डालना शुरू किया जब तक पानी ऊपर तक नहीं भर गया।

फिर उसने छात्रों के तरफ देखते हुए कहा, ‘अब मुझे बताओ कि इस पहेली का मतलब क्या है?’

एक उत्सुक छात्र ने अपना हाथ उठाया और कहा, ‘इसका मतलब है कि बेशक आपके पास कितना भी काम क्यों ना हो लेकिन अगर आप थोड़ी कोशिश करेंगे तो आप थोड़े और कामों को अपनी ज़िंदगी में शामिल कर सकते है।’

प्रबंधक ने जवाब सुनकर कहा, ‘नहीं, इसका यह मतलब नहीं है। यह उदाहरण सिखाता है कि अगर तुम पहले बड़े पत्थर नहीं डालोगे तो तो तुम उसे बाद में कभी नहीं डाल सकोगे।

तुम्हारी ज़िंदगी में बड़े पत्थर क्या है?’ ‘आपके बच्चे, आपके माता पिता, आपका परिवार, आपकी पढ़ाई, आपके सपने, एक अच्छा काम, दूसरों को सिख्या देना, वह काम करना जो आपको पसंद है, अपने लिए समय निकालना, आपका स्वास्थय।’ इसलिए याद रखे कि पहले अपनी ज़िंदगी के बड़े पत्थरों के लिए जगह बनाए, नहीं तो आप इन्हें कभी नहीं समेट पाएंगे। अगर आप छोटी चीज़ों के पीछे पसीना बहाएंगे तो आप अपनी ज़िंदगी में छोटी चीज़ों को लेकर परेशान रहेंगे जो आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं है। आपको कभी भी अपनी ज़िंदगी के बड़े और महत्वपूर्ण चीज़ों के लिए समय नहीं मिल सकेगा।

इसलिए जब भी रात को या सुबह आप यह कहानी पढ़े तो अपने आपसे पूछिए कि आपकी ज़िंदगी में बड़ी चीज़ें कौन सी है और उन्हें पहले समेटने की कोशिश करे।

सीख (Moral)

जीवन में पहले महत्वपूर्ण चीज़ों—like परिवार, सपने, और स्वास्थ्य—को प्राथमिकता दो, नहीं तो छोटी चीज़ों में उलझकर आप कभी बड़ी चीज़ों के लिए समय नहीं निकाल पाओगे। (Prioritize important things in life first, or small distractions will keep you from what truly matters.)

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