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पानी बचाओ: एक छोटे बच्चे की प्रेरक कहानी | Best Hindi Story for Kids- यह कहानी 10 साल के रिंकू की है, जो सूरजपुर गाँव में रहता है। गाँव में हर गर्मी में पानी की कमी हो जाती थी, लेकिन रिंकू ने स्कूल में सीखी वर्षा जल संचयन की तकनीक से बारिश का पानी जमा करना शुरू किया। शुरू में गाँववाले उसका मज़ाक उड़ाते थे, लेकिन जब गर्मियों में रिंकू के पास पानी था और बाकी गाँव सूखा पड़ा था, तो सब हैरान रह गए। रिंकू ने गाँववालों को वर्षा जल संचयन सिखाया, और धीरे-धीरे पूरा गाँव पानी की कमी से मुक्त हो गया। यह प्रेरक कहानी बच्चों को सिखाती है कि छोटी उम्र में भी मेहनत और इच्छाशक्ति से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
कहानी: पानी की कीमत
हरियाली से भरा एक छोटा-सा गाँव था, सूरजपुर। चारों तरफ हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे, और छोटी-सी नदी गाँव को सुंदर बनाती थी। लेकिन हर गर्मी में गाँव की मुसीबत बढ़ जाती थी। कुएँ सूख जाते, नदी का पानी कम हो जाता, और गाँववाले बारिश का इंतज़ार करते। बारिश आती तो लोग खुश हो जाते, लेकिन जैसे ही बारिश खत्म होती, पानी की बर्बादी शुरू हो जाती। कोई नल खुला छोड़ देता, तो कोई बाल्टी भरकर बिना इस्तेमाल किए छोड़ देता।
इसी सूरजपुर गाँव में रहता था 10 साल का रिंकू। रिंकू का दिमाग हमेशा कुछ नया सोचने में लगा रहता था। स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ उसे गाँव की समस्याएँ देखकर कुछ करने की इच्छा होती थी। एक दिन स्कूल में उसकी टीचर, शांति मैडम, ने बच्चों को पानी की कमी के बारे में बताया।
“बच्चो, पानी हमारी ज़िंदगी का आधार है,” शांति मैडम ने गंभीर स्वर में कहा। “अगर हम बारिश के पानी को जमा करें, तो गर्मियों में पानी की कमी से बच सकते हैं। इसे वर्षा जल संचयन कहते हैं।”
रिंकू की आँखें चमक उठीं। उसने मन ही मन सोचा, “अगर मैं बारिश का पानी जमा करूँ, तो गाँव की मुसीबत कम हो सकती है!”
घर पहुँचते ही रिंकू ने अपनी योजना अपनी माँ को बताई।
“माँ, मैं बारिश का पानी जमा करूँगा! गर्मियों में हमारे पास पानी की कमी नहीं होगी!” रिंकू ने उत्साह से कहा।
“अरे, रिंकू, तू तो अभी छोटा है। इतना बड़ा काम कैसे करेगा?” माँ ने हँसते हुए पूछा।
“माँ, कोशिश तो कर सकता हूँ ना? शांति मैडम ने कहा है, छोटा-सा बदलाव भी बड़ा फर्क ला सकता है!” रिंकू ने जवाब दिया।
बारिश का मौसम आया। रिंकू ने अपने दोस्तों, मोनू और टीना, को बुलाया और योजना बनाई। उसने अपने घर की छत पर एक पुराना पाइप लगाया, जो बारिश का पानी सीधे एक बड़े ड्रम में ले जाता। उसने पुरानी बाल्टियाँ, डिब्बे, और टब बाहर रखे ताकि बारिश का पानी उनमें जमा हो सके।
“रिंकू, ये क्या तमाशा लगा रखा है?” मोनू ने हँसते हुए पूछा। “सब लोग तुझ पर हँसेंगे!”
“हँसने दो, मोनू,” रिंकू ने मुस्कुराते हुए कहा। “जब गर्मी में पानी नहीं होगा, तब देखना, ये ड्रम हमारी जान बचाएँगे!”
गाँव वाले रिंकू की इस हरकत को देखकर मज़ाक उड़ाते। “देखो, रिंकू पानी का ठेकेदार बन गया!” रामू चाचा ने हँसकर कहा। लेकिन रिंकू ने किसी की परवाह नहीं की। वह हर बारिश में पानी जमा करता रहा।
गर्मियाँ आईं। जैसा हर साल होता था, कुएँ सूख गए, और नदी का पानी भी कम हो गया। गाँव वाले परेशान होकर पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। लेकिन रिंकू के घर में पानी की कमी नहीं थी। उसके ड्रम और बाल्टियाँ बारिश के पानी से भरे थे।
एक दिन रामू चाचा रिंकू के घर आए। “रिंकू, ये क्या जादू है? हमारे कुएँ सूख गए, और तेरे पास पानी कैसे है?”
“चाचा, ये जादू नहीं, वर्षा जल संचयन है!” रिंकू ने गर्व से कहा। “मैंने बारिश का पानी जमा किया था। अब हम इसे पीने, खाना बनाने, और खेतों में डालने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।”
रामू चाचा हैरान रह गए। उन्होंने पूरे गाँव को रिंकू के घर बुलाया। रिंकू ने सबको समझाया, “देखो, अगर हम बारिश का पानी जमा करें, तो गर्मियों में हमें पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। ये पाइप और ड्रम हर घर में लगा सकते हैं।”
“लेकिन रिंकू, ये तो बहुत खर्चीला होगा ना?” गाँव के सरपंच ने पूछा।
“नहीं, सरपंच जी!” रिंकू ने जवाब दिया। “पुरानी चीज़ों से भी काम हो सकता है। बस इच्छाशक्ति चाहिए।”
रिंकू की बात गाँव वालों के दिल को छू गई। अगले दिन से गाँव में एक नया जोश दिखा। हर घर में लोग पुराने ड्रम, बाल्टियाँ, और पाइप लाने लगे। सरपंच ने स्कूल में एक कार्यशाला बुलाई, जहाँ शांति मैडम ने सभी को वर्षा जल संचयन की तकनीक सिखाई। रिंकू और उसके दोस्तों ने गाँववालों की मदद की।
अगली गर्मियों में सूरजपुर गाँव बदल गया। अब किसी को पानी की कमी नहीं झेलनी पड़ती थी। हर घर में बारिश का पानी जमा होने लगा था। गाँववाले रिंकू को “पानी का हीरो” कहने लगे।
एक शाम, जब रिंकू अपने दोस्तों के साथ नदी किनारे खेल रहा था, टीना ने कहा, “रिंकू, तूने तो कमाल कर दिया! गाँव अब हमेशा हरा-भरा रहेगा।”
“हाँ, टीना,” रिंकू ने मुस्कुराते हुए कहा। “पानी की कीमत मैंने समझ ली। अब हमें इसे बर्बाद नहीं करना है।”
इस कहानी से सीख
इच्छाशक्ति से बड़ा बदलाव संभव है: उम्र छोटी हो या बड़ी, अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी समस्या हल की जा सकती है।
पानी की कीमत समझें: पानी एक अनमोल संसाधन है, और इसे बचाना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
पर्यावरण संरक्षण जरूरी है: वर्षा जल संचयन जैसे छोटे कदम पर्यावरण और समाज की भलाई के लिए बड़े परिणाम ला सकते हैं।
सामूहिक प्रयास की ताकत: जब पूरा समुदाय मिलकर काम करता है, तो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
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